विधानसभा का बजट सत्र : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी जेपीएससी के क्रियाकलापों पर उठाये सवाल
सिविल सेवा परीक्षा का मामला उठा. सदन के नेता व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद भी जेपीएससी परीक्षा के विवाद व क्रियाकलाप पर सवाल उठाये.
रांची : विधानसभा के बजट सत्र में गुरुवार को जेपीएससी छठी व सातवीं सिविल सेवा परीक्षा का मामला उठा. सदन के नेता व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद भी जेपीएससी परीक्षा के विवाद व क्रियाकलाप पर सवाल उठाये. मुख्यमंत्री ने सदन में कहा : जेपीएससी की जितनी परीक्षा हुईं, विवादों में घिरी रहीं. बार-बार इसकी परीक्षा और रिजल्ट पर सवाल उठते रहे हैं. जेपीएससी के क्रियाकलाप नौजवानों के लिए चिंताजनक है. मैं सुबह उठ कर प्रार्थना करता हूं कि मेरे घर-परिवार का बच्चा जेपीएससी में पास नहीं करे, नहीं तो लोग बोलेंगे पैरवी की है.
सदन में पहली पाली में विधायक प्रदीप यादव और विनोद सिंह ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से पूछा था कि जेपीएससी सातवीं का विज्ञापन प्रकाशित हुआ है. छठी जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में दलित, पिछड़ा और आदिवासी को लाभ नहीं मिला था. छात्र भयभीत हैं कि इस बार भी आरक्षण का लाभ मिलेगा या नहीं.
छठी जेपीएससी का परिणाम प्रारंभिक परीक्षा के आधार पर मुख्य परीक्षा के बाद साक्षात्कार भी हो रहा है. सदन में श्री यादव का कहना था कि आरक्षण की नीति सरकार बनाती है. जेपीएससी परीक्षा लेनेवाली एजेंसी है. जेपीएससी ने अब तक नियमावली नहीं बनायी है. माले विधायक विनोद सिंह का कहना था कि आरक्षण में न्यूनतम का प्रावधान है. कम से कम आरक्षण में आनेवाले समूहों को उतना आरक्षण मिलेगा, लेकिन इसको अधिकतम मान लिया गया है.
बोले सीएम
सुबह उठ कर प्रार्थना करता हूं मेरे परिवार का कोई बच्चा जेपीएससी में न पास हो, नहीं तो बाेलेंगे पैरवी की
प्रदीप व विनोद के सवाल पर सीएम हेमंत सोरेन ने कहा
सरकार नियमावली बना रही किसी वर्ग के साथ अन्याय नहीं होने देंगे
पारदर्शी तरीके से परीक्षा कराना चाहती है सरकार : मुख्यमंत्री श्री सोरेन का कहना था कि सातवीं परीक्षा की प्रक्रिया चल रही है. जेपीएससी स्वतंत्र एजेंसी है, इसमें सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता है. हमारी कोशिश है कि आगे आनेवाली परीक्षा बेहतर और पारदर्शी तरीके से हो. सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी बनायी है.
2016 से चल रही इस परीक्षा में आरक्षण की हो रही मांग
झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा 326 पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा की प्रक्रिया 2016 से चल रही है. शुरुआत से ही यह परीक्षा विवाद में रही. पीटी में आरक्षण देने के मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ. मामला सड़क से विधानसभा, हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सरकार को एक बार नियमावली तक बदलनी पड़ी. फलस्वरूप आयोग को तीन बार संशोधित रिजल्ट जारी करना पड़ा. पहली बार आयोग ने 5138 उम्मीदवारों को पीटी में सफल घोषित किया. इसके बाद मामला हाइकोर्ट पहुंचने पर सरकार ने नियमावली बदली. इससे उत्तीर्ण उम्मीदवारों की संख्या 6103 हो गयी.
पुन: छात्रों द्वारा हंगामा किये जाने व मामला हाइकोर्ट में जाने पर सरकार ने नियमावली बदली. इससे उत्तीर्ण उम्मीदवारों की संख्या 34 हजार हो गयी. इस आधार पर मुख्य परीक्षा का भी आयोजन किया गया. इसमें लगभग 27 हजार उम्मीदवार शामिल हुए. मामला फिर हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. इसमें कोर्ट ने पूर्व में उत्तीर्ण 6103 उम्मीदवारों का रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया. आयोग ने रिजल्ट जारी किया. इसमें 990 उम्मीदवार सफल हुए. इसके आलोक में साक्षात्कार का भी आयोजन किया गया.