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EXCLUSIVE: झारखंड में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध और अत्याचार के मामले घटे, देश में बढ़े

Crime and Atrocities Against Scheduled Caste: एनसीआरबी के रिकॉर्ड बताते हैं बताते हैं कि झारखंड में एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) एक्ट आर/डब्ल्यू आईपीसी के तहत वर्ष 2021 में 360 मामले दर्ज किये गये, जिसमें 390 पीड़ित थे. इस वर्ग के एक लाख में 9 लोगों को अपराध का सामना करना पड़ा.

By Mithilesh Jha | November 16, 2022 6:08 PM

Crime and Atrocities Against Scheduled Caste: झारखंड में अनुसूचित जाति (एससी) के खिलाफ अपराध और अत्याचार के मामलों में कमी आयी है. वहीं, देश में एससी के खिलाफ अपराध के मामले बढ़े हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021 में झारखंड में एससी के खिलाफ अपराध या अत्याचार के 546 मामले दर्ज किये गये, जबकि देश भर में यह आंकड़ा 50,900 रहा.

वर्ष 2020 में दर्ज हुए थे 666 मामले

एनसीआरबी (National Crime Record Bureau) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में वर्ष 2019 में 45,961 मामले दर्ज किये गये थे, जबकि वर्ष 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 50,291 और वर्ष 2021 में 50,900 हो गया. हालांकि, झारखंड में यही संख्या वर्ष 2019 में 651 थी, जो वर्ष 2020 में बढ़कर 666 हो गयी. लेकिन वर्ष 2021 में यह संख्या घटकर 546 रह गयी.

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2021 में दर्ज किये गये 360 मुकदमे

एनसीआरबी (NCRB) के रिकॉर्ड बताते हैं बताते हैं कि झारखंड प्रदेश में एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) एक्ट आर/डब्ल्यू आईपीसी के तहत वर्ष 2021 में 360 मामले दर्ज किये गये, जिसमें 390 पीड़ित थे. वर्ष 2021 में एक लाख में से 9 लोगों को किसी न किसी रूप में अपराध का सामना करना पड़ा.

सिर्फ एक हत्या का मामला

आंकड़े यह भी बताते हैं कि झारखंड में एक साल के दौरान दर्ज किये गये कुल मामलों में एक हत्या का केस था. इसमें एक व्यक्ति की मौत हुई. वहीं, 13 केस ऐसे दर्ज हुए, जिसमें कहा गया है कि 15 लोगों की हत्या की कोशिश की गयी. इसमें 104 ऐसे मामले थे, जिसमें 116 लोगों को हल्की-फुल्की चोटें आयीं. वहीं, 55 ऐसे मामले दर्ज हुए, जिसमें 56 लोगों को गंभीर चोटें आयीं.

झारखंड में एससी पर एसिड अटैक का कोई केस नहीं

झारखंड में वर्ष 2021 में अनुसूचित जाति के लोगों पर एसिड अटैक की कोई घटना नहीं हुई. हालांकि, 42 ऐसे मामले दर्ज हुए, जिसमें महिलाओं का शीलभंग करने के उद्देश्य से उन पर हमला किया गया. 43 महिलाएं और बच्चियां पीड़ित हुईं. इनमें से 31 महिलाओं को प्रताड़ना झेलनी पड़ी. 6 केस दर्ज किये गये, जिसमें 7 महिलाओं को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. झारखंड में 5 महिलाओं को नंगा करने का मामला दर्ज किये गये.

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अपहरण के 7 मामले दर्ज हुए

झारखंड में जो केस दर्ज किये गये, उनमें से 7 किडनैपिंग यानी अपहरण से जुड़े थे. एक महिला का अपहरण उसे शादी के लिए मजबूर करने के इरादे से किया गया था. दो नाबालिग लड़कियों की खरीद-फरोख्त का भी मामला झारखंड में सामने आया. अनुसूचित जाति की 16 महिलाओं से बलात्कार के केस भी प्रदेश में दर्ज किये गये. इनमें एक नाबालिग और 15 महिला से दुष्कर्म हुआ.

24 केस में 38 लोगों को बनाया गया आरोपी

अनुसूचित जाति की एक बच्ची से दुष्कर्म का मामला सामने आया और पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया. बलात्कार की कोशिश के दो मुकदमे दर्ज किये गये. 24 केस में 38 लोगों को आरोपी बनाया गया.

