झारखंड में भी होगी जातीय जनगणना, विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजे जाएंगे

बिहार की तर्ज पर अब झारखंड में जातीय जनगणना की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. राज्य सरकार इसकी तैयारी में जुट गयी है. इसे विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जायेगा.

By Samir Ranjan | August 3, 2023 6:00 AM
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रांची, आनंद मोहन : झारखंड सरकार ‘जाति आधारित जनगणना’ कराने पर विचार कर रही है. राज्य सरकार की इसकी तैयारी में जुटी है. विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जायेगा. जातियों को जनसंख्या के आधार पर नियुक्ति से लेकर अन्य लाभ मिल सकें, इसके लिए ‘जाति आधारित जनगणना’ कराने की मांग लगातार उठती रही है. खासकर राज्य की नियुक्तियों में ओबीसी को आरक्षण के मामले में विधानसभा में स्वर उठते रहे हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक लगातार इसके लिए सरकार पर सदन और सदन के बाहर अपनी बातें रखते रहे हैं.

  • ‘सरना धर्म कोड’ का मामला पहले से ही केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है

  • इससे पूर्व भी दो प्रस्ताव केंद्र को भेजे जाने थे, जिन्हें राज्यपाल ने लौटाया था

  • 1932 खतियान आधारित झारखंडी पहचान और

  • आरक्षण की सीमा बढ़ा कर 77% करने संबंधी प्रस्ताव को राज्यपाल ने लौटाया था

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केंद्र के पाले में फेंकने की तैयारी

विधायक प्रदीप यादव के सवाल पर राज्य सरकार ने कहा है कि ‘जाति आधारित जनगणना’ का विचार किया जा रहा है और इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जायेगा. वर्तमान मानसून सत्र में ही सरकार की ओर से इस संबंध में वक्तव्य आया है. हालांकि, इससे पूर्व सदन में सरकार की ओर से कहा गया था कि ‘जाति आधारित जनगणना’ को लेकर सरकार फिलहाल कोई विचार नहीं कर रही है. सरकार के स्टैंड से साफ हो गया है कि ‘सरना धर्म कोड’ के बाद ‘जाति आधारित जनगणना’ का मामला भी केंद्र के पाले में फेंकने की तैयारी है. इससे पूर्व सरकार ने ‘1932 खतियान आधारित झारखंडी पहचान‘ और ‘आरक्षण की सीमा 77 प्रतिशत’ करने का प्रस्ताव राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा था. हालांकि, राज्यपाल ने इन दोनों विधेयकों को लौटा दिया था.

बिहार सरकार करा रही है जातीय जनगणना

पड़ोसी राज्य बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ‘जाति आधारित जनगणना’ करा रही है. हालांकि, बिहार सरकार के इस फैसले के विरोध में पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. इस पर हाइकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार को ‘जाति आधारित जनगणना’ कराने का अधिकार है.

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ओबीसी को मिल रहा है 14 प्रतिशत आरक्षण, 27 प्रतिशत कराने की मांग

झारखंड में फिलहाल पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. इसे 27 प्रतिशत करने की मांग हो रही है. विधायक प्रदीप यादव ने भी सरकार से पूछा था कि राज्य में पिछड़ों की आबादी औसतन 50 से 60 प्रतिशत है. सरकारी सेवाओं में इनको मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. जिला कोटी की सेवा में नौ जिलों में ओबीसी का आरक्षण शून्य है. ऐसे में ‘जाति आधारित जनगणना’ करायी जाये. फिलहाल, राज्य में एसटी को 26 प्रतिशत एससी को 10 प्रतिशत, ओबीसी-1 को 08 प्रतिशत, ओबीसी-2 को 6 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर को 10 प्रतिशत का आरक्षण है.

राज्य सरकार द्वारा 2022 में आरक्षण सीमा के किये गये संशोधन

  • एससी : 12 प्रतिशत

  • एसटी : 28 प्रतिशत

  • ओबीसी-1 : 15 प्रतिशत

  • ओबीसी-2 : 12 प्रतिशत

  • आर्थिक रूप से कमजोर : 10 प्रतिशत

  • कुल : 77 प्रतिशत

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क्या है जाति आधारित जनगणना

जाति आधारित जनगणना एक ऐसी जनगणना होती है जिसमें एक देश या क्षेत्र की जनसंख्या को उनकी जाति के आधार पर गणना किया जाता है. जाति एक सामाजिक अथवा वंशजाति की विशेषता और भेदभाव को दर्शाने वाला एक सामाजिक प्रणाली होती है. जाति आधारित जनगणना के माध्यम से जानकारी संकलित की जाती है और सरकार और अन्य संगठन इस जानकारी का उपयोग राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और कल्चरल नीतियों को बनाने और प्राथमिकताओं को निर्धारित करने के लिए करते हैं. इस प्रक्रिया से यह जानकारी प्राप्त की जाती है कि किस जाति के लोग किस भूभाग में अधिकांशतः निवास करते हैं और इससे उन्हें उस क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक संदर्भ के बारे में जानकारी मिलती है.

जनगणना का विरोध

जाति आधारित जनगणना को लेकर विरोध भी हो रहा है. कुछ लोग इसे समाज में भेदभाव और दलीयता को बढ़ावा देने का माध्यम मानते हैं और इससे जुड़ी जाति की अर्थव्यवस्था और स्थिति को प्रभावित करने का आरोप लगाते हैं. साथ ही इनलोगों का कहना है कि जाति आधारित जनगणना लोगों की व्यक्तिगत जानकारी को खतरे में डाल सकती है.

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ये है उद्देश्य

देश में जाति आधारित जनगणना को उदाहरण के तौर पर एक विशेष समय पर आयोजित किया जाता है, जिसमें विभिन्न जातियों के लोगों की जनसंख्या और उनके जीवनस्तर की जानकारी संकलित की जाती है. इस जनगणना का उद्देश्य विभिन्न सरकारी योजनाओं और नीतियों को विकसित करने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना होता है.

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