Loading election data...

झारखंड: सीयूजे में विलियम शेक्सपियर की त्रासदी ओथेलो की जीवंत प्रस्तुति, छात्रों की कलाकारी ने मोहा मन

कलाकारों में आलोक कुमार शुक्ला, अमित कुमार, काबेरी रॉय, अंबिका सोनी, आदर्श के.पी. और रिशु रोशन शामिल थे. नितिल कुमार और कार्तिक के ने पार्श्व संगीत का प्रबंधन किया. अनुज कुमार ने प्रकाश व्यवस्था संभाली. अतुल राज ने मंच प्रबंधक के रूप में काम किया.

By Guru Swarup Mishra | October 9, 2023 4:52 PM

रांची: विलियम शेक्सपियर की त्रासदी ओथेलो का एक दृश्य सोमवार को झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रदर्शन कला विभाग में एमपीए थिएटर आर्ट्स के तीसरे सेमेस्टर के छात्रों द्वारा जीवंत किया गया. यह प्रदर्शन अपने अग्रगामी तत्वों के माध्यम से ओथेलो के कई समकालीन रूपांतरणों से खुद को अलग करता है. यह प्रस्तुति हमारे समाज के प्रतिबिंब के रूप में कार्य करती है, जहां सब कुछ दृश्य या अदृश्य शक्तियों के प्रभाव के अधीन है. स्थितियां सावधानीपूर्वक निर्धारित की जाती हैं, जिससे पीड़ितों को विशिष्ट तरीकों से कार्य करने के लिए बाध्य किया जाता है. विलियम शेक्सपियर की त्रासदी ओथेलो की प्रस्तुतिकरण में इयागो एक नियंत्रक शक्ति की भूमिका निभाता है, जो सभी पात्रों के जीवन और कार्यों में हेरफेर करता है.

इयागो एक कठपुतली सूत्रधार के रूप में होता है प्रकट

इस अवधारणा से प्रेरित होकर थिएटर के सहायक प्रोफेसर और निर्देशक डॉ वेंकट नरेश बुर्ला ने पारंपरिक भारतीय कला, कठपुतली के तत्वों को शामिल किया है. प्रस्तुति में इयागो एक कठपुतली-सूत्रधार के रूप में प्रकट होता है तथा अन्य पात्र उसके पूर्ण नियंत्रण में दिखाई देते हैं. हालांकि नाटक की भावनाओं और सारांश को व्यक्त करने के लिए कठपुतली के केवल चुनिंदा पहलुओं का ही उपयोग किया गया है.

Also Read: झारखंड: सरकारी स्कूलों में अब खेल-खेल में पढ़ेंगे बच्चे, तनाव से रहेंगे कोसों दूर, शिक्षा विभाग का ये है प्लान

नायक ओथेलो का दो चरित्रों द्वारा अभिनय

प्रदर्शन की एक और विशेषता नायक ओथेलो का दो चरित्रों द्वारा अभिनय था. यह दृष्टिकोण नायक के आंतरिक विचारों और संघर्षों में गहराई से उतर गया, जो उनके चरित्र के नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है. प्रदर्शन ने अपने संदेश को व्यक्त करने के लिए प्रतीकवाद एवं नाट्यधर्मिता को सहजता से एकीकृत किया. एक दृश्य प्रस्तुतिकरण होने के बावजूद नाटक का केंद्रीय विषयवस्तु प्रभावी ढंग से दर्शकों तक पहुंचता है.

Also Read: झारखंड:बदलाव संकल्प सभा में गरजे टाइगर जयराम महतो, बोले-हक व अधिकार के लिए जगें युवा, पीढ़ियां नहीं करेंगी माफ

प्रदर्शन को मिली सराहना

डॉ बुर्ला की ओथेलो की अभिनव व्याख्या ने दर्शकों के लिए एक स्फूर्तिदायक और विचारोत्तेजक अनुभव प्रदान किया. इसने उन्हें नाटक को नए दृष्टिकोण से देखने और नियंत्रण और हेरफेर के गहन विषयों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया. प्रदर्शन को परीक्षा नियंत्रक (सीओई) बिधु भूषण मिश्रा, संस्कृति अध्ययन स्कूल की डीन डॉ सुचेता सेन चौधरी, प्रदर्शन कला विभाग के प्राध्यापक डॉ शाकिर तस्नीम, डॉ जया शाही से सराहना मिली. प्रदर्शन कला, विभिन्न विभागों के संकाय सदस्यों और छात्र दर्शकों के साथ सभी ने इसकी मौलिकता और रचनात्मकता की प्रशंसा की.

Also Read: झारखंड: सीयूजे में स्ट्रेंथ इन डायवर्सिटी, वॉयस ऑफ तीस्ता व करम फिल्म की स्क्रीनिंग

कलाकारों में ये थे शामिल

कलाकारों में आलोक कुमार शुक्ला, अमित कुमार, काबेरी रॉय, अंबिका सोनी, आदर्श के.पी. और रिशु रोशन शामिल थे. नितिल कुमार और कार्तिक के ने पार्श्व संगीत का प्रबंधन किया. अनुज कुमार ने प्रकाश व्यवस्था संभाली. अतुल राज ने मंच प्रबंधक के रूप में काम किया और श्याम प्रकाश और कृष्ण कुमार ने डॉ वेंकट नरेश बुरला के मार्गदर्शन में सहायक निर्देशन का कार्य संभाला.

Also Read: हथिया नक्षत्र में भारी बारिश के बाद क्या अब मौसम रहेगा साफ, दुर्गा पूजा से पहले झारखंड में कैसा रहेगा मौसम?

Next Article

Exit mobile version