जमीन या संपत्ति हथियाने के 13 मुकदमे हुए दर्ज

अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन या संपत्ति हथियाने के 13 केस दर्ज किये गये. इसी वर्ग के कम से कम 9 लोगों को बलपूर्वक उनके घर से बेदखल कर दिया गया. बता दें कि पिछले साल के 1,301 मामले अभी भी पेंडिंग हैं. इस वर्ष 546 केस दर्ज हुए. कुल मिलाकर केस की संख्या 1,847 हो गयी. इनमें 268 केस खत्म हो गये. आंकड़ों के मुताबिक, 93 केस असंज्ञेय थे, 49 केस की फाइनल रिपोर्ट गलत साबित हुई. वहीं, 126 केस में तथ्य में गड़बड़ी पायी गयी या मामला कानूनी पचड़े में खत्म हो गया.

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सबूत के अभाव में खारिज हो गया मुकदमा

झारखंड में अनुसूचित जाति के खिलाफ दर्ज 80 मामलों में पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाया. पिछले साल के पेंडिंग 337 केस में इस साल चार्जशीट दाखिल हुई. वहीं, वर्ष 2021 में दर्ज हुए मामलों में से 123 केस में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की. कुल मिलाकर वर्ष 2021 में पुलिस ने 460 मामलों में चार्जशीट दाखिल की.

2,460 केस ट्रायल के लिए कोर्ट पहुंचे

वर्ष 2021 में कुल 808 केस में पुलिस की जांच पूरी हो गयी. साल के अंत में 1,039 केस पेंडिंग रह गये. झारखंड में अनुसूचित जाति के 2,000 मुकदमे पिछले साल भी पेंडिंग थे. इनमें से 460 केस में ट्रायल हुआ. इस तरह कुल 2,460 केस ट्रायल के लिए कोर्ट पहुंचे. पिछले साल के मुकदमों से 19 मामलों में लोगों को दोषी ठहराया गया. वहीं चालू वर्ष में दर्ज हुए मुकदमों में 9 लोगों को दोषी करार दिया गया. कुल मिलाकर 28 लोगों को दोषी ठहराया गया. दो केस डिस्चार्ज कर दिये गये. 22 मामले में लोग बरी हो गये. 52 केस का ट्रायल पूरा हुआ और इन मुकदमों की सुनवाई पूरी हो गयी. कोर्ट ने इन केसेज को डिस्पोज कर दिया.

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एससी के खिलाफ अपराध के मामलों में 568 गिरफ्तारी

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ अपराध करने वाले 568 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें 538 पुरुष और 30 महिलाएं थीं. वर्ष 2021 में कुल 691 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी. जिन लोगों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल हुई, उनमें 653 पुरुष और 38 महिलाएं थीं. इस दौरान 29 पुरुष और एक महिला को दोषी करार दिया गया. 22 लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया.

झारखंड में अनुसूचित जाति की आबादी 39.90 लाख

बिहार में यही आंकड़ा वर्ष 2019 में 6,544 था, जो वर्ष 2020 में बढ़कर 7,368 हो गया और वर्ष 2021 में घटकर 5,842 रह गया. बिहार में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 1 करोड़ 65 लाख 70 हजार है. झारखंड में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 39 लाख 90 हजार है, जबकि देश में इनकी संख्या 20 करोड़ 13 लाख 80 हजार है.

पश्चिम बंगाल के ऐसे हैं आंकड़े

पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति की आबादी 2 करोड़ 14 लाख 60 हजार है. वर्ष 2019 में 145 लोगों को अत्याचार या उनके खिलाफ अपराध का सामना करना पड़ा, जबकि वर्ष 2020 में यह संख्या 109 और वर्ष 2021 में 108 रह गयी.

चार्जशीट के मामले में बंगाल सबसे आगे

झारखंड में 56.9 फीसदी मामलों में पुलिस ने चार्जशीट फाइल की, जबकि बिहार में 82.3 फीसदी मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई. पश्चिम बंगाल में ऐसे 88.4 फीसदी मामलों में चार्जशीट दाखिल की गयी. पूरे देश के आंकड़े पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि 80 फीसदी मामलों में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी.

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