Caste Census: जातीय जनगणना को लेकर सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को दो साल पहले लिखा था पत्र, गिनाए थे फायदे

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने दो साल पहले सभी दलों की सहमति से जातीय जनगणना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. पत्र के माध्यम से जाति आधारित जनगणना कराये जाने से देश के नीति-निर्धारण में कई तरह के फायदों को बताया था.

By Guru Swarup Mishra | October 5, 2023 9:08 PM
an image

रांची: झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर 2021 से ही प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने विधानसभा से पारित कर आरक्षण से संबंधित विधेयक राज्यपाल को भेज दिया है. सरकार का स्पष्ट मानना है कि जो जिस समूह में जितनी संख्या में है, उतना अधिकार उनको मिले. गुरुवार को वे प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों के सवाल का जवाब दे रहे थे. आज से 92 वर्ष पूर्व जातीय जनगणना 1931 में की गयी थी एवं उसी के आधार पर मंडल कमीशन के द्वारा पिछड़े वर्गों को आरक्षण उपलब्ध कराने की अनुशंसा की गयी थी. सीएम हेमंत सोरेन ने दो साल पहले सभी दलों की सहमति से जातीय जनगणना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. पत्र के माध्यम से जाति आधारित जनगणना कराये जाने से देश के नीति-निर्धारण में कई तरह के फायदों को बताया था. पत्र में लिखा था कि पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने में ये आकड़े सहायक सिद्ध होंगे. नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के निमित्त बेहतर नीति-निर्धारण एवं क्रियान्वयन में आंकड़े मदद करेंगे. ये आंकड़े आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विषमताओं को भी उजागर करेंगे एवं इसके बाद लोकतांत्रिक तरीके से इनका समाधान निकाला जा सकेगा.

हेमंत सोरेन ने दो वर्ष पूर्व पीएम को लिखा था पत्र

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी दलों की सहमति से दो वर्ष पूर्व जातीय जनगणना के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर मांग की है. दिल्ली में झारखंड के सर्वदलीय शिष्टमंडल के सदस्यों ने जातीय जनगणना कराने का मांग पत्र गृह मंत्री को सितंबर 2021 में सौंपा था.

Also Read: VIDEO: तारा शाहदेव केस में रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल को उम्रकैद, मां को 10 साल व मुश्ताक अहमद को 15 साल कारावास

वंचितों की बेहतरी के लिए जरूरी है जातीय जनगणना

सीएम हेमंत सोरेन ने पत्र के माध्यम से कहा था कि संविधान में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के विकास के लिए विशेष सुविधा एवं आरक्षण की व्यवस्था की गयी है. आजादी के बाद से आज तक की कराई गई जनगणना में जातिगत आंकड़े नहीं रहने से विशेषकर पिछड़े वर्ग के लोगों को विशेष सुविधाएं पहुंचाने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. वर्ष 2021 में प्रस्तावित जनगणना में युगों-युगों से उत्पीड़ित, उपेक्षित और वंचित पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना नहीं कराने की सरकार द्वारा संसद में लिखित सूचना दी गयी, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. पिछड़े-अति पिछड़े वर्ग युगों से अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में यदि अब जातीय जनगणना नहीं करायी जायेगी तो पिछड़ी/अति पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक स्थिति का ना तो सही आकलन हो सकेगा, ना ही उनकी बेहतरी व उत्थान संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा और ना ही उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो पाएगा.

Also Read: Jharkhand Cabinet: झारखंड कैबिनेट से कैंसर व रैबिज अधिसूचित बीमारी घोषित, 32 प्रस्तावों को मिली मंजूरी

भारत में आर्थिक विषमता का जाति से है गहरा संबंध

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पत्र में लिखा था कि भारत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोगों ने सदियों से आर्थिक एवं सामाजिक पिछड़ेपन का दंश झेला है. आजादी के बाद विभिन्न वर्गों का विकास अलग-अलग गति से हुआ है. जिसके कारण अमीरों एवं गरीबों के बीच की खाई और बढ़ी है. भारत में आर्थिक विषमता का जाति से बहुत मजबूत संबंध है एवं सामान्यतया जो सामाजिक रूप से पिछड़े श्रेणी में आते हैं, वे आर्थिक तौर पर भी पिछड़े हुए हैं. सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के नारों को अमलीजामा पहनाने की जमीनी पहल करना समय की मांग है. विकास का खाका तैयार करने की पहली शर्त होती है जमीनी हकीकत की जानकारी. इसके लिए जातिगत जनगणना सबसे कारगर माध्यम साबित होगा.

Also Read: झारखंड: बाबूलाल मरांडी का सीएम हेमंत सोरेन पर सियासी हमला, बोले-गलत नहीं किया, तो ईडी के समन से भाग क्यों रहे?

समय की जरूरत है जातीय जनगणना

सीएम ने कहा कि जातिगत जनगणना कराने से ही समाज के सभी वर्गों को हिस्सेदारी के अनुपात में भागीदारी देना सुनिश्चित किया जा सकता है. इस मांग को समय की जरूरत समझी गई है इसलिए दल की दीवारें तोड़कर सब एक साथ केन्द्र से ये मांग कर रहे हैं कि जनगणना में सभी जातियों के राजनीति, आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्तर की जानकारियों को समावेश कर सार्वजनिक किया जाए. पिछड़ों और अति पिछड़ों को उनके जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी और भागीदारी नहीं मिल पा रही है. वजह है इनका सटीक जातीय आंकड़ा उपलब्ध न होना. ऐसी परिस्थिति में इन विषमताओं को दूर करने के लिए जातिगत आंकड़ों की काफी आवश्यकता है.

Also Read: झारखंड: जमशेदपुर आई हॉस्पिटल के कर्मियों को 19 फीसदी बोनस, अधिकतम 75 हजार रुपये, बैंक अकाउंट में कब आएगी राशि?

पत्र के माध्यम से बताए फायदे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्र के माध्यम से जाति आधारित जनगणना कराये जाने से देश के नीति-निर्धारण में कई तरह के फायदों को बताया था. पत्र में लिखा था कि पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने में ये आकड़े सहायक सिद्ध होंगे. नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के निमित्त बेहतर नीति-निर्धारण एवं क्रियान्वयन में आंकड़े मदद करेंगे. ये आंकड़े आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विषमताओं को भी उजागर करेंगे एवं इसके बाद लोकतांत्रिक तरीके से इनका समाधान निकाला जा सकेगा. संविधान की धारा-340 में भी आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त करने के निमित्त आयोग बनाने का प्रावधान है. जातिगत जनगणना से संविधान के इस प्रावधान का भी अनुपालन सुनिश्चित हो सकेगा. लक्ष्य आधारित योजनाओं में सुयोग्य लाभुकों को शामिल करने तथा नहीं करने में होने वाली त्रुटियों को कम करने में भी यह सहायक सिद्ध होगी.

Also Read: झारखंड: भारी बारिश का कहर, मिट्टी के कई मकान क्षतिग्रस्त, कई लोग घायल

Exit mobile version