रांची : सीबीएसइ और आइसीएसइ के स्कूलों में एलकेजी और प्राइमरी में नन्हे-मुन्नों के एडमिशन के लिए अभिभावकों की भागदौड़ शुरू हो गयी है. बच्चों के प्रमाण पत्र पूरे कराने के लिए अभिभावक जुट गए हैं. एडमिशन के लिए बच्चों की तैयारी करायी जा रही है. इन दिनों स्कूलों में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन प्रतिष्ठित स्कूलों में कराने को लेकर काफी चिंतित हैं. मां नामांकन टेस्ट के लिए अपने बच्चे को तैयार कर रही हैं. वहीं पिता आवेदन भरने और प्रमाण पत्र बनवाने में व्यस्त हैं. अभिभावकों का मानना है कि एक बार बच्चे का एडमिशन किसी बड़े व प्रतिष्ठित स्कूल में नामांकन हो गया, तो 10वीं या 12वीं तक कोई दिक्कत नहीं होगी.
नये स्कूल में नामांकन को लेकर अभिभावक अपने बच्चों को तैयार करने में जुटे हैं. उन्हें बैठा कर सवाल-जवाब कर रहे हैं. खेल-खेल या नियमित चीजों के माध्यम से उन्हें बताने की कोशिश कर रहे हैं. छोटे बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि ऐसे बच्चों को पढ़ाना काफी कठिन होता है. वे सबकुछ जानते हुए भी शिक्षक के सामने नहीं बोलते, इसलिए घर में याद कराना जरूरी है. बच्चों को अल्फाबेट, नंबर, शेप, कलर, रीडिंग, पोयम जैसी चीजें बतायी जा रही हैं. रिटेन की प्रैक्टिस के साथ रीडिंग पर फोकस है.
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प्ले स्कूल के टीचर्स के अनुसार बड़े स्कूलों में जूनियर ग्रुप में नामांकन की प्रकिया में अब रिटेन शामिल नहीं है. नामांकन के दौरान इंट्रैक्शन सेशन होता है, जिसमें बच्चे का कम्युनिकेशन स्किल देखा जाता है. उनकी स्पीच और एक्टिविटी पर ध्यान दिया जाता है. इसलिए बच्चों की स्पीच और कम्युनिकेशन स्किल सुधारने के लिए प्ले स्कूल के अलावा अभिभावक ध्यान रखते हैं. इंट्रैक्शन सेशन में बच्चों से अल्फा बेट, एनिमल नेम, फ्लावर नेम, पोयम आदि के बारे से पूछा जाता है. कई बार बच्चों के हाव-भाव देख स्कूल परख लेते हैं.
बच्चों के एडमिशन को लेकर अभिभावकों के चेहरे पर दबाव दिखता है. अभिभावक एडमिशन के नोटिस का इंतजार करते हैं. अभिभावकों का कहना है कि बच्चे का साल खराब न हो इसलिए एक स्कूल की जगह दो-तीन स्कूलों में आवेदन किया जाता है. फिर स्कूल के सिलेबस के आधार पर बच्चों की तैयारी करायी जाती है.
बच्चों के एडमिशन के लिए जरूरी कागजात बनाने में अभिभावक व्यस्त हैं. रांची नगर निगम में प्रतिदिन औसतन 200 अभिभावक बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में कम से कम 15 दिन लग जाते हैं. इसलिए स्कूल में आवेदन करने से पहले या आवेदन करने के साथ ही जन्म प्रमाण पत्र के अलावा आधार कार्ड आदि बनवाने की प्रक्रिया में सभी जुट गये हैं.
कांके रोड की सुषमा प्रिया कहती हैं : बेटी श्रवया मिश्रा का यूकेजी में एडमिशन में कराना है. इसके लिए बिशप नामकुम और संत थॉमस स्कूल में आवेदन किया गया है. उम्मीद है कि दोनों में से किसी एक स्कूल में एडमिशन हो जाये और बेटी को पढ़ाई का अच्छा माहौल मिले. स्कूल के सिलेबस के अनुसार तैयार करायी जा रही है. उसी के अनुसार टॉपिक कवर करा रही हूं. अच्छे स्कूल में एडमिशन हो जाने से तनाव कम हो जाता है.
लालपुर की मनीता जैन कहती हैं :
बेटी मिहिका की पढ़ाई हमेशा फन मूड में हुई है. प्ले स्कूल में भी उसी तरीके से पढ़ाया व समझाया गया है. अब नर्सरी में एडमिशन के लिए लॉरेटो, डीपीएस, जीडी गोयनका स्कूल में आवेदन किया गया है. इंट्रैक्शन सेशन के लिए बेटी को स्कूल के अलावा घर में भी तैयार किया जा रहा है. इंग्लिश में बातचीत की प्रैक्टिस करायी जा रही है. बड़े स्कूलों में एडमिशन को लेकर अभिभावकों पर प्रेशर ज्यादा रहता है. एक बार एडमिशन हो जाये, तो 10वीं या 12वीं तक की पढ़ाई के लिए चिंता नहीं रहेगी.
मोरहाबादी की रिंकी गुप्ता कहती हैं : बेटे कुमार हर्षवर्धन के एडमिशन के लिए डीपीएस और संत जेवियर स्कूल में आवेदन हुआ है. इंट्रैक्शन सेशन के लिए स्कूल में जो पढ़ाया गया है, उसका ही रिवीजन करा रही हूं, ताकि वह आत्मविश्वास के साथ जवाब दे सके. एडमिशन से पहले ही सभी जरूरी कागजात बन गये हैं. सबसे ज्यादा परेशानी आधार कार्ड बनवाने में हुई. हर स्कूल का अलग-अलग नियम है. उसी अनुसार कागजात तैयार कराना जरूरी है.
हरिहर सिंह रोड निवासी सपना सागर ने बेटे सारांश सिन्हा के नामांकन के लिए संत जेवियर स्कूल और संत मेरी में आवेदन किया था. बेटे का संत जेवियर स्कूल में नामांकन हो चुका है. वह कहती हैं : एडमिशन से पहले सभी जरूरी कागजात बनवा लिया गया था. जब तक बेटे का एडमिशन नहीं हुआ था, तब तक काफी तनाव था. हालांकि टेस्ट के नाम पर सिर्फ इंट्रैक्शन सेशन हुआ. इसमें अभिभावकों और बच्चों के लिए अलग-अलग इंट्रैक्शन सेशन था.