छत्तीसगढ़ से मजदूरों को लेकर झारखंड पहुंची बसें, बंगाल से खाली लौटायी गयी

गृह मंत्रालय के आदेश के आलोक में बसों से मजदूरों को छत्तीसगढ़ से लाने का काम शुरू हो गया. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भेजी गयी पांच बसें मजदूरों को लेकर रांची स्थित पारस अस्पताल जांच के लिए पहुंची हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | May 4, 2020 12:16 AM

रांची : गृह मंत्रालय के आदेश के आलोक में बसों से मजदूरों को छत्तीसगढ़ से लाने का काम शुरू हो गया. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भेजी गयी पांच बसें मजदूरों को लेकर रांची स्थित पारस अस्पताल जांच के लिए पहुंची हैं. प्रारंभिक जांच के बाद इन्हें अपने-अपने जिले में भेज दिया जायेगा. हालांकि झारखंड से भी सात बसें छत्तीसगढ़ भेजी गयी हैं. पश्चिम बंगाल के साथ इस मामले में अभी अड़चन कायम है.

केंद्र द्वारा जारी दिशानिर्देश के अनुसार प्रवासी मजदूरों के आदान-प्रदान के मामले में पहले दोनों राज्यों के बीच आपसी सहमति बनेगी. इस नियम के मद्देनजर चीफ नोडल ऑफिसर ने बसों से मजदूरों को पहुंचाने से संबंधित प्रपत्र सभी जिलों को भेज दिया है. राज्य सरकार ने बिहार, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों से मजदूरों को बसों से लाने की योजना बनायी है. नियमानुसार सहमति के बाद छत्तीसगढ़ से सहमति के बाद मजदूरों को लेकर बसों का आना-जाना शुरू हो गया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने पांच बसों से 179 झारखंडी मजदूरों को भेजा है.

इसमें से 18 मजदूरों को लातेहार और 12 को लोहरदगा में उतार लिया गया. बाकी 149 मजदूरों को लेकर छत्तीसगढ़ की बसें रांची पहुंचीं. इसमें रांची और खूंटी के मजदूर हैं. दूसरी तरफ बंगाल भेजी गयी बसों को लौटा दिये जाने की सूचना है.बंगाल पास लेकर निजी गाड़ी से बच्चों को लाने जा रहे अभिभावकों को खदेड़ा रांची और जमशेदपुर सहित अन्य जगहों से पास लेकर अपने बच्चों को लाने के लिए पश्चिम बंगाल निकले अभिभावकों को रविवार को झारग्राम के किरकिरा के पास रोक दिया गया.

पश्चिम बंगाल पुलिस-प्रशासन ने पास देखने के बाद भी उन्हें आगे जाने नहीं दिया. कुछ लोगों पर लाठियां भी चलायी गयीं. रांची के धुर्वा निवासी मिथिलेश कुमार ने बताया कि उन पर भी लाठी चलायी गयी. वह कल ही डीटीओ, रांची से पास लेकर अपनी बेटी को लाने कोलकाता जा रहे थे, लेकिन रविवार सुबह 4:30 बजे से ही किरकिरा में फंसे हुए हैं. उनका कहना है कि यहां खाने-पीने की भी दिक्कत है. यही स्थिति अन्य अभिभावकों के साथ भी है.

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