CCL कर्मी और परिजनों को कंपनी से नहीं मिल रहा सहयोग, पेशन चालू और बंद कराने को लेकर हो रहा परेशान
बचरा के कमल महतो का निधन हो गया है. निधन से पहले कमल महतो को 1248 रुपये पेंशन मिलती थी. कमल का बेटा बंधन कुली का काम करता है. मरने की सूचना देने के बाद भी कुछ माह तक कमल के खाते में पैसा आता रहा
मनोज सिंह, रांची: कोल माइंस प्रोविडेंट फंड (सीएमपीएफ) का कार्यालय दरभंगा हाउस आ जाने के बाद भी सेवानिवृत्त कर्मचारी और उनके परिजनों की परेशानी कम नहीं हो रही है. न कंपनी से सहयोग मिल रहा है और न ही पीएफ कार्यालय से. परेशान कर्मी बार-बार पत्र लिख रहे हैं. कोई पेंशन चालू, तो कोई पेंशन बंद कराने की मांग कर रहे हैं. लेकिन, इस पर कार्रवाई नहीं हो रही है.
बचरा के कमल महतो का निधन हो गया है. निधन से पहले कमल महतो को 1248 रुपये पेंशन मिलती थी. कमल का बेटा बंधन कुली का काम करता है. मरने की सूचना देने के बाद भी कुछ माह तक कमल के खाते में पैसा आता रहा. अब पैसा आना बंद हो गया है. लेकिन, बैंक पैसा निकालने की अनुमति नहीं दे रहा है. बैंक का कहना है कि मरने के बाद जो राशि जमा की गयी है, उसे वापस कराने का पत्र सीएमपीएफ से लेकर आयें. वहीं, बंधन सीएमपीएफ को बार-बार पत्र लिख रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
केस स्टडी – वन
सीसीएल कर्मी महादेव महतो की पत्नी सीमा देवी को पति की मौत के बाद मई 2015 में एक माह पेंशन मिली. इसके बाद पेंशन मिलना बंद हो गया. सीमा करीब आठ साल से पेंशन देने के लिए पत्र लिख रही है. कभी सीएमपीएफ तो कभी सीसीएल कार्यालय को पत्र लिख रही है, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है.
केस स्टडी – दो
बचरा की स्व रामकली देवी के पुत्र महेश कुमार बार-बार सीएमपीएफ को पेंशन रोकने के लिए कह रहे हैं. लेकिन, उनकी मां के खाते में अब भी पेंशन की राशि आ रही है. वह बार-बार सीसीएल और सीएमपीएफ को पत्र लिख रहे हैं. लेकिन, पेंशन नहीं रुक रही है. इस कारण वह अपनी मां के खाते का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.
जिन लोगों के परिजनों ने अपने खून-पसीने से कंपनी को यहां तक पहुंचाया है. वह आज छोटी-छोटी समस्या के लिए दर-दर भटक रहे हैं. इन लोगों की कोई नहीं सुन रहा है. इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.
सनत मुखर्जी, द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन