झारखंड : बिरसा मुंडा स्मृति पार्क के पेड़-पौधे को उखाड़े जाने का मामला पकड़ा तूल, रांची की मेयर ने दी चेतावनी
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राजधानी रांची स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित है. इसको लेकर पार्क में लगे पेड़-पौधे को उखाड़े जाने के मामले को बीजेपी ने गंभीरता से लिया. रांची मेयर ने नाराजगी जाहिर करते हुए तत्काल काटे पेड़ों को लगाने की मांग की है.
Jharkhand News: विश्व आदिवासी दिवस पर राजधानी रांची के बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में आयोजित कार्यक्रम के नाम पर पौधे उखाड़े जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है. बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री सह रांची की मेयर आशा लकड़ा ने इसे गंभीरता से लिया है. मंगलवार को पार्क का मुआयना करते हुए मेयर ने कहा कि बीजेपी इस पार्क पर एक खरोंच भी बर्दास्त नहीं करेगी. इस परिसर का कण-कण पवित्र है. राज्य भर के सरना स्थल की मिट्टी यहां प्रतिष्ठित है.
रांची मेयर आशा लकड़ा नाराज
रांची की मेयर ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले कार्यक्रम की तैयारी को लेकर बिरसा मुंडा स्मृति पार्क को जिस तरह से नुकसान पहुंचाया जा रहा है, तोड़- फोड़ की जा रही है, पेड़ों को उखाड़ कर फेंक दिया गया यह स्वीकार्य नहीं है. राज्य सरकार की अदूरदर्शिता की आलोचना करते हुए कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री 74वें राज्यव्यापी वन महोत्सव में लोगों से पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाने एवं पेड़ बचाने की अपील कर रहे हैं. वहीं, स्थानीय प्रशासन पेड़ों को उखाड़कर न सिर्फ पार्क की सुंदरता को नष्ट कर रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयास को भी विफल कर रहा है.
पीएम ने संवारा, स्थानीय प्रशासन उजाड़ रहा
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से इस पार्क को आकर्षक ढंग से संवारा गया. 15 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन कर बिरसा मुंडा की जयंती को पूरे भारत में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत कर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को अविस्मरणीय बनाने की पहल किया. वहीं, स्थानीय प्रशासन के अर्द्धविवेकपूर्ण रवैये के कारण पार्किंग की छत को ड्रिल कर नुकसान पहुंचाया जाना और लोगों के बैठने के लिए बनाये गये मंडप को तोड़ा जाना समझ से परे है.
यह पार्क लोगों के लिए है प्ररेणा स्थल
मेयर ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा पार्क और संग्रहालय का कण-कण पवित्र है. यह स्थल झारखंड सहित पूरे देश की जनता के लिए प्रेरणा स्थल है. झारखंड के प्रत्येक जनजाति गांव के सरना स्थल की मिट्टी इस परिसर में प्रतिष्ठित है. यह स्थल जनजाति समाज के गौरव भगवान बिरसा मुंडा की तपस्थली, संघर्ष स्थली है जहां धरती आबा ने झारखंड में अंग्रेजो के शोषण के खिलाफ और जनजाति समाज की संस्कृति, पहचान केलिए संघर्ष करते हुए अपनी अंतिम सांस ली थी. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम कहीं दूसरे स्थान पर भी करवाया जा सकता था. इस स्थान से खिलवाड़ करना जनजातीय समाज के गौरव से खिलवाड़ करने जैसा है.
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काटे गये पेड़ों की जगह लगे नये पेड़
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से काटे गये पेड़ों की जगह तत्काल नये पेड़ लगाने और पार्क को सुरक्षित रखने की मांग की है. साथ ही पार्क को क्षति पहुंचाने के जिम्मेवार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने मांग भी की है.
क्या है मामला
जल, जंगल और जमीन पर निर्भर रहनेवाले आदिवासियों का विश्व आदिवासी दिवस नौ अगस्त को है. इस दिवस को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी में झारखंड की हेमंत सरकार जोर-शोर से जुटी हुई है. इस बार दो दिवसीय विश्व आदिवासी दिवस राजधानी रांची के जेल चौक स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में होगा. इसको लेकर लाखों की लागत से बनाये गये गार्डेन को बरबाद कर दिया गया. हरे-भरे पेड़ों को काटा गया. वहीं, गार्डेन में लगे पौधों को उखाड़ दिया गया है.
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मुख्यमंत्री ने पौधा लगाने का दिया संदेश
वहीं, सोमवार को विधानसभा परिसर में वन विभाग द्वारा आयोजित 74वें राज्यव्यापी वन महोत्सव के मौके पर हेमंत सोरेन ने लोगों से पौधा लगाने की अपीलकी. कहा कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है. जलवायु परिवर्तन से हर प्राणी प्रभावित होता है. इस कारण आज जरूरी है कि केवल महोत्सव के माध्यम से ही नहीं, आम जीवन में भी पर्यावरण से संबंधित कार्यक्रम हो. कल के बदलाव के लिए आज पेड़ लगायें.
देश-दुनिया झेल रहा है मौसम परिवर्तन का असर
विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि मौसम परिवर्तन का प्रभाव आज देश-दुनिया झेल रहा है. न तो समय से बारिश होती है, न ही गर्मी का आगमन समय पर हो रहा है. जीव-जंतुओं पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है. इसका असर खेती पर भी पड़ रहा है. इस कारण हर इंसान को अपने जीवन में पेड़ लगाने की कोशिश करनी चाहिए. सभ्यता के विकास की अंधी दौड़ में जो पेड़ों की कटाई हो रही है, उसकी भरपाई अब तक नहीं हो पायी है. इसके लिए देश और राज्य के लोगों को योगदान देना होगा. शिबू सोरेन भी पार्टी सदस्यता के लिए रसीद के अलावा पांच-पांच पेड़ लगवाते थे. यह झामुमो का अभियान भी था. राजनीति के प्रारंभिक काल में इसका पालन करने वाले आज उसका फल खा रहे हैं.
