रांची. राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह हर वर्ष 21 नवंबर तक मनाया जाता है. इसके तहत झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सभी अस्पतालों में उपचार शिविर लगायेगा. इस दौरान केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार कई तरह की गतिविधियों का आयोजन होता है. इसके तहत निचले स्तर पर भी नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) सहित मातृ-शिशु वार्ड और वहां मिलने वाले उपचार को बेहतर करना है. इसका मुख्य उद्देश्य नवजात के स्वास्थ्य को सुदृढ़ करना और जन्म के फौरन बाद की अवधि में शिशु मृत्यु दर को कम करना है. बताते चलें कि झारखंड की शिशु मृत्यु दर 25 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 27 है. इसे भविष्य में और कम करना है.
शहर से लेकर गांव के हाट बाजार तक चलेगा अभियान
नवजात शिशु सप्ताह की जानकारी आम लोगों को हो, इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. शहर से लेकर गांव के हाट बाजार तक अभियान चला जा रहा है. बैनर-पोस्टर को दवा दुकानों के साथ ही हाट-बाजारों में लगाना है.
नवजातों की मृत्यु के प्रमुख कारण
देश में नवजातों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में समय से पहले जन्म, जन्म संबंधी जटिलताएं , नवजात शिशुओं में संक्रमण, कम वजन, कुपोषण और जन्मजात विसंगतियां शामिल हैं.
B
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है