वरीय संवाददाता (रांची). झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने मौखिक रूप से राज्य सरकार व झारखंड विधानसभा से पूछा कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट में ऐसी क्या त्रुटि थी, जिस कारण जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग का गठन करना पड़ा. राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. वहीं, विधानसभा को संबंधित मामले की संचिका को सीलबंद लिफाफे में मामले में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी. इससे पूर्व राज्यपाल की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि इस मामले में विधानसभा कार्यालय की संलिप्तता थी, इसलिए पत्र लिखा गया था. इसके बाद लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय कमेटी बनी थी. उनके इस्तीफा के बाद जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था. इस आयोग की रिपोर्ट आने के बाद जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग बनाने के संबंध में राज्यपाल को कोई जानकारी नहीं दी गयी थी और न ही इस आयोग को बनाने में राज्यपाल से अप्रूवल लिया गया था. झारखंड विधानसभा की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा व अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की, जबकि प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है. प्रार्थी ने मामले में सीबीआइ जांच की मांग की है.
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