चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को बंधु तिर्की ने बताया गौरव का क्षण, बोले-अब मेकॉन व एचईसी की सुध ले केंद्र सरकार

कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि केन्द्र सरकार की उपेक्षित, राष्ट्र विरोधी और अदूरदर्शी नीति के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अनेक स्तर पर परेशानियों एवं चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र सरकार को इनकी सुध लेनी चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2023 9:04 PM

रांची: झारखंड के पूर्व मंत्री व कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि चन्द्रयान-3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग पूरे देश के लिये गर्व का क्षण है, लेकिन झारखंड के परिप्रेक्ष्य में हमारी खुशियां बहुत ही खास हैं. श्री तिर्की ने कहा कि चन्द्रयान-3 को जिस एसएलपी-सेकेंड लॉन्चिंग पैड से अंतरिक्ष में सफलता के साथ भेजा गया है, उसकी डिजाइन टर्न-की प्रोजेक्ट के आधार पर रांची के मेटालर्जिकल एंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (मेकॉन) द्वारा तैयार किया गया था, जबकि उसका निर्माण रांची में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम मदर इंडस्ट्रीज हेवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) में किया गया. उन्होंने कहा कि देशहित में एचईसी और मेकॉन ने आज फिर से अपनी सार्थकता एवं उपयोगिता प्रमाणित कर दी है.

उपेक्षापूर्ण रवैया का खामियाजा भुगत रहे कर्मचारी व अधिकारी

श्री तिर्की ने कहा कि झारखंड के सवा तीन करोड़ लोगों के साथ ही झारखंड में अवस्थित सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के सभी उपक्रमों, उसके अधिकारियों, कर्मचारियों, श्रमिकों, अभियंताओं आदि के लिये भी यह बेहद ख़ुशी का क्षण है क्योंकि यह हमारे झारखंड की कर्मठता को साबित करता है. न केवल रांची एवं झारखंड के सार्वजनिक बल्कि निजी क्षेत्र के उद्योगों-उपक्रमों ने अनेक बार अपने कार्यों, गतिविधियों व उपलब्धियों से यह बताया है कि अनुसन्धान एवं कर्मठता के साथ वे देश के खाते में अनेक उपलब्धियां जोड़ सकते हैं पर सही नीति, भरोसा और संसाधन बहुत जरूरी है. श्री तिर्की ने कहा कि वर्तमान समय के भाजपा शासनकाल में यह और भी निराशा की बात है कि केन्द्र न केवल रांची या झारखंड बल्कि देशभर में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों-उपक्रमों के साथ उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही है, जिसका खामियाजा झारखंड के औद्योगिक क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है.

Also Read: विश्व युवा कौशल दिवस:सीएम हेमंत सोरेन ‘मुख्यमंत्री सारथी योजना’ का करेंगे शुभारंभ, मिलेगी मुफ्त स्किल ट्रेनिंग

देश का मान बढ़ा रहे एचईसी व मेकॉन के पदाधिकारी व कर्मचारी

श्री तिर्की ने कहा कि केन्द्र सरकार की उपेक्षित, राष्ट्र विरोधी और अदूरदर्शी नीति के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अनेक स्तर पर परेशानियों एवं चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों के झारखंड के उद्योगों और उससे जुड़े अधिकारियों, अभियंताओं, कर्मचारियों, श्रमिकों के अलावा आम आम लोगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्तमान समय में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी क्षेत्र से तीव्र प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और केन्द्र सरकार की सकारात्मक एवं अनुकूल औद्योगिक नीति नहीं होने के कारण कुल मिलाकर देश में आर्थिक एवं औद्योगिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है पर इस स्थिति में भी वही एचईसी, देश का गर्व, सम्मान और अभिमान बढ़ा रहा है जिसके पास अपने अधिकारियों, कर्मचारियों और श्रमिकों को वेतन देने तक की राशि का अभाव है.

Also Read: नमन दिवस: मौत के बाद भी जिनकी आंखों ने दूसरों को दी नयी जिंदगी, रिम्स मरणोपरांत उन्हें करेगा सम्मानित

एचईसी, मेकॉन को लेकर सकारात्मक निर्णय ले केंद्र सरकार

श्री तिर्की ने कहा कि जिस प्रकार से चन्द्रयान-3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की गयी है, उसको देखते हुए केन्द्र सरकार को एचईसी, मेकॉन जैसे उपक्रमों के सम्बन्ध में अविलंब सकारात्मक निर्णय लेना चाहिये और देश हित में औद्योगिक नीति का पुनर्निर्धारण करना चाहिये, जिससे मदर इंडस्ट्री कही जानेवाली एचईसी के साथ ही इंडस्ट्रियल कंसलटेंसी एवं डिजाइनिंग के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना झंडा गाड़ चुके मेकॉन जैसे उपक्रमों को नकारात्मकता और उपेक्षा का शिकार नहीं होना पड़े. श्री तिर्की ने विश्वास व्यक्त किया कि केन्द्र सरकार न केवल भारत के सभी सार्वजनिक उपक्रमों के आधुनिकीकरण पर अपना पूरा ध्यान देगी बल्कि, प्रोफेशनलिज्म के स्तर पर संपूर्ण व्यावहारिकता का परिचय देते हुए अच्छे, कुशल, अनुभवी एवं ईमानदार अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करेगी क्योंकि आज इन्हीं कारणों से रांची एवं झारखंड सहित अन्य स्थानों पर अवस्थित भारत सरकार के अनेक सार्वजनिक उपक्रमों को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ रहा है और वे बहुत ही नाजुक अवस्था से गुजर रहे हैं.

Also Read: Jharkhand Village Story: झारखंड का एक गांव है बालुडीह, लेकिन अब ढूंढे नहीं मिलता बालू, पढ़िए बदलाव की ये कहानी

Next Article

Exit mobile version