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पत्थर मिलने से नाराज लिफ्टरों ने बंद किया कोयला उठाव

सीसीएल का पायलट प्रोजेक्ट कोयला खदान चूरी से कोयला की जगह पत्थर दिये जाने से नाराज कोयला व्यवसायियों ने बुधवार से कोयला उठाना बंद कर दिया है.

कोयला लिफ्टरों का आरोप, कोयले में 70 प्रतिशत पत्थर की मात्रा

पीओ और मैनेजर से लगातार शिकायत के बाद भी कोई सुधार नहीं

डकरा.

सीसीएल का पायलट प्रोजेक्ट कोयला खदान चूरी से कोयला की जगह पत्थर दिये जाने से नाराज कोयला व्यवसायियों ने बुधवार से कोयला उठाना बंद कर दिया है. कोयला लिफ्टरों ने बताया कि मार्च 2024 से ही जो कोयला खदान से बाहर आ रहा है उसमें 70% पत्थर और मात्र 30% कोयला होता है. पीओ और मैनेजर को बोलने के बाद कहा जा रहा है कि जल्द ग्रेड में सुधार हो जायेगा, लेकिन सात महीने के बाद भी सुधार की बजाय पत्थर की मात्रा बढ़ती जा रही है. कोयला का ग्रेड जी-7 बताकर बिडिंग किया जाता है, जिसकी कीमत 6000 रुपये प्रति टन है, लेकिन बाजार में जी-11,12 के भाव से भी खराब कोयला ठहर रहा है. इस कोयले की कीमत 2500-3000 ही मिल रहा है, जिसके कारण हमलोगों को नुकसान हो रहा है.

लिफ्टरों ने पीओ और मैनेजर से की बात :

कोयला उठाव बंद करने से पहले लिफ्टरों ने पीओ अनुज कुमार और मैनेजर शैलेंद्र कुमार से बात की, लेकिन दोनों ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया, जिससे नाराज होकर सभी ने काम बंद कर दिया. इस अवसर पर विनोद सिंह, गौतम थापा, संतु सिंह, सुनील, महेश झा, हेमंत, प्रेम, उदय पांडेय आदि मौजूद थे.

कोट

कभी-कभी पत्थर का सीम मिल जाने के कारण कोयला के साथ पत्थर आ जाता है, लेकिन जितना बताया जा रहा है उतना पत्थर नहीं रहता है. लिफ्टर सिर्फ कोयला चाहते हैं जो पूरी तरह संभव नहीं हो पता, फिर भी हम लोग बातचीत कर समाधान निकाल लेंगे.

शैलेंद्र कुमार, चूरी मैनेजरB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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