CBSE Class 10th Marking Policy : मार्क्स देने में मनमानी नहीं करेंगे सीबीएसइ स्कूल, अब ऐसे तैयार होगा 10वीं बोर्ड का रिजल्ट, जानें मार्किंग पॉलिसी के बारे में

मार्किंग पॉलिसी के तहत स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि 10वीं बोर्ड परीक्षा के अंक स्कूल के पिछले तीन वर्षों में बोर्ड परीक्षा में प्राप्त हुए अंकों के औसत के आधार पर ही होंगे़. यानी विद्यार्थियों का मूल्यांकन स्कूल के पहले तीन वर्ष के रिकॉर्ड के आधार पर होगा़ कोई स्कूल अपने विद्यार्थी को बेहतर साबित करने के फेर में अधिकतम अंक नहीं दे पायेंगे़

By Prabhat Khabar News Desk | May 7, 2021 9:25 AM

CBSE 10th Class Promotion Policy 2021 रांची : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) ने 10वीं के रिजल्ट का फॉर्मूला बना लिया है़ मार्किंग पॉलिसी जारी भी कर दी है. इसमें ध्यान रखा गया है कि स्कूल मनमाने ढंग से रिजल्ट तैयार न कर सकें. साथ ही रिजल्ट में पूरी पारदर्शिता बनी रहे.

मार्किंग पॉलिसी के तहत स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि 10वीं बोर्ड परीक्षा के अंक स्कूल के पिछले तीन वर्षों में बोर्ड परीक्षा में प्राप्त हुए अंकों के औसत के आधार पर ही होंगे़. यानी विद्यार्थियों का मूल्यांकन स्कूल के पहले तीन वर्ष के रिकॉर्ड के आधार पर होगा़ कोई स्कूल अपने विद्यार्थी को बेहतर साबित करने के फेर में अधिकतम अंक नहीं दे पायेंगे़

अपने विद्यार्थी को बेहतर साबित करने की कोशिश में न रहें :

मूल्यांकन को लेकर गुरुवार को सीबीएसइ ने वेबिनार भी किया़ इसमें स्कूलों को सख्त निर्देश दिया गया है कि कोई भी अपने विद्यार्थी को बेहतर साबित करने की कोशिश में न रहे. रिजल्ट में पारदर्शिता रहे, इसके लिए अब स्कूल के बीते तीन वर्ष के रिजल्ट महत्वपूर्ण होगा. स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में शामिल पूर्ववर्ती विद्यार्थी के रिजल्ट का औसत निकालना है. इसमें से बेस्ट ओवरऑल परफॉर्मेंस के आधार पर बोर्ड का रिजल्ट तैयार कर भेजना है. स्कूल को शैक्षणिक सत्र 2020-21 में यह छूट दी गयी है कि स्कूल के टॉपर विद्यार्थी का रिजल्ट पिछले वर्षों के अनुपात में दो अंक से अधिक या कम हो सकता है. इससे अधिक अंक होने पर स्कूल की मूल्यांकन कमेटी पर जांच होगी.

यदि पिछला रिकॉर्ड नहीं है, तो उसका भी विकल्प

वैसे स्कूल जिनके विद्यार्थी इस वर्ष पहली बार 10वीं की परीक्षा देनेवाले थे या जिनके पास पिछले वर्षों का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, उनके लिए विकल्प दिया गया है. इस परिस्थिति में स्कूल को इसकी जानकारी बोर्ड को देनी होगी. इसके बाद सीबीएसइ स्कूल को 2021 के रिजल्ट के लिए तीन रिकॉर्ड भेजेगा.

इसमें जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय प्रदर्शन का रिकॉर्ड होगा. इस रिकॉर्ड के आधार पर स्कूल को 10वीं के विद्यार्थियों का मूल्यांकन करना है. मूल्यांकन में किसी तरह की गड़बड़ी होने या विद्यार्थी के प्रदर्शन से ज्यादा अंक दिये जाने पर स्कूल के मूल्यांकन कमेटी पर जांच बैठायी जायेगी.

