रांची. फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ने न्यूनतम मजदूरी की दरों में की गयी बढ़ोतरी को संशोधित करने के प्रति विरोध जताया है. चेंबर ने झारखंड में न्यूनतम मजदूरी की दरों में पांच फीसदी (05%) से अधिक बढ़ोतरी नहीं करने का सुझाव दिया. इस मुद्दे पर सोमवार को श्रम भवन में राज्य के श्रमायुक्त की अध्यक्षता में गठित उप समिति के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई. चेंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री के नेतृत्व में फेडरेशन प्रतिनिधिमंडल ने बैठक में शामिल होकर अपना पक्ष रखा. उन्होंने इसके पक्ष में अपनी कई दलीलें भी दीं. इसके पीछे तर्क दिया गया कि न्यूनतम मजदूरी दर, बास्केट ऑफ कॉमोडिटीज के प्राइज इवैल्यूएशन से निर्धारित होती है. इसके साथ ही कॉस्ट ऑफ लिविंग दर को भी ध्यान में रखना चाहिए. हमारा राज्य 29वें पायदान पर है, लेकिन हमारे राज्य में न्यूनतम मजदूरी दर का निर्धारण सबसे ऊंचा किया गया है. फेडरेशन ने कहा कि निर्धारित दर से राज्य में पलायन बढ़ेगा और रोजगार का अनुपात घटेगा. चेंबर ने वार्ता के दौरान विभिन्न राज्यों में प्रभावी न्यूनतम मजदूरी दर की तालिका को दिखाते हुए स्पष्ट किया कि अन्य राज्यों की तुलना में हमारे राज्य में न्यूनतम मजदूरी की दर काफी अधिक है और इसमें संशोधन की आवश्यकता है. बैठक में संयुक्त श्रमायुक्त, सहायक श्रमायुक्त और अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ ही चेंबर उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण लोहिया और रोहित पोद्दार के अलावा इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी उपस्थित थे.
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