झारखंड में नगर निकाय चुनाव नहीं होने से केंद्र ने रोकी सहायता राशि, वित्त मंत्रालय ने मुख्य सचिव को भेजा पत्र

झारखंड में नगर निकाय चुनाव नहीं होने के कारण केंद्र से अब पैसे नहीं मिलेंगे. बता दें कि पांच साल के दौरान राज्य सरकार को केंद्र से 3367 करोड़ रुपये का अनुदान मिलना है. फिलहाल, 50 प्रतिशत राशि ही मिली है. इससे संबंधित वित्त मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव व नगर विकास सचिव को पत्र लिखा है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 16, 2023 6:08 AM
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रांची, विवेक चंद्र : झारखंड में नगर निकाय चुनाव नहीं होने तक 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर भारत सरकार से मिलनेवाली सहायता राशि रोक दी गयी है. वित्तीय वर्ष 2021-2026 तक पांच वर्षों के दौरान 3367 करोड़ रुपये का अनुदान केंद्र से राज्य सरकार को मिलना है. राज्य के शहरी निकायों को अब तक इसमें से लगभग 50 प्रतिशत राशि दी गयी है. करीब 1600 करोड़ रुपये पर राज्य सरकार का दावा शेष है. लेकिन, नगर निकाय चुनाव नहीं होने तक अब केंद्र सरकार अनुदान की राशि आवंटित नहीं करेगी. भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव और नगर विकास सचिव को इससे संबंधित पत्र लिखा है. वित्त आयोग की अनुशंसा पर दिये जाने वाले अनुदान की गाइडलाइन की जानकारी दी है. बताया है कि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केवल उन नगर निकायों को ही अनुदान दिया जायेगा, जहां चुनाव के बाद चुने गये प्रतिनिधि काम कर रहे हों.

झारखंड के 48 नगर निकायों में चुनाव लंबित

झारखंड के सभी 48 नगर निकायों में चुनाव लंबित है. जबकि, संविधान (74वां संशोधन) अधिनियम 1992 में स्पष्ट बताया गया है कि राज्यों में स्थानीय निकाय कई कारणों से कमजोर और अप्रभावी हो गये हैं. इन कारणों में नियमित चुनाव कराने में विफलता और लंबे समय तक शक्तियों व कार्यों का अपर्याप्त हस्तांतरण शामिल हैं. ऐसे में चुनाव में विलंब करना निकायों को कमजोर बनाना है. शहरी विकास, शहरों में नागरिक सुविधा विकसित करने तथा अपना संसाधन बढ़ाने के लिए नगर निकायों के लिए केंद्र सरकार द्वारा वित्त आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर राज्यों को अनुदान स्वीकृत किया जाता है. वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव की नहीं होने की स्थिति में किसी भी शहर या शहरी निकाय के लिए अनुदान नहीं दिया जायेगा.

ओबीसी आरक्षण की वजह से स्थगित किया गया है चुनाव

नवंबर 2022 में सरकार ने पिछले साल नवंबर में एक साथ पूरे राज्य के नगर निकायों का चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराने का फैसला लिया था. इसके लिए आरक्षण रोस्टर बदला गया था. जिससे रांची नगर निगम के मेयर का पद एससी के लिए आरक्षित हो गया था. चुनाव कार्यक्रम पर राज्यपाल ने भी सहमति दे दी थी. हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी करने के पूर्व शिड्यूल एरिया में निकायों के मेयर और अध्यक्ष का पद एसटी के लिए ही आरक्षित होने को लेकर आदिवासी समुदाय द्वारा किये गये विरोध की वजह से आनन-फानन में टीएसी की बैठक हुई. टीएसी की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने निकाय चुनाव स्थगित करते हुए ट्रिपल टेस्ट के बाद चुनाव कराने की घोषणा की थी.

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नहीं शुरू हुई ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया, चुनाव में होगा और विलंब

राज्य के नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य है. लेकिन, अब तक राज्य में ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की जा सकी है. ट्रिपल टेस्ट कराने के लिए राज्य सरकार को आयोग का गठन करना है. सूचना है कि नगर विकास विभाग ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से ट्रिपल टेस्ट कराने का प्रस्ताव बनाया है. लेकिन, उसे अब तक मंजूरी नहीं मिली है. उधर, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग भी डिफंग है. आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का पद खाली है. ट्रिपल टेस्ट कराने के लिए राज्य सरकार को पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन भी करना होगा.

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