सीबीआई करेगी साहिबगंज में अवैध खनन की जांच, झारखंड हाईकोर्ट ने दिया आदेश
झारखंड हाईकोर्ट ने सीबीआई को साहिबगंज में अवैध खनन की जांच करने का आदेश दिया है. शुक्रवार को विजय हांसदा की मूल याचिका पर सुनवाई हुई. जिसपर हाइकोर्ट ने यह आदेश दिया. बता दें कि एक दिन पहले ही कोर्ट ने मूल याचिका वापस लेने के लिए हांसदा द्वारा दिया गया आवेदन रद्द किया था.
Jharkhand News: झारखंड हाइकोर्ट ने साहिबगंज में अवैध खनन की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है. अदालत ने सीबीआई को पीई दर्ज कर एक महीने में प्रारंभिक जांच पूरी करने को कहा है. इसके बाद प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आलोक में आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया है. साथ ही विजय हांसदा द्वारा गलत दावा पेश कर याचिका वापस लेने की कार्रवाई की जांच का भी आदेश दिया है. न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी ने विजय हांसदा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. हांसदा ने झूठे दावों के सहारे अपनी याचिका वापस लेने की कोशिश की थी. अदालत ने 17 अगस्त को इस आवेदन को खारिज कर दिया था. साथ ही याचिका वापस कराने की कोशिश में पर्दे के पीछे किसी के होने की आशंका जतायी थी.
झारखंड हाईकोर्ट में 18 अगस्त को हुई सुनवाई
अदालत ने हांसदा का आईए रद्द करने के बाद याचिका पर सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तिथि निर्धारित की थी. निर्धारित समय पर कोर्ट में विजय हांसदा की मूल याचिका पर सुनवाई हुई. हांसदा की मूल याचिका में एससी, एसटी थाने में दर्ज प्राथमिकी (06/2022) की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने का अनुरोध किया गया था. प्राथमिकी में प्रभावशाली लोगों का नाम अभियुक्त की सूची में शामिल हैं. इसलिए राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं करने की आशंका जतायी गयी थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान हांसदा की ओर से सचिन कुमार और मनोज कुमार ने दलील दी, जबकि इडी और सीबीआइ की ओर से अनिल कुमार ने दलील दी. कोर्ट में सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया गया.
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मूल याचिका वापस लेने के लिए हांसदा ने दी थी दलील
विजय हांसदा ने मूल याचिका वापस लेने के लिए यह दावा किया था कि याचिका दायर करते समय वह जेल में था. किसी ने दुश्मनी की वजह से उसके नाम से यह याचिका दायर की है. कोर्ट ने हांसदा के इस दावे को गलत पाया, क्योंकि याचिका दायर करने के लिए जेल के सक्षम अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित कर वकालतनामा उसके वकील को दिया गया था. हांसदा द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर याचिका वापस लेने की कोशिश करने के मामले में कोर्ट ने पर्दे के पीछे किसी के होने की आशंका जतायी. इसलिए कोर्ट ने इस प्रकरण में उसकी भूमिका की भी जांच के आदेश दिये हैं.
क्या है मामला
साहिबगंज के नींबू पहाड़ पर अवैध खनन करने में शामिल लोगों द्वारा किये जानेवाले विस्फोट से ग्रामीणों के घर में दरारें पड़ जाती थीं. इसलिए विजय हांसदा ने दो मई 2022 को ग्रामीणों के साथ वहां पहुंच कर अवैध खनन बंद करने को कहा. लेकिन, अवैध खनन में शामिल लोगों ने अपने सरकारी अंगरक्षकों के सहारे सभी को वहां से भगा दिया. इसके बाद विजय हांसदा ने थाने में पंकज मिश्रा, विष्णु यादव, पवित्र यादव, राजेश यादव, बच्चू यादव, संजय यादव और सुभाष मंडल के खिलाफ अवैध खनन करने के और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत की. इसमें यह आरोप भी लगाया गया था कि पंकज मिश्रा राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि हैं. इसलिए वह अवैध खनन आदि में अपनी राजनीतिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं.
पुलिस ने नहीं की थी प्राथमिकी दर्ज
विधायक प्रतिनिधि होने की वजह से उन्हें जिले के अधिकारियों का संरक्षण मिलता है. पुलिस ने हांसदा की इस शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की. इसके बाद हांसदा ने 30 जून, 2022 को कोर्ट में शिकायतवाद दायर किया. इसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने सात जुलाई 2022 को हांसदा की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. लेकिन, पुलिस ने प्राथमिक नहीं दर्ज की. 29 नवंबर 2022 को यह मामला फिर अदालत के सामने पेश हुआ. इसके बाद एससी-एसटी थाना ने प्राथमिकी (6/2022) दर्ज की.
ईडी ने शुरू की जांच
इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने साहिबगंज में अवैध खनन की जांच शुरू की. ईडी ने जांच के दौरान हांसदा को समन जारी किया. इसके बाद हांसदा ने साहिबगंज में हो रहे अवैध खनन और उसमें शामिल लोगों के सिलसिले में विस्तृत जानकारी देते हुए अपना बयान दर्ज कराया. इसके बाद हांसदा के खिलाफ बोरियो थाने में एक प्राथमिकी (286/2022) दर्ज की गयी और उसे जेल भेज दिया गया. हांसदा ने जेल में से ही हाइकोर्ट में एक रिट याचिका (सीआर.665/2022) दायर की और पुलिस जांच पर संदेह व्यक्त करते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की अपील की, लेकिन 16 अगस्त 2023 को इस मामले में अचानक एक नया मोड़ आया.
दायर याचिका ली वापस
विजय हांसदा ने कोर्ट में एक आवेदन दायर कर अपनी मूल याचिका वापस लेने की अपील की. इसमें यह कहा गया कि उसने यह याचिका दायर नहीं की थी. जिस वक्त याचिका दायर की गयी थी, उस वक्त वह जेल में था. किसी ने उसके नाम पर यह याचिका दायर कर दी है. इसलिए वह इसे वापस लेना चाहता है. पर जेल के सक्षम अधिकारियों द्वारा सत्यापन और हस्ताक्षर के बाद भेजे गये वकालतनामा के आधार पर याचिका दायर किये जाने की वजह से अदालत ने 17 अगस्त को याचिका वापस लेने से संबंधित आइए को रद्द कर दिया. साथ ही इस मामले में पर्दे के पीछे किसी को होने की आशंका जतायी थी.