राज्य भर में बिना नक्शे के बने (अनधिकृत) निर्माण को नियमित करने के प्रारूप को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंजूरी दे दी है. इसके मुताबिक 31 दिसंबर 2019 के पूर्व निर्मित आवासीय और गैर आवासीय या व्यवसायिक भवनों का नियमितीकरण किया जायेगा. नियमित किये जानेवाले भवनों पर बिल्डिंग बाइलाॅज में किये गये प्रावधान लागू नहीं होंगे. 15 मीटर तक की ऊंचाई वाले जी प्लस थ्री भवनों को इसके तहत नियमित किया जायेगा. इसके लिए 500 वर्गमीटर से कम प्लॉट का प्लिंथ क्षेत्र 100 प्रतिशत और 500 वर्गमीटर से बड़े प्लाट का प्लिंथ क्षेत्र 75 प्रतिशत या 500 वर्गमीटर (दोनों में जो भी कम हो) होना चाहिए.
प्रारूप में आवासीय और गैर आवासीय भवनों को नियमित करने लिए अलग-अलग शुल्क का निर्धारण किया गया है. नगर निगम, विकास प्राधिकरण, आयडा व अधिसूचित क्षेत्रों में आवासीय भवन को नियमित कराने के लिए 100 रुपये प्रति वर्गमीटर और गैर-आवासीय के लिए 150 रुपये प्रति वर्गमीटर की राशि देय होगी. वहीं, नगर परिषदों में आवासीय भवन के लिए 75 रुपये प्रति वर्गमीटर और गैर-आवासीय या व्यवसायिक भवनों को नियमित करने के लिए 100 रुपये प्रति वर्गमीटर फीस लगेगी. नगर पंचायतों में आवासीय भवन के लिए 50 रुपये प्रति वर्गमीटर एवं गैर-आवासीय भवनों को नियमित कराने के लिए 75 रुपये प्रति वर्गमीटर शुल्क तय किया गया है.
राज्य के शहरों में किये गये अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए तीसरी बार योजना बनायी गयी है. सबसे पहले वर्ष 2011 में अनधिकृत निर्माण को नियमितीकरण शुल्क के माध्यम से वैध करने के लिए झारखंड अधिनियम अधिसूचित किया गया था. इसके बाद वर्ष 2019 में अवैध निर्माण नियमित करने के लिए योजना लागू की गयी. लेकिन, नियमित करने के लिए अधिक शुल्क निर्धारण और नीतिगत खामियों की वजह से दोनों बार योजना सफल नहीं हो सकी. बहुत कम संख्या में लोगों ने निर्माण नियमित कराने के लिए आवेदन किया था.
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मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत किये गये प्रारूप के मुताबिक एक हजार वर्गफीट (एक वर्गफीट = 0.09 वर्गमीटर अर्थात 1000 वर्गफीट = 92.90 वर्गमीटर) में किये गये आवासीय निर्माण को वैध कराने के लिए नगर निगम या विकास प्राधिकरण क्षेत्र में केवल 9290 रुपये का शुल्क चुकाना होगा. नगर निगम क्षेत्र में ही किये गये एक हजार वर्गफीट के व्यावसायिक निर्माण को नियमित कराने के लिए 13935 रुपये देय होगा. नगर परिषदों में एक हजार वर्गफीट पर किये गये आवासीय भवन के लिए 6967 रुपये और गैर-आवासीय या व्यवसायिक भवनों को नियमित करने के लिए 9290 रुपये फीस लगेगी. नगर पंचायतों में इसी आकार के आवासीय भवन के लिए 4645 रुपये एवं गैर-आवासीय भवनों को नियमित कराने के लिए 6967 रुपये शुल्क लगेगा.
अवैध भूमि पर किये गये अनधिकृत निर्माण को नियमितीकरण की इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. गलत तरीके से खरीदी या कब्जा की गयी आदिवासी या सरकारी भूमि पर किये गये निर्माण को भी योजना के तहत नियमित नहीं किया जायेगा. योजना के तहत केवल वही लोग निर्माण नियमित करा सकेंगे, जिन्होंने साफ-सुथरी जमीन पर निर्माण किया हो और किसी कारण या अज्ञानतावश नक्शा नहीं स्वीकृत कराया हो.
प्रारूप को अधिक प्रभावी और सरल बनाने के लिए लोगों से आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किया जायेगा. एक महीने तक राज्य सरकार आपत्तियां और सुझाव स्वीकार करेगी. उसके बाद आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर उसे लागू कर कार्यवाही की जायेगी.