मनरेगा और दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर ग्रामीण महिलाओं की बदल रही जिंदगी,आत्मनिर्भरता के साथ मिल रहा सम्मान
jharkhand news: सरकारी योजनाओं से झारखंड की ग्रामीण महिलाओं में बड़ा बदलाव आया है. मनरेगा और दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं जहां आत्मनिर्भर बन रही है, वहीं इस काम से उन्हें सम्मान भी मिल रहा है.
Jharkhand news: झारखंड सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जुड़कर झारखंड के ग्रामीण इलाकों की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. इन योजनाओं से जुड़कर उन्होंने न सिर्फ अपनी आर्थिक हालत सुधारी, बल्कि गांव के लोगों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया. अब गांव के अन्य लोगों के लिए ये प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं. मनरेगा और दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर लोहरदगा और सिमडेगा के ग्रामीण इलाकों की महिलाएं अपनी जिंदगी बदली.
अनीता ने सब्जियां उगाकर खुद को किया आत्मनिर्भरलोहरदगा जिला अंतर्गत भाक्सो पंचायत की अनीता उरांव ने दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर अपने साथ-साथ आसपास के गांव के लोगों को भी रोजगार मुहैया कराया. उसने लोगों को इस योजना के फायदे के बारे में बताया कि कैसे खुद से ऑर्गेनिक सब्जियां उगाकर कुपोषण को दूर किया जा सकता है और उसे बाजार में बेचकर आर्थिक स्थिति भी सुधारी जा सकती है. अनीता ने बताया कि पहले पूंजी के अभाव में वो खेती नहीं कर पाती थी, लेकिन इस योजना से जुड़ने के बाद अब उसे बाजार से सब्जियां खरीदना नहीं पड़ता है. घर पर ही अच्छी सब्जियां उगा लेती हैं.
लोहरदगा की 8वीं पास अवेदा खातून वर्ष 2019 में मेट बनी. उसने कहा कि मेट के रूप में उसका काम करने का अनुभव अच्छा रहा है. गरीब ग्रामीणों को कार्य देकर उन्हें समय पर भुगतान करा कर काफी अच्छा लगता है. अवेदा मेट के रूप में चयन होने से पहले खेती-मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करती थी. अब मेट बनने के बाद उसका परिवार आर्थिक रूप से अच्छा हो गया है.
Also Read: झारखंड की आदिवासी संस्कृति पर डॉक्यूमेंट्री बनायेगी जमैका की टीम, इन चीजों को दिखाया जाएगा प्रमुख रूप से बुधनी ने बंजर जमीन में उगाई खुशहाली की फसलबुधनी उरांव लोहरदगा के जोरी ब्लॉक की रहने वाली है. उसे मनरेगा से सिंचाई कूप दिया गया. जिससे उसने 2021 में सब्जी और आम की बागवानी शुरू की. बंजर जमीन को कृषि योग्य बनाया और किसानों को रोजगार मुहैया कराया. किसानों को कूप के लाभ के बारे में बताया. महिलाओं का समूह तैयार कर उन्हें मनरेगा समेत सरकार की अन्य लाभकारी योजनाओं के बारे में बताया. जिससे दूसरे ग्रामीण भी सब्जियों की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं.
मनरेगा ने बदल दी कविता की जिंदगीलोहरदगा के किस्को ब्लॉक की कविता देवी पिछले 5 साल से मनरेगा में मेट का काम कर रही है. उसने कई गांव के लोगों को मनरेगा के तहत चल रही योजनाओं के बारे में जानकारी दी और उन्हें उन योजनाओं से भी जोड़ा. आत्मनिर्भर होने के बाद कविता के परिवार में खुशहाली आ गई. परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हुआ, साथ ही बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवा पा रही है.
सबिता ने कई ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं से जोड़ासिमडेगा के कोलेबिरा की शाहपुर पंचायत की सबिता कुमारी इंटर पास हैं. उन्हें मनरेगा में मेट का काम मिला. मेट में रजिस्टर होते ही सबिता आत्मनिर्भर हो गई. सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों से संपर्क होने के कारण उसे कई सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी मिली. इन जानकारियों को उसने ग्रामीणों के साथ बांटा और उन्हें भी सरकारी योजनाओं से जोड़ा. सबिता ने कहा कि मेट बनने के बाद उसकी जिंदगी बदल गई. वह आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी मजबूत हुई.
Also Read: झारखंड में बनेगा पीएम मित्र योजना से मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क, जानें क्या है इसका उद्देश्य गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी पूनमसिमडेगा की शाहपुर पंचायत की पूनम कुल्लू का भी मनरेगा में मेट के तौर पर चयन हुआ. वह मनरेगा के तहत पंचायतों में चल रही योजनाओं की देखरेख करती हैं. पूनम कहती हैं कि उसे 20 श्रमिक पर एक हजार रुपये मिलता है. मेट में रजिस्टर्ड होते ही वो आत्मनिर्भर हो गई. साथ ही गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी.
सरकारी योजनाओं से ग्रामीण महिलाओं में आ रहा बदलाव : मनरेगा आयुक्तइस संबंध मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को शत-प्रतिशत क्रियान्वन सुनिश्चित कर लाभुकों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है. मनरेगा योजना वर्तमान समय में ग्रामीणों के लिए वरदान बन गया है. इस बदलाव के पथ प्रदर्शक बने है मनरेगा के महिला मेट. झारखंड की रहने वाली कविता, अनीता, पूनम, बुधनी, सबिता एवं अवेदा ने वर्तमान में मनरेगा योजना से जुड़कर अपने पूरे परिवार का भरण पोषण तो कर ही रही है, साथ ही जीवन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम भी बढ़ाया है.
रिपोर्ट : कुमार सौरभ, रांची.