ऐसे समझें अंकों का गणित…

मूल्यांकन कमेटी को अपने स्कूल के तीन वर्ष के स्कूल रिजल्ट में किसी एक काे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के मूल्यांकन का आधार बनाने का निर्देश दिया गया है. इसमें स्कूल शैक्षणिक सत्र 2017-18 को अपना आधार बनाता है, तो ओवरऑल रिजल्ट का 72 फीसदी अंक ही मान्य होगा. ऐसे में स्कूल विद्यार्थी को 80 में अधिकतम 76 से 77 अंक ही दे सकेंगे. ऐसे में पांच विषय के अंकों के विभाजन में विद्यार्थी को मैथ में सर्वाधिक 77 अंक, साइंस में 75, सोशल साइंस में 70, इंग्लिश में 72 और हिंदी में 74 अंक दिये जायेंगे.

जबकि विद्यार्थी का ओवरऑल प्रदर्शन बेहतर तीन विषयों के अंक पर तय होगा. वहीं छठे विषय के तौर पर विद्यार्थी काे अगर कंप्यूटर एप्लिकेशन विषय दिया गया है, तो उसका मूल्यांकन बेहतर तीन विषयों के अनुपात से 50 काे गुणा कर 80 अंक से भाग देकर कुल तय अंक हासिल करना होगा. इसी तरह शैक्षणिक सत्र 2018-19 का ओवरऑल रिजल्ट का 74 और 2019-20 के ओवरऑल रिजल्ट का 71 फीसदी अंक ही मान्य होगा.

इधर स्कूलों में मूल्यांकन कमेटी गठित

सीबीएसइ के निर्देश पर स्कूलों ने 10वीं के रिजल्ट के लिए मूल्यांकन कमेटी का गठन कर लिया है. पांच मई को इसकी जानकारी सीबीएसइ को दी गयी है. इसको लेकर गुरुवार को सीबीएसइ की ओर से दोपहर 2:30 बजे वेबिनार भी आयोजित हुआ़ इसमें मूल्यांकन कमेटी और उसकी कार्यप्रणाली पर स्कूलों को दिशा-निर्देश दिये गये़.

मूल्यांकन कमेटी में 10वीं के प्रमुख पांच विषयों के आधार पर स्कूल से पांच वरीय शिक्षक का चयन किया गया है. वहीं दो अतिरिक्त शिक्षक सीबीएसइ का प्रतिनिधित्व करेंगे और मूल्यांकन कमेटी की लगातार मॉनिटेरिंग करेंगे. दोनों शिक्षक एक ही स्कूल या दो अलग-अलग स्कूल के हो सकते हैं.

मूल्यांकन कमेटी 80 अंकों का तैयार करेगी रिजल्ट

स्कूल की ओर से तैयार मूल्यांकन कमेटी बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर विद्यार्थियों का मूल्यांकन 80 अंक पर करेगी. इन 80 अंकों में विद्यार्थी के पीरियॉडिक या यूनिट टेस्ट के प्रदर्शन के अनुपात में 10 अंक दिये जायेंगे. मिड टर्म या अर्ध-वार्षिक परीक्षा के प्रदर्शन के अनुपात में 30 अंक और प्री-बोर्ड परीक्षा के प्रदर्शन के आधार पर 40 अंक देने होंगे. कोई भी स्कूल विद्यार्थियों को उनके प्रदर्शन पर पूरा अंक नहीं दे सकेंगे. पूरा अंक देने पर विद्यार्थी की सभी परीक्षाओं में क्या प्रदर्शन रहा है, उसका मूल्यांकन होगा.

स्कूल को देना होगा कारण

कोरोना संक्रमण के कारण बंद रहे स्कूल को सीबीएसइ ने समय-समय पर ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षा संचालित करने का निर्देश दिया था. बावजूद इसके अगर कोई स्कूल किसी भी परिस्थिति में परीक्षा नहीं ले पाये हैं, तो इसकी जानकारी सीबीएसइ को देनी होगी. इसके बाद बोर्ड विद्यार्थियों के बीते वर्षों के प्रदर्शन और रीजनल रिजल्ट के रिकॉर्ड के आधार पर मूल्यांकन करेगा.

Posted By : Sameer Oraon

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