सीबीआइ ने 31 अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी

सीबीआइ ने जेपीएससी-2 नियुक्ति घोटाले की जांच के बाद 60 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. आरोपितों की सूची में 28 परीक्षार्थी, जेपीएससी के छह तत्कालीन पदाधिकारी, 25 परीक्षक और मेसर्स एनसीसीएफ का एक प्रतिनिधि शामिल है. आरोपित परीक्षार्थियों की सूची में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्य, विधायक, पूर्व मंत्री और वकील के रिश्तेदारों का नाम भी शामिल है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 28, 2024 12:20 AM

रांची. सीबीआइ ने जेपीएससी-2 नियुक्ति घोटाले की जांच के बाद 60 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. आरोपितों की सूची में 28 परीक्षार्थी, जेपीएससी के छह तत्कालीन पदाधिकारी, 25 परीक्षक और मेसर्स एनसीसीएफ का एक प्रतिनिधि शामिल है. आरोपित परीक्षार्थियों की सूची में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्य, विधायक, पूर्व मंत्री और वकील के रिश्तेदारों का नाम भी शामिल है. सीबीआइ द्वारा आरोपित तत्कालीन परीक्षार्थी फिलहाल एडीएम के रूप में पदस्थापित हैं, जबकि डीएसपी के रूप में कार्यरत कुछ अधिकारी एसपी के पद पर प्रोन्नत हो चुके हैं. सीबीआइ ने राज्य सरकार से 31 सरकारी अधिकारियों को खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने का अनुरोध भी किया है. इसमें जेपीएससी से संबंधित छह अधिकारी और परीक्षकों रूप में शामिल 25 व्याख्याता शामिल हैं.

12 साल बाद जांच पूरी कर आरोप पत्र दायर किया गया

जेपीएससी-1 की तरह की न्यायिक विवादों की वजह से जेपीएससी-2 में भी 12 साल बाद जांच पूरी कर आरोप पत्र दायर किया गया. सीबीआइ ने अभियुक्तों के खिलाफ आइपीसी की धारा-420, 120बी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-13(2) सहपठित धारा-13(1)(डी) के तहत कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. आरोप पत्र में जेपीएससी के तत्कालीन पदाधिकारियों, परीक्षकों और तत्कालीन परीक्षार्थियों द्वारा सुनियोजित साजिश रच कर अयोग्य लोगों को परीक्षा में सफल घोषित करने का आरोप लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि मामले की जांच के दौरान दोषी व्यक्तियों को चिह्नित करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों के इस्तेमाल किया गया था. इसके लिए परीक्षार्थियों की कॉपियों की फोरेंसिक जांच करायी गयी. जांच के दौरान अयोग्य लोगों की कॉपियों में पहले दिये गये नंबर को काट कर बढ़ाये जाने की पुष्टि हुई. इसके अलावा संबंधित विषयों की कॉपियों की जांच करनेवाले व्याख्याताओं ने भी पूछताछ के दौरान इसकी पुष्टि की. जांच के दौरान आरोपित परीक्षार्थियों को अपना पक्ष पेश करने का मौका दिया गया. उन्हें समन भेज कर बुलाया गया. साथ ही उनकी काॅपियों में की गयी काट-छांट और ओवर राइटिंग के बिंदु पर उनका पक्ष सुना गया. इसके बाद फॉरेंसिक जांच और परीक्षकों द्वारा दिये गये बयान के आलोक में समीक्षा के बाद 28 परीक्षार्थियों को जालसाजी कर सफल घोषित करने की प्रक्रिया में आपराधिकता पाये जाने के बाद आरोप पत्र दायर करने का फैसला किया गया. जालसाजी की इस प्रक्रिया में मदद करनेवाले इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों सहित 25 परीक्षकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया. जांच में पाया गया कि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्यों, नेताओं सहित अन्य के करीबी रिश्तेदारों को भी जालसाजी कर सफल घोषित करते हुए विभिन्न पदों पर नियुक्त करने की अनुशंसा की गयी. जांच में पाया गया कि जेपीएससी द्वारा परीक्षा के दौरान कंप्यूटर से जुड़े काम मेसर्स एनसीसीएफ को दिये गये थे. एनसीसीएफ के प्रतिनिधि धीरज कुमार ने भी जालसाजी के इस प्रक्रिया में शामिल हो कर अपने रिश्तेदार संजीव सिंह को सफल घोषित कराया.

