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झारखंड में मोतियाबिंद सर्जरी से जुड़े घोटाले की जांच शुरू, इन जिलों के सिविल सर्जन को मिला ये निर्देश

गौरतलब है कि फर्जीवाड़े की आशंका जताते हुए ‘प्रभात खबर’ ने आयुष्मान के तहत आंखों की सर्जरी में झारखंड देश में दूसरे स्थान पर होने की खबर प्रकाशित की थी.

बिपिन सिंह, रांची : झारखंड के स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान भारत योजना के तहत विभिन्न अस्पतालों और चैरिटेबल संस्थाओं द्वारा मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान बरती जा रही वित्तीय अनियमितता को गंभीर मानते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश की है. दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के क्षेत्रीय उप निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं आरएन शर्मा ने रांची के अलावा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी और लोहरदगा जिला के सिविल सर्जन को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है. इसमें ‘प्रभात खबर’ में प्रकाशित खबर का भी जिक्र किया गया है.

रिपोर्ट में आयुष्मान योजना के तहत विभिन्न अस्पतालों और संबंधित चैरिटेबल एनजीओ द्वारा मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान बरती जा रही वित्तीय अनियमितता के संबंध में जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है. गौरतलब है कि फर्जीवाड़े की आशंका जताते हुए ‘प्रभात खबर’ ने आयुष्मान के तहत आंखों की सर्जरी में झारखंड देश में दूसरे स्थान पर होने की खबर प्रकाशित की थी. इसमें 23 सितंबर 2018 से 100 डॉक्टरों ने पांच साल में 3.78 लाख लोगों की आंखों का ऑपरेशन कर अपने से ज्यादा आबादी और लाभुकों की संख्या वाले राज्यों को भी काफी पीछे छोड़ दिया था.

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स्वास्थ्य विभाग ने मामले को अत्यंत गंभीर बता जांच के दिये आदेश

स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने नवंबर में आदेश जारी करते हुए मोतियाबिंद सर्जरी के बाद भी मरीजों को हो रही परेशानियों का जिक्र किया है. उन्होंने 100 डॉक्टरों द्वारा पांच साल में 3.78 लाख लोगों की आंखों के ऑपरेशन के मामले को पहली ही नजर में अत्यंत गंभीर और संवेदनशील माना.

तीन सदस्यीय समिति कर रही जांच

इस वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए प्रमंडल स्तर पर क्षेत्रीय उप निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है. इनमें संबंधित प्रमंडल के क्षेत्रीय उप निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं को जांच दल का अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं, संबंधित जिले के सिविल सर्जन, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक सदस्य के रूप में जांच की निगरानी और रिपोर्ट करेंगे.

जांच के दायरे में निजी अस्पताल भी

आयुष्मान योजना के अंतर्गत आंख के ऑपरेशन का दावा राशि जिनके द्वारा भी प्राप्त की गयी है, जांच में उन सभी को शामिल किया जाना है. संबंधित जिले में स्थित निजी अस्पतालों, चैरिटेबल संस्थाएं जिनके द्वारा शिविर के माध्यम से की गयी मोतियाबिंद ऑपरेशन की गहनता से बिंदुवार जांच कर स्पष्ट मंतव्य के साथ जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया है.

ऐसे संदेह के दायरे में आये अस्पताल

एक साल में आयुष्मान के तहत किये गये इलाज का 41 प्रतिशत आंखों के ऑपरेशन से संबंधित था. फरवरी 2023 से अगस्त तक (सिर्फ सात महीने में) आयुष्मान के तहत हुए इलाज में आंखों के इलाज का हिस्सा 33% तक पहुंच गया था. आंकड़ों के अनुसार, इन सात महीनों में ‘आयुष्मान भारत योजना‘ के तहत कुल 1.06 लाख लोगों का इलाज किया गया. इसमें 74.66 हजार आंखों के ऑपरेशन हैं.

मामला आयुष्मान योजना का

रांची के अलावा, गुमला, सिमडेगा, खूंटी और लोहरदगा के सिविल सर्जन से मांगी गयी जांच रिपोर्ट

मोतियाबिंद के ऑपरेशन में फर्जीवाड़े की आशंका जताते हुए ‘प्रभात खबर’ ने प्रकाशित की थी खबर

पांच साल में 3.78 लाख लोगों की आंखों का ऑपरेशन कर देश में दूसरे स्थान पर आ गया था झारखंड

जांच के केंद्र में लाये गये तथ्य

राज्य के कई अस्पतालों में ड्यूटी डॉक्टर नहीं, फिर भी आयुष्मान के तहत हो रहा इलाज और ऑपरेशन

राज्य में अभी आयुष्मान योजना के तहत होनेवाले इलाज का 40% हिस्सा सिर्फ आंख के ऑपरेशन का

फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट और डॉक्टरों के नाम का गलत इस्तेमाल कर योजना में किया जा रहा इलाज का दावा

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