Jharkhand News: झारखंड के कई मामले केंद्र के पास हैं लंबित, राज्य सरकार ने की ये मांग

केंद्र के पास कोयला से लेकर रेल जैसी परियोजनाओं के मामले लंबित हैं. इनका समाधान करने की झारखंड सरकार ने मांग की है. पिछले दिनों नीति आयोग के उपाध्यक्ष के साथ हुई बैठक में भी ये मामले रखे गये

By Prabhat Khabar News Desk | October 29, 2022 10:15 AM

रांची : केंद्र के पास कोयला से लेकर रेल जैसी परियोजनाओं के मामले लंबित हैं. इनका समाधान करने की झारखंड सरकार ने मांग की है. पिछले दिनों नीति आयोग के उपाध्यक्ष के साथ हुई बैठक में भी ये मामले रखे गये, जिसमें बकाया भी शामिल है. राज्य सरकार ने जीएसटी कंपनसेशन के रूप में 1880 करोड़ रुपये बकाया देने की मांग की है. वहीं कोयला कंपनियों द्वारा राज्य में 53 हजार एकड़ जमीन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके एवज में बतौर टैक्स आठ हजार करोड़ रुपये की मांग की गयी है.

दूसरी ओर वास्ड कोल पर भी रॉयल्टी के रूप में 22 हजार करोड़ रुपये की मांग की गयी है. इसके अलावा भी ऊर्जा मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय के पास राज्य सरकार के कई प्रस्ताव लंबित हैं, जिनकी मंजूरी का इंतजार है. इन मामलों में नीति आयोग से हस्तक्षेप का आग्रह किया गया है.

जीएसटी कंपनसेशन के रूप में 1880 करोड़ रुपये बकाया राज्य सरकार ने मांगा

कोयला मंत्रालय से बतौर जमीन टैक्स आठ हजार करोड़ मांगे

वास्ड कोल की रॉयल्टी 22 हजार करोड़ मांगी गयी

जल शक्ति मंत्रालय

स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के लिए अतिरिक्त खर्च के रूप में 5000 करोड़ रुपये की मांग की गयी है.

जल संसाधन विभाग द्वारा पलामू पाइपलाइन सिंचाई परियोजना के लिए एआइबीपी के तहत 631 करोड़ रुपये की मांग की गयी है. रिजर्वायर सिल्ट जमा है. नीति आयोग द्वारा सिल्ट के जमाव पर अध्ययन कराया जायेगा और डिसिल्टिंग की योजना बनानी है.

नॉर्थ कोयल नदी में 31.71 एमएलडी क्षमता का इनटेक वेल बनवाने के लिए एनओसी की जरूरत है. एनओसी के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के पास आवेदन दिया गया है.

नमामी गंगा परियोजना के तहत दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त किया जाना है. इस परियोजना के तहत रामगढ़ और धनबाद जिले का प्रस्ताव क्रमश: वर्ष 2019 और 2020 में भेजा गया है, पर अब तक स्वीकृति नहीं मिली है. केवल फुसरो परियोजना के लिए 61.05 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है.

केंद्र सरकार के पास ये मामले हैं लंबित

रेलवे मंत्रालय : राज्य के विभिन्न स्थानों में बन रहे आरओबी निर्माण पर राज्य सरकार और रेलवे 50:50 का खर्च वहन करते हैं, जबकि राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण का भी खर्च वहन करना पड़ता है. राज्य सरकार द्वारा 50:50 का खर्च भूमि अधिग्रहण व यूटिलिटी शिफ्टिंग समेत वहन करने का आग्रह किया गया है.

ऊर्जा मंत्रालय : राज्य पर डीवीसी का बकाया 5000 करोड़ का मामला है. जिसमें त्रिपक्षीय समझौता हुआ था और बिना राज्य सरकार की सहमति से ही राज्य के खाते से पैसे काट लिये गये. राज्य सरकार की कैबिनेट द्वारा त्रिपक्षीय समझौता से बाहर निकलने का फैसला किया गया. वहीं मासिक बिल 170 करोड़ रुपये डीवीसी को देने का फैसला किया गया. पैसा काटने पर राज्य सरकार ने एतराज जताया है.

नीति आयोग के समक्ष भी मामला उठाया गया है. राज्य में स्थित केंद्र सरकार के उपक्रम व कार्यालयों पर झारखंड बिजली वितरण निगम का बकाया है. नीति आयोग के पास मामला रखा गया है कि बकाये का भुगतान कराया जाये.

वित्त मंत्रालय : जीएसटी कंपनसेशन का 1887 करोड़ रुपये बकाया है. केंद्र से कंपनसेशन की मांग की गयी है, पर भुगतान नहीं हुआ है.

ग्रामीण विकास मंत्रालय : झारखंड जियो टैगिंग नहीं होने से 1.5 लाख आवास सर्वे में शामिल नहीं किये जा सके. डाटा इश्यू के कारण दो लाख आवास मंत्रालय के डाटा से हटा दिये गये. मंत्रालय से आवासों के जियो टैगिंग की अनुमति देने और डाटा के रिवेरीफिकेशन की मांग की गयी है.

गृह मंत्रालय : वर्ष 2017 तक राज्य के 16 उग्रवाद प्रभावित (एलडब्ल्यूइ) जिलों को स्पेशनल सेंट्रल असिस्टेंस स्कीम में शामिल किया गया था. लेकिन वर्ष 2021-22 में इस योजना के तहत केवल आठ जिलों को ही शामिल किया गया है. केंद्र सरकार से अगले पांच वर्षों तक सभी 16 जिलों को इस योजना में शामिल करने की मांग की गयी है. साथ ही फंड रिलीज करने की मांग भी रखी गयी है.

जनजातीय मंत्रालय : झारखंड में दो जगहों पर कौशल विद्या एकेडमी की स्थापना का प्रस्ताव है. राज्य सरकार भूमि का खर्च वहन करने के लिए तैयार है, पर बाकी के शत-प्रतिशत खर्च वहन का आग्रह केंद्र सरकार से किया गया है. नीति आयोग इस मामले के समाधान में जुटा है.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय : कुपोषण से मुक्ति के लिए 312 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गयी है. केंद्र से राशि रिलीज करने की मांग की गयी है.

कोयला मंत्रालय

कोयले की रॉयल्टी का मामला लंबित है. एमएमडीआर एक्ट में कोयले के मूल्य का 14 प्रतिशत रॉयल्टी देने का प्रावधान है, लेकिन कोल इंडिया द्वारा कोयले के बिक्रय मूल्य के आधार पर रॉयल्टी का भुगतान नहीं किया जा रहा है.राज्य सरकार द्वारा बिक्रय मूल्य के आधार पर रॉयल्टी के निर्धारण की मांग की गयी है. कोल इंडिया से बिक्रय मूल्य से रॉयल्टी भुगतान की मांग की गयी है.

वास्ड कोल पर रॉयल्टी नहीं दी जा रही है. जिस कारण बकाया बढ़कर 22000 करोड़ रुपये हो गया है. सीसीएल और बीसीसीएल से राशि के भुगतान की मांग की गयी है.

कोयला कंपनियों द्वारा राज्य में करीब 53 हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है. लैंड यूज के तहत टैक्स का 8000 करोड़ रुपये इन कंपनियों पर बकाया है. बकाया भुगतान का मामला लंबित है.

रिपोर्ट- सुनील चौधरी

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