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झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री बने चंपई सोरेन, कोल्हान का रहा है दबदबा

बाबूलाल मरांडी गिरिडीह के रहने वाले हैं, लेकिन इनकी कर्मभूमि भी संताल परगना ही रहा है. कई बार इन्होंने संताल परगना के क्षेत्र से चुनाव जीता है. इसी प्रकार हेमंत सोरेन की भी कर्मभूमि संताल क्षेत्र ही रही है.

रांची : झारखंड गठन के 24 वर्षों में चंपई सोरेन 12 वें मुख्यमंत्री बने हैं. मुख्यमंत्री पद सुशोभित करने में कोल्हान का दबदबा रहा है. अब तक कोल्हान से सबसे अधिक चार लोगों को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है. इसमें अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा, रघुवर दास व चंपई सोरेन का नाम शामिल है. इस क्षेत्र से अर्जुन मुंडा को दूसरी बार 18 मार्च 2003 को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था. श्री मुंडा का पहला कार्यकाल एक वर्ष 349 दिनों का था. दूसरी बार में इनका कार्य काल एक साल 191 दिन व तीसरी बार में दो साल 129 दिनों का कार्यकाल रहा था. इस क्षेत्र से मधु कोड़ा को पांचवां मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था.

हालांकि इनका कार्यकाल सिर्फ एक वर्ष 343 दिनों का रहा. इसके बाद कोल्हान से रघुवर दास को 10वां मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. श्री दास पहले मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया. वे पांच साल एक दिन तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे. अब इस क्षेत्र से चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बने हैं. इनके अलावा बाबूलाल मरांडी, शिबू सोरेन व हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है. तीन नेता संताली वर्ग से जुड़े हैं. हालांकि शिबू सोरेन की जन्मभूमि नेमरा रही है, लेकिन उनका राजनीतिक क्षेत्र संताल ही रहा है.

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इसी प्रकार बाबूलाल मरांडी गिरिडीह के रहने वाले हैं, लेकिन इनकी कर्मभूमि भी संताल परगना ही रहा है. कई बार इन्होंने संताल परगना के क्षेत्र से चुनाव जीता है. इसी प्रकार हेमंत सोरेन की भी कर्मभूमि संताल क्षेत्र ही रही है. ये दुमका व बरहेट से चुनाव जीते हैं. शिबू सोरेन को राज्य में तीन बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला. इनका पहला कार्यकाल सिर्फ 10 दिनों का था. वह दूसरी बार 145 दिन व तीसरी बार 153 दिनों तक मुख्यमंत्री बने. हेमंत सोरेन को दो बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है. पहली बार में इनका कार्यकाल एक वर्ष 168 दिनों का था. वहीं इनका दूसरा कार्यकाल चार साल 35 दिनों का रहा है.

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