चांद पर चंद्रयान-3, रांची में गूंजा- जय इसरो, जय एचईसी, कल निकलेगी तिरंगा यात्रा, देखें VIDEO

चंद्रयान-3 की सफलता पर झारखंड की राजधानी रांची में तिरंगा यात्रा निकलेगी. जैसे ही चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की, एचईसी के इंजीनियर झूम उठे. भारत माता की जय. जय इसरो, जय एचईसी के नारे लगाये. साथ ही कहा कि 24 अगस्त को एचईसी मुख्यालय से तिरंगा यात्रा निकालेंगे.

By Mithilesh Jha | August 23, 2023 8:34 PM

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 ने जैसे ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा, झारखंड की राजधानी रांची में ‘जय इसरो’, ‘जय एचईसी’ के नारे लगने लगे. इसरो और रांची का बड़ा पुराना नाता है. इसरो के कई बड़े अभियान में रांची की दो कंपनियों मेकॉन और हेवी इंजीनयिरंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) का अहम योगदान रहा है. यही वजह है कि रांची में जय इसरो और जय एचईसी गूंजा.

पीएम मोदी ने दक्षिण अफ्रीका से देश को किया संबोधित

बुधवार (23 अगस्त 2023) की शाम को पूरा देश टीवी चैनल देख रहा था. इसरो के महत्वाकांक्षी मिशन ‘चंद्रयान-3’ की सफलता की पूरे देश में कामना हो रही थी. पूजा-पाठ और हवन हो रहे थे. लोग टीवी पर सॉफ्ट लैंडिंग का लाइव प्रसारण देख रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए हुए हैं. अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद भारत के वैज्ञानिकों की सफलता का वह गवाह बने. जैसे ही मिशन की सफलता की घोषणा हुई, पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों और देश को संबोधित भी किया.

एचईसी के बाहर इंजीनियर्स ने मोबाइल पर देखा लाइव प्रसारण

देश में लोग टेलीविजन चैनल और अपने मोबाइल पर चांद की सॉफ्ट लैंडिंग को देख रहे थे. झारखंड की राजधानी रांची स्थित मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज एचईसी के इंजीनियर्स ने भी टीवी पर इसका लाइव प्रसारण देखा. कुछ उत्साही इंजीनयिर्स एचईसी के गेट के बाहर खड़े होकर अपने-अपने मोबाइल फोन की मदद से इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने. जैसे ही चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा, रांची में इंजीनियर खुशी से झूम उठे.

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मेकॉन और एचईसी ने इसरो के लिए बनाए उपकरण

बता दें कि झारखंड की दो संस्थाओं मेकॉन और एचईसी ने इसरो को महत्वपूर्ण उपकरण बनाकर दिए हैं. चंद्रयान-3 की लांचिंग के लिए जिस पैड का इस्तेमाल किया गया, उसका निर्माण झारखंड की इन्हीं दो कंपनियों ने किया है. मेकॉन के 50 इंजीनियर्स की टीम ने जीएसएलवी के कॉन्सेप्ट से लेकर कमिशनिंग तक का काम किया. जीएसएलवी का बजट 350 करोड़ रुपये का था. मेकॉन के वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व एसआर मजुमदार ने किया था. यह पहला मौका था, जब भारत में रॉकेट के लिए लांचिंग पैड का निर्माण भारत में हुआ.

बदहाली पर आंसू बहा रहा आंसू, इसरो की सफलता पर मनाया जश्न

एचईसी ने जीएसएलवी के लिए हॉरिजोंटल स्लाइडिंग डोर, मोबाइल लांचिंग पेडेस्टल और 10 टन का हैमर हेड टावर क्रेन और फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लैटफॉर्म (एफसीवीआरपी) बनाकर दिया. इसरो के सभी बड़े रॉकेट का प्रक्षेपण इसी मोबाइल लांचिंग पेडेस्टल से होता है. 10 टन का हैमर हेड टावर क्रेन रॉकेट के बैलेंस को बनाये रखने में मदद करता है. मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है, लेकिन एचईसी के इंजीनियर इस बात से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने ऐसी चीज बनाकर इसरो को दी, जो बार-बार इतिहास रच रहा है.

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चंद्रयान-3 की लांचिंग पर भी इंजीनियर्स ने मनाया था जश्न

चंद्रयान-3 की लांचिंग के दिन भी एचईसी के इंजीनियरों ने मुख्यालय के बाहर जश्न मनाया था. इसरो के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दीं थीं. चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की सफलता की कामना की थी. उन्होंने केक काटकर अपनी खुशी का इजहार किया था. आज की सफलता पर जश्न मनाने वालों में प्रमुख रूप से इस अवसर पर प्रेम शंकर पासवान, पूर्णेंदु दत्त मिश्र, शशि कुमार, सुभाष चंद्रा, धनंजय कुमार, तनवीर आलम, संतोष कुमार, अविनाश कुमार, रामाशंकर प्रसाद, सुनील कुमार व अन्य कर्मचारी मौजूद थे. जीएसएलवी को डिजाइन करने वाली टीम का हिस्सा रहे मेकॉन के इंजीनियर निशीथ कुमार कहते हैं कि क्वालिटी कंट्रोल पर इसरो का बहुत जोर था. कई चेक्स के बाद एक-एक चीजें तय होतीं थीं. कुछ उपकरण विदेशों से भी मंगाए गए थे.

रांची में कल निकलेगी तिरंगा यात्रा

एचईसी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने कहा है कि चंद्रयान-3 की सफलता से वे बेहद उत्साहित हैं. इसरो के वैज्ञानिकों की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर कल यानी 24 अग्सत 2023 को एचईसी मुख्यालय से धुर्वा गोलचक्कर होते हुए एचईसी मुख्यालय तक तिरंगा यात्रा निकाली जायेगी.

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