Meri Ranchi Meri Jimmedari Abhiyan Jharkhand रांची : रांची शहरी क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए मेरी रांची, मेरी जिम्मेदारी अभियान शुरू किया जा रहा है. इसकी पहली बैठक (वर्चुअल) शनिवार को होगी. भारतीय वन सेवा के अधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी की पहल पर राजधानी के कई प्रतिष्ठित लोगों और संस्थाओं ने इसमें अपनी हिस्सेदारी देने पर सहमति दी है. रांची (नगर निगम) पूरे देश में सबसे कम वृक्ष वाली राजधानियों में से एक है. पिछले दो-तीन दशक और आज की रांची में काफी बदलाव आया है.
बरगद, पीपल, गूलर, पाकड़, बड़हर, कटहल, आम, नीम, जामुन आदि विशाल वृक्ष इस शहर की विरासत थी, जो अब नहीं है. इसके लिए जनभागीदारी से श्री त्रिपाठी स्थिति बदलने का प्रयास कर रहे हैं. आज तक श्री त्रिपाठी ग्रामीण इलाकों में काम करते रहे हैं. राजधानी से सटे आरा केरम गांव की स्थिति बदलने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में आरा केरम गांव की व्यवस्था की तारीफ की थी.
इस अभियान के लिए पांच साल की योजना तैयार की गयी है. इस वर्ष चहारदीवारी वाले संस्थानों में पौधरोपण किया जायेगा. इसमें शैक्षणिक संस्था, सरकारी कार्यालय, गैर सरकारी प्रतिष्ठान और निजी घरों को चिह्नित किया जायेगा. दूसरे चरण में खुले एरिया को चिह्नित किया जायेगा. इस अभियान को पौधरोपण के साथ-साथ जल संरक्षण से भी जोड़ा जायेगा.
इस अभियान के लिए कोई समारोह, आयोजन या कोई मुख्य अतिथि नहीं होगा. अभियान के हिस्सेदार नागरिक होंगे. सभी 53 वार्ड में नागरिकों की एक समिति होगी. समिति काम को आगे बढ़ायेगी. अगर कोई सरकारी संस्था इस कार्य में सहयोग करना चाहती है, तो कर सकती है. यह कार्यक्रम सरकारी नहीं होगा.
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) इस अभियान का साथी बन गया है. बल के सहायक कमांडेंट डॉ गौतम और कमल कुमार सिंह सिंह ने सिद्धार्थ त्रिपाठी से मिलकर 3500 पौधारोपण करने का आश्वासन दिया है. इसके अतिरिक्त रांची विवि के पूर्व कुलपति डॉ रमेश पांडेय, विनोबा भावे विवि के पूर्व कुलपति डॉ रमेश शरण, शिक्षाविद् डीआर सिंह, राम सिंह, बैकुंठ पांडेय, रिटायर सीसीएफ महेंद्र प्रसाद, उद्यमी विकास सिंह के अलावा चेंबर, रोटरी, लायंस, डॉक्टर एसोसिएशन, रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन, योगदा सत्संग, भारत सेवाश्रम, रामकृष्ण मिशन, आइआएनआरजी, आइएफपी आदि ने सहमति जतायी है.
कई लोगों की जन्मस्थली या कर्मस्थली रांची है. आज से 20 साल पहले रांची ऐसी नहीं थी. सेटेलाइट इमेज देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. हमें अपनी पुरानी रांची चाहिए. इसके लिए नागरिक प्रयास की जरूरत है. जब लोगों का प्रयास शुरू होगा, सरकारी सहयोग मिलने लगेगा. व्यवस्था बदलने के लिए छोटे-बड़े से ऊपर उठ कर काम करने की जरूरत है. यह देश में अपनी तरह का अनूठा प्रयास होगा. इस कार्य के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है.
सिद्धार्थ त्रिपाठी, अधिकारी, भारतीय वन सेवा
Posted By : Sameer Oraon