Jharkhand Politics: आदिवासियों के अस्तित्व पर है संकट, Champai Soren ने बांग्लादेशी घुसपैठ पर जताई चिंता

झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने आदिवासियों की घटती आबादी पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स में लिखा कि बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण आदिवासी समाज के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

By Kunal Kishore | September 5, 2024 8:00 PM

Jharkhand Politics, शचिंद्र दाश/प्रताप मिश्रा : पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने एक बार फिर से झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि सामाजिक मुद्दा बताते हुए कहा कि इस विषय पर आज खामोश रहे तो आने वाले पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी. पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने सोशल साइड एक्स पर ट्वीट करते हुए कहा कि संथाल-परगना में लगातार हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण आदिवासी समाज के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. वहां दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां आदिवासी खोजने पर भी नहीं मिल रहे.

पाकुड़ का दिया उदाहरण

उदाहरण के तौर पर, पाकुड़ के जिकरहट्टी स्थित संथाली टोला में अब कोई संथाल परिवार नहीं रहता. इसी प्रकार मालपहाड़िया गांव में आदिम जनजाति का कोई सदस्य नहीं बचा है. आखिर वहां के भूमिपुत्र कहां गए? उनकी जमीनों, उनके घरों पर अब किसका कब्जा है ?

खामोश रहे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी

पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने X पर ट्वीट करते हुए कहा कि समाज के स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि बरहेट के गिलहा गांव में एक आदिवासी परिवार की जमीन पर जबरन कब्रिस्तान बनाया गया है. ऐसी घटनाएं कई जगह हुई हैं. उन्होंने कहा कि वीर भूमि भोगनाडीह एवं उसके आस-पास कितने आदिवासी परिवार बचे हैं? बाबा तिलका मांझी एवं वीर सिदो-कान्हू ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी भी विदेशी अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके, लेकिन आज उनके वंशजों की जमीनों पर घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है. हमारे लिए यह राजनैतिक नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दा है. अगर हम इस विषय पर खामोश रहे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी.

Also Read: Jharkhand Politics: BJP में शामिल होने के बाद चंपाई सोरेन पहली बार पहुंचे सरायकेला-खरसावां, कही ये बात

Next Article

Exit mobile version