ranchi news : हम जो सोचते, बोलते और करते हैं, वहीं हमारा संस्कार : शिवानी बहन
ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन ने उत्सव का पल कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालुओं को संदेश दिये. यह आयोजन रांची के होटवार स्थित टाना भगत इंडोर स्टेडियम में हुआ.
टाना भगत इंडोर स्टेडियम में ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन के साथ मना ”उत्सव का पल”
फोटो विमल देवरांची. असहज भावनाएं हमारे मन को दूषित करती हैं. इससे नकारात्मकता बढ़ती है. यही आज के समय में व्यक्ति के क्रोध और चिंता का कारण है. इसके विपरीत ध्यान और दुआ देने की भावना विकसित करनी होगी. इससे अच्छे संस्कार का निर्माण होगा. ये बातें रविवार को ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन ने अपनी आध्यात्मिक सभा (उत्सव का पल) में कहीं. उत्सव का पल का आयोजन होटवार स्थित टाना भगत इंडोर स्टेडियम में हुआ, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. शिवानी बहन ने कार्यक्रम की शुरुआत ध्यान सत्र के साथ की. श्रोताओं को अपने मन की आंतरिक ऊर्जा जागृत करने और ध्यान कर्म से मन को केंद्रित करने की सीख दी. मन के विचार से कर्म को परिभाषित किया. साथ ही कलयुग के विकार, मोह और चाहत में अंतर, रिश्तों की गहरायी, नकारात्मक परिवेश से बचे रहने, प्यार और सम्मान, संस्कार समेत कई अन्य विषयों पर अपनी बातें रखीं. उन्होंने कहा कि हम जो सोचते, बोलते और करते हैं, वहीं हमारा संस्कार है. कार्यक्रम का आयोजन ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के रांची सेवा केंद्र ने किया. इस अवसर पर न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी, गौतम कुमार चौधरी, जस्टिस आनंद सेन, कर्नल राजीव कुमार, सरोज जैन, श्रद्धा बागला, सबिता साहू, बीके निर्मला बहन, बीके शीला आदि उपस्थित थे.
किसी की बात सुनकर तत्काल प्रतिक्रिया न दें, मनन करें
शिवानी बहन ने कहा : हमारे शरीर का पूरा रिमोट हमारा हाथ ही है. यह किसी दूसरे के पास नहीं हो सकता. क्योंकि, हमारा दिमाग जो कहता है, हम वहीं मान लेते हैं पर सच्चाई इससे कोसों दूर है. कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि हमें अपने मन की माननी पड़ती है. जबकि परिस्थिति ””पर यानी पराये”” की वजह से तैयार होती है. ऐसे में हमें स्व स्थिति तैयार करने के लिए अच्छे विचार रखने होंगे. अच्छा होने पर हमारा मन खुश रहेगा, जिससे हमारा व्यवहार भी दूसरों के प्रति अच्छा रहेगा. इसलिए प्रत्येक परिस्थिति में खुश रहना है. हमारे मन में घुसकर कोई भी व्यक्ति चोट नहीं कर सकता. हमें कोई भी बात सुनकर तत्काल आवेश में नहीं आना चाहिए. बात सुनने के बाद तत्काल कोई प्रतिक्रिया देने की जगह चिंतन-मनन करने के बाद विवेक के आधार पर निर्णय लेना चाहिए. यह देखना चाहिए कि हम जो कदम उठाने जा रहे हैं, वह सही है या गलत. इन बातों को अपने जीवन में उतारेंगे, तो जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी.दूसरों की सफलता से ईर्ष्या न करें, खुशी जतायें, सफलता आपके पास भी आयेगी
शिवानी बहन ने कहा कि सफलता किसी की भी हो, प्रसन्नता व्यक्त करनी चाहिए. देखा जाता है कि जब किसी के आस-पास, पड़ोस या रिश्तेदार सफल हो जाते हैं, तो कुछ लोगों के मन में यह भाव आता है कि वह आखिर सफल कैसे हो गया. हम उसकी सफलता पर खुश होने की जगह ईर्ष्या करने लगते हैं. इस मानसिकता का परित्याग प्रगति के लिए जरूरी है. क्योंकि सफलता उसी को मिलती है, जो दूसरे की सफलता पर खुश होता है और दुआ देता है. किसी की सफलता से नाखुश हैं, तो आपके पास सफलता आते-आते रह जायेगी, क्योंकि सफलता को यह लगेगा कि इस व्यक्ति को सफलता पसंद ही नहीं है. इसलिए देवी-देवता दाता के रूप में प्रतिष्ठित हैं. हमें इस मर्म को समझना होगा कि जो देता है वह हमेशा समाज में पूजनीय और प्रतिष्ठित होता है. इसलिए दुआ देने की आदत विकसित करें. दूसरे की सफलता पर भी जश्न मनायें. इससे सुख, ज्ञान, बल और सकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है