प्रभावशाली लोगों के अयोग्य रिश्तेदार, जिन्हें नियुक्त किया गया

प्रभावशाली व्यक्ति व पदनाम—–नियुक्त किये गये रिश्तेदारगोपाल प्रसाद सिंह, तत्कालीन अध्यक्ष—–रजनीश कुमार, कुंदन कुमार सिंह (पुत्र)शांति देवी, तत्कालीन सदस्य—–विनोद राम(भाई)राधा गोविंद नागेश, तत्कालीन सदस्य—–मौसमी नागेश(पुत्री) सुदेश महतो, पूर्व मंत्री—–मुकेश कुमार महतो(भाई) राधा कृष्ण किशोर, विधायक—–राधा प्रेम किशोर(भाई) अनिल सिन्हा, अधिवक्ता—–रोहित सिन्हा(भतीजा) अन्नपूर्णा देवी—–रामकृष्ण कुमार, अन्नपूर्णा देवी की बड़ी बहन का देवरमेसर्स एनसीसीएफ—–संजीव कुमार सिंह, एनसीसीएफ के प्रतिनिधि का भाई

जेपीएससी को आरोपित पदाधिकारियों की सूची

– दिलीप प्रसाद, तत्कालीन अध्यक्ष, जेपीएससी- गोपाल प्र सिंह, तत्कालीन सदस्य, जेपीएससी- शांति देवी, तत्कालीन सदस्य, जेपीएससी

– राधा गोविंद, तत्कालीन सदस्य , जेपीएससी

– एलिस उषा रानी, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक,

– अरविंद सिंह, असिस्टेंट को-ऑर्डिनेटर इवैल्यूएशन

आरोपित परीक्षकों की सूची

– प्रोफेसर नंदलाल, इंटरव्यू एक्सपर्ट- डॉ मुनींद्र कुमार तिवारी, परीक्षक- डॉ शिव बहादुर सिंह, परीक्षक

– रघुवीर सिंह तोमर, परीक्षक

– प्रो ओंकारनाथ सिंह, परीक्षक

– डॉ सुधीर कुमार शुक्ला, परीक्षक

– प्रो अमरनाथ सिंह, परीक्षक

– डॉ दीनानाथ सिंह, परीक्षक

– डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह, परीक्षक- डॉ ओम प्रकाश सिंह, परीक्षक- डॉ योगेंद्र सिंह, परीक्षक

– डॉ मिथिलेश कुमार सिंह, परीक्षक

– डॉ रवि प्रकाश पांडेय, परीक्षक

– डॉ बंशीधर पांडेय, परीक्षक

– दिवाकर लाल श्रीवास्तव, परीक्षक

– डॉ सियाराम सिंह यादव, परीक्षक

– प्रदीप कुमार पांडेय, परीक्षक

– डॉ मधुसूदन मिश्रा, परीक्षक

– डॉ सभाजीत सिंह यादव, परीक्षक

– डॉ शशि देवी सिंह, परीक्षक- डॉ अशोक कुमार सिंह, परीक्षक

– महेंद्र मोहन वर्मा, परीक्षक

– तुलसी नारायण मुंडा, परीक्षक

– अलबर्ट टोप्पो, इंटरव्यू बोर्ड पैनल एक्सपर्ट

– सोहन राम, इंटरव्यू बोर्ड एक्सपर्ट

आरोपित परीक्षार्थियों की सूची

राधाप्रेम किशोर, विनोद राम, हरिशंकर बड़ाइक, हरिहर सिंह मुंडा, रवि कुमार कुजूर, मुकेश कुमार महतो, कुंदन कुमार सिंह, मौसमी नागेश, राधा गोविंद नागेश, कानू रान नाग, प्रकाश कुमार, संगीता कुमारी, रजनीश कुमार, शिवेंद्र, संतोष कुमार चौधरी, रोहित सिन्हा, शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव, अमित कुमार, राहुल जी आनंद जी, इंद्रजीत सिंह, शिशिर कुमार सिंह, राजीव कुमार सिंह, रामकृष्ण कुमार, प्रमोद राम, अरविंद कुमार सिंह, विकास कुमार पांडेय, मनोज कुमार, सुदामा कुमार, कुमुद कुमार.

12 परीक्षाओं में गड़बड़ी मामले में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने प्रथम व द्वितीय जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता सहित 12 परीक्षाओं में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने पक्ष सुनने के बाद सीबीआइ को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए सीबीआइ को तीन सप्ताह का समय प्रदान किया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 जनवरी 2025 की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व सीबीआइ की ओर से मौखिक रूप से बताया गया कि प्रथम व द्वितीय जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी से संबंधित आरसी-5/2012 व आरसी-6/2012 में आरोप पत्र दायर किया गया है. जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल व अधिवक्ता प्रिंस कुमार उपस्थित थे. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बुद्धदेव उरांव व पवन कुमार चौधरी ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर जेपीएससी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की है. हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ मामले की जांच कर रही है.

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