17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रो स्टील को वन भूमि देने का आदेश को किया रद्द, जानें क्या है इसकी बड़ी वजह

भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 17 दिसंबर 2019 को कुछ शर्तों के आधार पर 184.23 हेक्टेयर वन स्टेज-1 क्लियरेंस दिया था. इस जमीन का उपयोग इलेक्ट्रो स्टील पहले से कर रहा था

रांची, मनोज सिंह :

भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बोकारो के इलेक्ट्रो स्टील को पूर्व में दी गयी वन भूमि के उपयोग का आदेश (स्टेज-1) रद्द कर दिया है. केंद्र ने झारखंड के वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव को पत्र लिख कर यह जानकारी दी है. राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में वन भूमि के उपयोग की अनुमति दी थी. वन विभाग की बिना अंतिम सहमति के इलेक्ट्रो स्टील इस वन भूमि का उपयोग कर रहा है. कंपनी को जिन शर्तों पर स्टेज-1 मिला था, उसे तीन साल में राज्य सरकार या कंपनी पूरा नहीं कर पायी. भारत सरकार ने इस मामले में राज्य सरकार को उचित एक्शन लेने का आग्रह किया है.

भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 17 दिसंबर 2019 को कुछ शर्तों के आधार पर 184.23 हेक्टेयर वन स्टेज-1 क्लियरेंस दिया था. इस जमीन का उपयोग इलेक्ट्रो स्टील पहले से कर रहा था. दो साल तक भारत सरकार ने पूर्व में तय शर्तों का पालन करने के लिए कई बार आग्रह किया. एक फरवरी 2022 तक कंपनी ने शर्तों का अनुपालन नहीं किया. इसके बाद 17 फरवरी को केंद्र ने जारी स्टेज-1 की अनुमति को रद्द करने की चेतावनी दी. जवाब में नौ सितंबर 2022 को कंपनी ने लिखा कि निर्धारित शर्तों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. कुछ परिस्थितियों के कारण यह पूरा नहीं हो पा रहा है.

उच्चस्तरीय बैठक में भी उठा मामला :

इसी मुद्दे पर 20 अक्तूबर, 2022 को महानिदेशक वन की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी. इसमें इस मामले पर चर्चा की गयी. इसमें झारखंड सरकार के प्रतिनिधि भी थे. इसमें बताया गया कि बार-बार कहने के बावजूद कंपनी शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही है. कंपनी को वन भूमि उपयोग के लिए फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत जो भी शर्त पूरी करनी है, वह मार्च 2023 तक पूरा कर दे.

इसके आलोक में कंपनी ने 28 अक्तूबर 2022 को अंतरिम एक्शन प्लान तैयार किया और मार्च 2023 तक स्टेज-1 की शर्तों को पूरा करने का आश्वासन दिया. साथ ही यह भी कहा कि 2022 नवंबर तक वन भूमि और प्लांट की जमीन को चिह्नित करने का काम भी पूरा कर लिया जायेगा. बताया गया कि 79.78 हेक्टेयर के लिए फॉरेस्ट राइट एक्ट सर्टिफिकेट (एफआरए) जारी कर दिया गया है.

शेष भूमि के लिए नवंबर 2022 तक प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. यह भी बताया गया कि कंपनी इस मामले में प्रगति रिपोर्ट हर तीन माह में देगी. लेकिन कंपनी निर्धारित समय सीमा में इन शर्तों को पूरा नहीं कर पायी. दो दिसंबर 2022 को कंपनी ने अधूरी रिपोर्ट दी. भारत सरकार ने रिपोर्ट को असंतोषप्रद करार दिया. साथ ही यह टिप्पणी भी की कि इसमें गंभीरता भी नहीं है. सात मार्च 2023 को मंत्रालय ने राज्य सरकार को रिमाइंडर भेज कर तय शर्तों को पूरा करवाने का निर्देश दिया.

इसकी कॉपी संबंधित कंपनी को भी दी गयी. हालांकि, राज्य सरकार और कंपनी ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया. भारत सरकार ने पूरे मामले की समीक्षा करने के लिए 25 मई 2023 को बैठक की. इसमें भारत सरकार के महानिदेशक वन, राज्य के पीसीसीएफ (हॉफ) और कंपनी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. इसमें पूरी प्रक्रिया और प्रगति की समीक्षा की गयी. तय किया गया कि कंपनी ने वन संरक्षण अधिनियम-1980 का पालन नहीं किया है. कंपनी को तीन साल दिया गया. इस कारण स्टेज-1 अनुमति भारत सरकार वापस लेती है.

पीसीसीएफ संजय कुमार के कार्यकाल में जमा हुआ था आवेदन : राज्य में जब संजय कुमार पीसीसीएफ हॉफ थे, उस समय इस कंपनी को स्टेज-1 देने का आवेदन जमा हुआ था. उस वक्त कार्यकारी निदेशक (बंजर भूमि) एके रस्तोगी थे, जो बाद में पीसीसीएफ हॉफ बने थे. श्री रस्तोगी के धनबाद में डीएफओ रहते इस जमीन (वन भूमि) पर कब्जे का मामला प्रकाश में आया था. उस समय से यह विवाद चल रहा है. वन भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत के बावजूद कंपनी का स्टेज-1 का आवेदन जमा किया गया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें