रांची : सीआइडी मुख्यालय में पुलिस अफसरों के मोबाइल नंबर को अपराधियों और पशु तस्करों का नंबर बता कर फोन टेप करने के मामले में डोरंडा थाना में दर्ज केस को सीआइडी ने अनुसंधान के लिए पुलिस से टेकओवर कर लिया है. केस की जांच के लिए सीआइडी मुख्यालय के अधिकारियों ने टीम का गठन किया है. टीम ने केस की जांच शुरू कर दी है. अनुसंधान में प्राथमिकी के नामजद आरोपी या अन्य किसी की संलिप्तता के बिंदु पर साक्ष्य एकत्र करने के बाद आगे की कार्रवाई करेगी.
उल्लेखनीय है कि मामले में डीएसपी मुख्यालय सीआइडी रंजीत लकड़ा की शिकायत पर डोरंडा थाना में 18 जुलाई को केस दर्ज हुआ था. पूर्व में जांच की जिम्मेवारी डोरंडा थाना के सब इंस्पेक्टर चंद्रशेखर यादव को सौंपी गयी थी. लेकिन बाद में पुलिस मुख्यालय के स्तर से केस में गहराई से अनुसंधान के लिए सीआइडी को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया था.
सीआइडी की जांच में एक मोबाइल नंबरधारक की पहचान चौका के थाना प्रभारी रतन कुमार सिंह, दूसरे मोबाइल नंबरधारक की पहचान चुटिया थाना में पूर्व में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारी रंजीत कुमार सिंह और तीसरे मोबाइल नंबर धारक की पहचान पुलिसकर्मी इरफान के रूप में की गयी थी. रतन सिंह का मोबाइल नंबर टैप करने के लिए उनके मोबाइल नंबर को अपराधी का बताया गया था. जबकि इरफान के मोबाइल नंबर को पशु तस्कर का और रंजीत सिंह के मोबाइल नंबर को धनबाद में सक्रिय पशु तस्कर रौनक कुमार का बताया गया था.
सीआइडी की जांच में यह बात सामने आयी थी कि उपरोक्त मोबाइल नंबर को टेप करने के लिए अनुरोध पत्र पर सीआइडी के तत्कालीन एसपी मनोज रतन चौथे और सीआइडी के तत्कालीन डीएसपी विनोद रवानी का हस्ताक्षर था. जिनसे पूछताछ करने पर सीआइडी के अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिली थी कि संबंधित नंबरों को टेप करने के लिए तकनीकी शाखा के तत्कालीन पदाधिकारी अजय कुमार साहू ने संचिका तैयार की थी. गृह सचिव को भी अनुरोध पत्र भेजा गया था. जांच रिपोर्ट के आधार पर अजय कुमार साहू को प्राथमिकी अभियुक्त बनाया गया था.
Post by : Pritish Sahay