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वनों के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं : डॉ संजय श्रीवास्तव
वहीं, पीसीसीएफ (हॉफ) डॉ संजय श्रीवास्तव ने कहा कि वनों के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. स्थिति अभी ज्यादा खराब है. क्लाइमेट चेंज से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में झारखंड भी है. यहां 2.38 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है. रांची शहरी इलाकों में एक लाख पौधा लगाया जायेगा. नदियों के किनारे 109 किलोमीटर में पौधे लगाये जायेंगे. धन्यवाद ज्ञापन एपीसीसीएफ एनके सिंह ने किया. मौके पर मंत्री आलमगीर आलम, बादल, मिथिलेश ठाकुर, विधायक नीरा यादव, अपर्णा सेनगुप्ता, इरफान अंसारी, राजेश कच्छप, वन विभाग के अपर मुख्य सचिव एल ख्यांग्ते आदि मौजूद थे.
बिरसा मुंडा स्मृति पार्क पहुंचे सचिव, दिये निर्देश
मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे ने विश्व आदिवासी दिवस पर होनेवाले दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय के कार्यक्रम झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 की तैयारियों का जायजा लिया. जेल चौक स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क सह संग्रहालय कार्यक्रम में जाकर तैयारियों की समीक्षा कर आवश्यक निर्देश दिये. वह कार्यक्रम स्थल के इंट्री-एग्जिट, मुख्य कार्यक्रम स्थल, ब्रांडिंग, प्रदर्शनी, फूड कोर्ट, पार्किंग, वीआइपी लाउंज, लाइट एंड साउंड शो, फिल्म फेस्टिवल, सेमिनार आदि के लिए चयनित स्थलों पर गये. इस दौरान डीसी समेत कई अफसर उपस्थित थे.
कई कार्यक्रमों का होगा आयोजन
झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 में सेमिनार, पैनल डिस्कशन, ट्राइबल फिल्म फेस्टिवल, ट्राइबल फूड्स फेस्टिवल और पेंटिंग एग्जीबिशन का आयोजन किया जायेगा. गीत, नृत्य, इंस्ट्रूमेंटल परफॉर्मेंस, नेशनल और इंटरनेशनल बैंड के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे.
30 एकड़ में फैला है पार्क और म्यूजियम
भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क सह म्यूजियम 30 एकड़ में फैला है. 142 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर इसे संवारा गया है. इसके निर्माण में 117 करोड़ रुपये से अधिक झारखंड सरकार और 25 करोड़ के करीब केंद्र सरकार की ओर से राशि आवंटित हुई है. यहां 25 एकड़ क्षेत्र में भगववान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क है, वहीं पांच एकड़ में म्यूजियम बनाया गया है.
25 फीट ऊंची है भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा
इस पार्क में भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. इसके अलावा कई वीर स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा भी स्थापित है. इसमें गंगा नारायण सिंह, भागीराथी मांझी, वीर बुधु भगत, पोटो हो समेत अन्य वीर सेनानियों की नौ-नौ फीट की प्रतिमा स्थापित है. वहीं, इस पार्क में लोजर और लाइट शो के माध्यम से वीर स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी और संघर्ष की गाथा भी दिखेगी.
आदिवासी संस्कृति और इतिहास को समझने का महत्वपूर्ण स्थल
भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क और म्यूजियम एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, जो रांची के आदिवासी संस्कृति और इतिहास को समझने के लिए लोगों को आकर्षित करता है. यहां पर्यटक आदिवासी कला, सांस्कृतिक विरासत और भगवान बिरसा मुंडा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
बिरसा मुंडा के योगदान को समझने का महत्वपूर्ण स्थान
यह स्मृति पार्क भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को समझने और समर्थन करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है और झारखंड राज्य के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस पार्क में आदिवासी जीवन और संस्कृति के अन्य पहलुओं को भी दर्शाया गया है.
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भगवान बिरसा मुंडा को समर्पित है यह पार्क
यह स्मृति पार्क झारखंड के वीर भगवान बिरसा मुंडा को समर्पित है, जिन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष किया था और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा की थी. यह स्मृति पार्क उनके अवतार, समर्थनकर्ताओं, विद्रोहों और उपलब्धियों को बेहतर तरीके से समझने के लिए एक म्यूजियम के रूप में भी कार्य करता है. इसमें उनके जीवन के प्रमुख घटनाक्रम, विद्रोह की वजह, उनके संघर्ष के पीछे के उद्देश्य और इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बनाने वाले उनके संघर्षशील जीवन की कहानी दर्शायी जाती है.
बिरसा मुंडा के संघर्ष को जानें
बता दें कि बिरसा मुंडा के संघर्ष ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें भारतीय आजादी के संग्राम में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ. उन्हें उनके साहस, संघर्ष और लोकप्रियता के लिए याद किया जाता है और उन्हें आजाद भारत के गौरवशाली वीरों में से एक माना जाता है. बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के अधिकारों को लेकर हमेशा संघर्ष किये. बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश सरकार के उत्पीड़न, विस्थापन और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष किया.
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