चमरा लिंडा ने अपनी ही सरकार पर साधा निशाना, कहा- हाशिये पर आदिवासी, 3 साल में नहीं उठाया गया ठोस कदम
विधायक चमरा लिंडा ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार व उनके अधिकारी अंग्रेजों और भारतीय संविधान द्वारा दिये गये संवैधानिक अधिकारों को छिपाने का काम करते रहे हैं.
झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने केंद्र व अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि झारखंड में कहने के लिए आदिवासियों की सरकार है. परंतु आज भी राज्य के आदिवासी हाशिये पर ही हैं. उन्होंने कहा कि तीन साल में आदिवासियों के हित में सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. श्री लिंडा गुरुवार को प्रभात तारा मैदान में आदिवासी अधिकार महारैली को संबोधित कर रहे थे. महारैली में लोहरदगा, गुमला, खूंटी, तमाड़, बुंडू, चाईबासा, संताल परगना से आये आदिवासी समाज के लोग कार्यक्रम में शामिल हुए.
तो आदिवासियों को किसी के आगे भीख नहीं मांगनी पड़ेगी : विधायक चमरा लिंडा ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार व उनके अधिकारी अंग्रेजों और भारतीय संविधान द्वारा दिये गये संवैधानिक अधिकारों को छिपाने का काम करते रहे हैं. यह संवैधानिक अधिकार ही आदिवासियों की सुरक्षा कवच है.
पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को जान-बुझकर लागू होने नहीं दिया जाता है. अगर झारखंड के 13 जिलों में पांचवीं अनुसूची का प्रावधान लागू हो गया तो आदिवासियों को किसी के आगे भीख नहीं मांगनी पड़ेगी. आदिवासी खुद ही स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बन जायेंगे. आज कुरमी, तेली और अन्य जातियां आदिवासी बनना चाहते हैं, ताकि आदिवासियों के हक और अधिकार को छीना जा सके. उन्होंने कहा कि अगर झारखंड में कुरमी को एसटी बनाने का किसी भी तरह का प्रयास हुआ तो झारखंड में 48 घंटे का चक्का जाम किया जायेगा.
श्री लिंडा ने कहा कि हमें मुर्गी, सुअर और बकरी पालने को कहा जाता है. आइएएस, आइपीएस और अफसर बनने को नहीं. क्या इतने सारे अधिकार और फंड होते हुए भी हम मुर्गी और सूअर ही पालें. केंद्र सरकार पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत ट्राइबल सब प्लान के तहत 22 हजार करोड़ रुपये देती है. यह फंड जाता कहां है. बिहार के समय इसी फंड से चारा घोटाला कर दिया गया. रघुवर दास ने हाथी उड़ा दिया और वर्तमान सरकार में भी यह फंड दूसरे काम में डायवर्ट हो रहा है.
महारैली में पारित प्रमुख प्रस्ताव
कुरमी-महतो जाति को आदिवासी में शामिल नहीं किया जाये.
सरना धर्म कोड जनगणना फॉर्म में अंकित किया जाये
भुइहरी पहनई, महतोई, मुंडई, डालीकतारी, पनभरा, गैरही, देशवली, जमीन से संबंधित नियमावली बने.
आदिवासी जमीन का हस्तांतरण गैर आदिवासी से विवाहित महिला के नाम बंद करने की नियमावली बने.
एसटी की बैकलॉग में रिक्त पड़े पदों पर बहाली की प्रक्रिया शुरू हो.
संविधान के प्रावधान 350 (क) के तहत आदिवासी भाषा की पढ़ाई प्राथमिक विद्यालय में शुरू हो.
सीएनटी एक्ट व पांचवीं अनुसूची दोनों कानून को अलग किया जाये. सीएनटी एक्ट लागू रहे, लेकिन (पांचवीं अनुसूची) या धारा-244 (1) झारखंड के 13 जिलों में लागू करने की नियमावली बने.
टीएसी चेयरमैन का चुनाव उसके 15 सदस्य में से हो, इसकी नियमावली बनायी जाये.
नया एसएआर कोर्ट स्थापित किया जाये. इसे ज्यूडिशियल शक्ति देने के लिए नियमावली बने.
आदिवासी जमीन से निकले माइंस का उत्खनन एवं ट्रांसपोर्टिंग आदिवासी कोऑपरेटिव सोसायटी को दिया जाये.
लोहरा, लोहार, कमार, करमाली को आदिवासी की सूची में शामिल करने के लिए ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट में समीक्षा की जाये.
संविधान की धारा 275 (1) ट्राइबल सब प्लान का पैसा का खर्च टीएसी से एवं ग्राम सभा की अनुशंसा की जाये
हमारी नहीं सुनी जा रही
विधायक ने कहा कि राज्य में हमारी सरकार है, फिर भी आदिवासियों को अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भोगता समाज को आदिवासी में शामिल कर दिया. अब एक बार फिर से भोगता समाज को महतो बनाने की तैयारी चल रही है. सरकार को अपना फैसला वापल लेना होगा. यह राज्य आदिवासियों का है, लेकिन हमारी नहीं सुनी जा रही है. अंग्रेजों ने हमें सीएनटी-एसपीटी एक्ट दिया. पर हमारी सरकारों ने इसमें छेद कर सारी जमीन लूट ली. अगर अवैध जमीन हस्तांतरण की सीबीआइ जांच हुई, तो राज्य के 13 अनुसूचित जिलों के सभी वर्तमान व पूर्व डीसी जेल में रहेंगे.