PHOTOS: चंपाई सोरेन का निर्दलीय प्रत्याशी से CM तक का सफर, आंदोलनकारी होकर भी कभी जेल नहीं गए कोल्हान टाइगर
चंपाई सोरेन का राजनीतिक सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. 90 के दशक में अलग झारखंड राज्य आंदोलन के जरिए चंपाई सोरेन ने राजनीति में कदम रखा था. पहली बार उन्होंने विधानसभा चुनाव निर्दलीय जीता और अपने राजनीतिक करियर का आगाज किया. आइए जानते हैं चंपाई का निर्दलीय प्रत्याशी से सीएम बनने तक का सफर कैसा रहा-
चंपाई सोरेन झारखंड के नए सीएम बन चुके हैं. चंपाई सोरेन का राजनीतिक सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. 90 के दशक में अलग झारखंड राज्य आंदोलन के जरिए चंपाई सोरेन ने राजनीति में कदम रखा था. वे कोल्हान में झारखंड टाइगर के नाम से फेमस हैं. वे सरायकेला के विधायक हैं और सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से चंपाई सोरेन ने अब तक छह बार जीत दर्ज की है. हालांकि, उन्हें वर्ष 2000 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.
चंपाई सोरेन झामुमो के केंद्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. पूर्व में वह पार्टी में महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों को संभाल चुके हैं. चंपाई सोरेन को राजनीति का लंबा अनुभव है. चंपाई, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के काफी करीबी माने जाते हैं.
जिलिंगगोड़ा गांव निवासी आदिवासी सिमल सोरेन खेती किसानी किया करते थे. उनके चार बच्चों में बड़े बेटे का नाम चंपई सोरेन है. चंपई भी अपने पिता के साथ खेती हाथ बंटाते थे. 10वीं क्लास तक सरकारी स्कूल से चंपई ने पढ़ाई की. इस बीच उनका विवाह मानको से कर दिया गया. शादी के बाद चंपई के चार बेटे और तीन बेटियां हुईं. इसी दौरान बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठने लगी. शिबू सोरेन के साथ ही चंपाई भी झारखंड के आंदोलन में उतर गये. जल्द ही ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से मशहूर भी हो गये. इसके बाद चंपाई सोरेन ने अपनी सरायकेला सीट से उप चुनाव में निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक करियर का आगाज किया.
चंपाई सोरेन पहली बार वर्ष 1991 के सरायकेला विस क्षेत्र से उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज कर विधायक बने थे. उस चुनाव में चंपाई सोरेन ने सिंहभूम के तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हराया था. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. वर्ष 1995 के विस चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ कर भाजपा के पंचू टुडू को हरा कर विधायक बने. वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा लहर के कराण अनंत राम टुडू के हाथों पहली बार इन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद वर्ष 2005 में चंपाई सोरेन ने भाजपा के लक्ष्मण टुडू को 880 वोट के अंतर से जीत दर्ज की. 2009 के चुनाव में भी भाजपा के लक्ष्मण टुडू को 3200 वोट से हरा कर जीत दर्ज की. वर्ष 2014 के विस चुनाव में 1100 तथा 2019 के विस चुनाव में करीब 16 हजार वोट से जीत दर्ज कर विस पहुंचे.
तीन बार रहे मंत्रीवर्ष 2020 में चंपाई सोरेन राज्य में तीसरी बार मंत्री बने. पहली बार वर्ष 2010 में भाजपा झामुमो गठबंधन वाली अर्जुन मुंडा की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे. इसके बाद वर्ष 2013 में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी तो इन्हें फिर से मंत्री पद मिला और तीन विभाग उद्योग, परिवहन और आदिवासी कल्याण मंत्रालय के मंत्री रहे. वर्ष 2019 में राज्य में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी तो हेमंत सोरेन की सरकार में 28 जनवरी 2020 को चंपाई सोरेन को फिर एक बार मंत्री बनाया गया. इस बार चंपाई सोरेन जनजातीय कल्याण व परिवॉहन मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री बनाये गये.
