Champai Soren Cabinet Expansion: कैबिनेट विस्तार में चंपाई सोरेन ने साधा राजनीतिक और चुनावी समीकरण

Champai Soren Cabinet: चंपाई सोरेन की कैबिनेट का विस्तार हो गया है. शुक्रवार (16 फरवरी) को चंपाई सोरेन की कैबिनेट में 8 नए मंत्रियों को शामिल किया गया. इसके साथ ही मंत्रियों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है.

By Mithilesh Jha | February 18, 2024 11:14 PM

Champai Soren Cabinet Expansion: चंपाई सोरेन की कैबिनेट का विस्तार हो गया है. शुक्रवार (16 फरवरी) को चंपाई सोरेन की कैबिनेट में 8 नए मंत्रियों को शामिल किया गया. इसके साथ ही मंत्रियों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है. चर्चा थी कि 9 मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी, लेकिन कांग्रेस में जारी अंतर्कलह के कारण झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अपने एक नेता का नाम मंत्रियों की लिस्ट से हटाना पड़ा.

जोबा मांझी को नहीं मिली मंत्रिमंडल में जगह

कांग्रेस के कोटे से उन्हीं लोगों को मंत्री बनाया गया है, जो हेमंत सोरेन की कैबिनेट में मंत्री बने थे. वहीं, झामुमो ने दो नए चेहरों को मौका दिया है. चंपाई सोरेन की कैबिनेट में शिबू सोरेन के छोटे बेटे और हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन भी मंत्री बनाए गए हैं. कोल्हान के बड़े आंदोलनकारी दीपक बिरुवा को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. हेमंत सोरेन की कैबिनेट में मंत्री रहीं जोबा मांझी को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है.

कांग्रेस खेमे में मची खलबली

राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि चुनावी वर्ष में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने एक रणनीति के तहत मंत्रिमंडल का गठन किया है. वहीं, कांग्रेस खेमे में खलबली मची हुई है. कई नेताओं ने तो ‘खेला’ करने तक की बात कह दी है. हालांकि, वे क्या खेला करेंगे, इसका खुलासा अब तक उन्होंने नहीं किया है. कांग्रेस में उपजे असंतोष को झारखंड कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कोई तवज्जो नहीं दी.

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झामुमो ने महतो और मांझी को साधा

बता दें कि शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन का सरकार पर दबाव था कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया. सोरेन परिवार से शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. पार्टी ने लोकसभा और झारखंड विधानसभा चुनावों के मद्देनजर वोटरों को साधने के लिए महतो और मांझी नेताओं को मंत्रिपरिषद में शामिल किया है. सीता सोरेन को भी मना लिया गया है, क्योंकि मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के बाद उनका वैसा कोई बयान नहीं आया, जैसा कि हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद आया था.

रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल फिर बने मंत्री

चर्चा थी कि कांग्रेस कोटे के कई मंत्रियों को हटाकर उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जाएगा. लेकिन, जब वारंट जारी हुआ, तो उसमें सभी पुराने चेहरे ही थे. यानी डॉ रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख. इससे युवा नेताओं में आक्रोश भर गया. उन्होंने बंद कमरे में झारखंड कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर के सामने अपना विरोध दर्ज कराया. हालांकि, गुलाम अहमद मीर ने इस मामले को ज्यादा तवज्जो न देने की कोशिश करते हुए कहा कि विधायक पार्टी से जुड़ी कुछ बातें उनसे करने आए थे. लेकिन सच यही है कि विधायकों ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई.

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आलाकमान से मिलेंगे कांग्रेस के विधायक

कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि इन विधायकों के विरोध का कोई असर होने वाला नहीं है. कांग्रेस कोटे से जो मंत्री बनाए गए हैं, वे आलाकमान के कहने पर भी बनाए गए हैं. जो लोग खेला करने की बात कर रहे हैं, वे हो सकता है कि आलाकमान से मुलाकात करें, लेकिन उनके विरोध के आगे ये फैसला बदलने वाला नहीं है. बता दें कि दो-तीन महीने में लोकसभा के चुनाव हो जाएंगे. ऐसे में नए विधायकों को मंत्री बनाने का फैसला उचित नहीं होता.

एनडीए से मुकाबला नहीं आसान

कांग्रेस पार्टी और I.N.D.I.A. का मानना है कि जमीनी स्तर पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से मुकाबला बहुत आसान नहीं है. आजसू और भाजपा इस बार एक साथ चुनाव लड़ेंगे, तो झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के लिए भी आगामी चुनाव आसान नहीं होने वाला. एनडीए के पास नरेंद्र मोदी जैसा प्रभावशाली व्यक्तित्व है, तो उनसे मुकाबले के लिए कांग्रेस नीत गठबंधन के पास कोई उनकी टक्कर का नेता नहीं है. इसलिए कांग्रेस कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती.

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