हाल CCL का: घटती जा रही है उत्पादन में स्थायी कर्मियों की हिस्सेदारी
सीसीएल में आउटसोर्सिंग के जरिये करीब 80 फीसदी कोयले का उत्पादन किया जा रहा है. इसमें कंपनी के स्थायी कर्मियों का योगदान मात्र 20 फीसदी है. जबकि कंपनी स्थायी कर्मियों पर ठेकाकर्मियों की तुलना में काफी अधिक राशि खर्च कर रही है
सीसीएल में आउटसोर्सिंग के जरिये करीब 80 फीसदी कोयले का उत्पादन किया जा रहा है. इसमें कंपनी के स्थायी कर्मियों का योगदान मात्र 20 फीसदी है. जबकि कंपनी स्थायी कर्मियों पर ठेकाकर्मियों की तुलना में काफी अधिक राशि खर्च कर रही है. इससे चिंतित कंपनी के अधिकारी चाहते हैं कि स्थायी कर्मियों का उत्पादन में योगदान बढ़े. सीसीएल ने बीते साल करीब 68 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया था.
इसमें करीब 55 मिलियन टन कोयला उत्पादन आउटसोर्सिंग से हुआ था. कंपनी ने ठेकाकर्मियों और उनके द्वारा प्राप्त उपकरणों पर 1600 करोड़ रुपये खर्च किये थे, लेकिन विभागीय उत्पादन 13-14 मिलियन टन के आसपास ही रहा. बीते साल (2021-22) में सीसीएल ने अपने स्थायी कर्मियों (अधिकारी व कर्मचारी मिलाकर) पर तीन हजार करोड़ रुपये के करीब खर्च किया.
करीब 6500 ठेका कर्मियों के काम करने का दावा :
कोल इंडिया ने भारत सरकार को बताया था कि सीसीएल में करीब 6500 ठेका कर्मी काम कर रहे हैं. वहीं स्थायी कर्मचारियों की संख्या 33403 है. करीब 2300 अधिकारी कंपनी में काम कर रहे हैं. कर्मचारियों पर मासिक वेतन में 222.68 करोड़ रुपये खर्च होता है. साल में करीब 2668.57 करोड़ रुपये कंपनी सीसीएल कर्मियों के केवल वेतन पर खर्च करती है.
इसके अतिरिक्त कर्मियों के बोनस व अन्य मद में अलग खर्च है. एक कर्मचारी पर कंपनी औसतन वेतन मद में आठ लाख रुपये के आसपास खर्च औसत खर्च कर रही है. वहीं कंपनी में करीब 2257 अधिकारी हैं. इनके वेतन मद में मासिक करीब 30 करोड़ खर्च होता है. साल में करीब 360 करोड़ रुपये अधिकारियों के वेतन मद में खर्च हो रहा है. कंपनी के अधिकारी पर वार्षिक 16 लाख रुपये औसतन खर्च कर रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी
कंपनी के स्थापना दिवस समारोह में निदेशक तकनीकी रामबाबू प्रसाद ने कहा था कि अभी कंपनी करीब 80 फीसदी उत्पादन ठेका श्रमिकों के माध्यम से कर रही है. विभागीय उत्पादन मात्र 20 फीसदी के आसपास ही है. विभागीय उत्पादन बढ़ेगा, तो कंपनी भी आगे बढ़ेगी.
1800 करोड़ भुगतान किया था ठेका मामलों में
सीसीएल ने ठेका मामलों में एक वर्ष में 1800 करोड़ रुपये खर्च किये. उपकरण व एजेंसियों को ठेका पर रखा है. इसमें ठेका पर ट्रांसपोर्टिंग चार्ज में कंपनी ने 523 करोड़ रुपये खर्च किये थे. वैगन लोडिंग के ठेका पर 46 करोड़ खर्च हुए थे. इसी तरह उत्पादन के लिए 1208 करोड़ रुपये का प्लांट और इक्विपमेंट भाड़े पर लिया गया है. ठेका के अन्य मामलों पर कंपनी ने करीब 90 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.
5400 करोड़ खर्च किये थे कर्मियों पर
सीसीएल ने पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी के कर्मियों के वेतन व अन्य सुविधा (वेतन, भत्ता व बोनस) पर कुल 4247.07 करोड़ रुपये खर्च किये थे. पीएफ व अन्य मद में कंपनी ने करीब 1022.67 करोड़ खर्च किये थे. इसी तरह कर्मियों के कल्याण पर करीब 205 करोड़ रुपये खर्च किया था. इसी तरह केवल कर्मियों के वेतन मद में कंपनी ने 2668 करोड़ खर्च किये थे.