भाजपा सरकार में रह चुके हैं मंत्रीभाजपा सरकार के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की दो साल, 129 दिन की सरकार में चंपाई सोरेन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था और अहम मंत्रालय दिये गये थे. चंपाई 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक मंत्री रहे. इसके बाद राष्ट्रपति शासन लग गया था और फिर हेमंत सोरेन की अगुवाई में बनी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार में चंपाई सोरेन को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन मंत्री बनाया गया. हेमंत की सरकार में दूसरी बार मंत्री. दूसरी बार 2019 में फिर से हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने पर चंपाई सोरेन को परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रखा गया है.
2024 में बने झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री2 फरवरी 2024 को चंपाई सोरेन ने झारखंड के 12वां मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. जमीन घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन को गठबंधन विधायक दल का नेता चुना गया और वे मुख्यमंत्री बनाए गए.
जमशेदपुर लोकसभा चुनाव हार गये थे चंपाई सोरेनरघुवर सरकार को छोड़कर झारखंड में अब तक एक भी सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है. 23 सालों में झारखंड को 12 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं. राज्य में सरकार हमेशा अस्थिर ही रही. ऐसा ही एक समय 2008-2009 में भी था. इस बीच 10 जनवरी 2009 में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर सहमति बन गई थी. हालांकि, उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था.
आखिरकार 2024 में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया. चंपाई के सीएम बनने के बाद उनके गांव जिलिंगगोड़ा के लोगों में खुशी देखी गई. हालांकि, दूसरी ओर लोग हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर गम और गुस्से में भी दिखे. चंपई के सीएम बनने पर गांववालों ने जमकर आतिशबाजी की. मांदर व नगाड़े की थाप पर नृत्य किया. जिलिंगगोड़ा में चंपई सोरेन के छोटे भाई दीकूराम सोरेन ने कहा कि बड़े भाई के मुख्यमंत्री बनने की खबर से वे काफी खुश हैं, लेकिन हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से काफी आहत भी हैं.
कभी सोचा नहीं था कि भाई सीएम बनेगादीकूराम सोरेन ने कहा कि हमने कभी सोचा भी नही था कि बड़ा भाई कभी सीएम बनेगा. बड़े भाई बचपन से ही अपने गांव और समाज के लोगों के प्रति काफी सजग रहते थे. उनकी मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. अलग झारखंड आंदोलन के दौरान वे काफी सक्रिय रहा करता थे. उन्होंने कहा कि मैंने उनके जुझारूपन को देखा है. वे जब किसी चीज को ठान लेता है तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं.
एक बार नौबत आयी थी, लेकिन कभी जेल नहीं गये चंपईझारखंड आंदोलनकारी चंपाई सोरेन ने आंदोलन के दौरान कभी भी जेल नहीं गये. चक्रधरपुर रेलवे कोर्ट में लंबित घाटशिला में रेलवे लाइन बाधित करने के मामले में उनकी जमानत खारिज हो गयी थी. इसके बाद उन्हें जेल जाने का आदेश दे दिया गया था. इस बीच उनकी तबीयत खराब हो गयी तो उन्हें इलाज के लिए चाईबासा जेल से एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके अलावा आंदोलन के कई मामलों में वे नामजद हुए, लेकिन सभी में उन्हें अग्रिम जमानत के बाद स्थायी जमानत मिली और सभी मामलों में बरी भी हो गये. चंपाई सोरेन अपने क्षेत्र ही नहीं पूरे कोल्हान में लोकप्रिय हैं. लोग इन्हें काफी पसंद करते रहे हैं.
प्रोफाइल
नाम : चंपाई सोरेन
पिता : स्व सिमल सोरेन
पत्नी : स्व माको सोरेन
पुत्र : चार, पुत्री : तीन
पार्टी : झामुमो
विधान सभा क्षेत्र : सरायकेला
ग्राम : जिलिंगगोड़ा
पोस्ट : डुंडरा, प्रखंड : गम्हरिया
जिला : सरायकेला-खरसावां
जन्म : नवंबर 1956
शिक्षा : मैट्रिक