रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय प्रसाद की अदालत ने एडहॉक नियुक्ति के समय से (वर्ष 1987 से) सेवा की गणना करने को लेकर दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया है. अदालत ने याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को प्रार्थियों (पशु चिकित्सकों) की सेवा की गणना एडहॉक नियुक्ति के समय यानी वर्ष 1987 से करने का आदेश दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इसके आधार पर पेंशनादि का लाभ दिया जाये. 25 अगस्त 1989 नियुक्ति तिथि की बजाय उनके पेंशन लाभ की गणना उनकी प्रारंभिक तदर्थ/अस्थायी नियुक्ति की तिथि से की जानी चाहिए. ऐसा हस्तक्षेपकर्ता या किसी अन्य व्यक्ति की वरिष्ठता को प्रभावित किये बिना होना चाहिए. हालांकि वरिष्ठता के लिए प्रार्थियों का दावा मान्य नहीं है. इस स्टेज पर उनका दावा खारिज किया जाता है, क्योंकि वे लगभग 28 वर्षों की देरी के बाद आवेदन कर रहे हैं. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने पैरवी की.ज्ञात हो कि प्रार्थी पशु चिकित्सक डॉ विजय कुमार, डॉ अनिल कुमार व अन्य की ओर से याचिका दायर की गयी थी. उनका कहना था कि उनकी प्रारंभिक नियुक्ति (एडहॉक नियुक्ति) 1987 से सेवा की गणना की जानी चाहिए तथा उसके अनुसार सभी लाभ दिये जायें.
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