रांची, शुभम राय : नहाय-खाय के साथ शुक्रवार (17 नवंबर) से छठ महापर्व का शुभारंभ होने जा रहा है. इसके पहले ही बिहार और पूर्वांचल के प्रवासी झारखंड से अपने गांव जाने के लिए बेताब हैं. रांची से बिहार जाने वाली ट्रेनों में इतनी भीड़ है कि लोग गेट पर लटककर जाने के लिए मजबूर हैं. लोग किसी भी तरह छठ पर्व पर अपने घर पहुंच जाना चाहते हैं. ट्रेनों में भीड़ इतनी है कि लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर आगे बढ़ रहे थे. यहां तक कि स्लीपर क्लास की स्थिति भी जेनरल डिब्बों जैसी ही थी. जेनरल डिब्बों में पैर रखने तक की जगह नहीं थी. गेट पर लोगों की भीड़ का आलम यह था कि लोग ट्रेन में चढ़ भी नहीं पा रहे थे. जो लोग पहले चढ़ गए थे, उन्होंने अंदर से गेट बंद कर लिया. इसकी वजह से कई लोगों की ट्रेन छूट गई.
हटिया इस्लामपुर एक्सप्रेस के एसएलआर कोच में हुड़दंग
बुधवार की रात हटिया इस्लामपुर एक्सप्रेस रांची जंक्शन पर रुकी, तो लोगों का हुजूम उसमें चढ़ने के लिए दौड़ पड़ा. देखते ही देखते ट्रेन के सारे डिब्बे फुल हो गए. कुछ लोग ट्रेन के दरवाजे पर लटक गए, तो कुछ ट्रेन की फर्श पर बैठ गए. स्थित यह थी कि कुछ लोग ट्रेन के एसएलआर कोच में जबरदस्ती घुस गए और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. एसएलआर कोच आमतौर से सामान रखने के लिए है. जरूरत पड़ने पर इसे दिव्यांगों या महिलाओं के लिए रिजर्व कर दिया जाता है. ट्रेन के बाहर खड़े लोगों ने बताया कि कुछ लोग एसएलआर कोच में जबरदस्ती घुस गए हैं और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया है. बाहर खड़ी एक महिला रोती नजर आई. उन्होंने कहा कि टिकट कटाकर आई है. उनके साथ एक मरीज है, लेकिन भीड़ इतनी अधिक है कि वह ट्रेन में चढ़ नहीं पाई. स्टेशन पर ड्यूटी कर रहे आरपीएफ के जवान भी लाचार खड़े थे.
Also Read: छठ पर्व के बाद लौटने वालों की ट्रेनों में उमड़ रही भीड़, देखें यहां धनबाद आने वाली ट्रेनों की स्थितिटिकट वापसी की बढ़ी चिंता
स्टेशन पर काफी संख्या में ऐसे लोग थे, जो ट्रेन में नहीं चढ़ पाए. एक यात्री जयप्रकाश ने कहा, ‘मैंने इस ट्रेन के जनरल डिब्बे का टिकट खरीदा था. लेकिन भीड़ देखकर ट्रेन में चढ़ने की हिम्मत नहीं हुई. अब पता नहीं मेरा टिकट वापस होगा भी या नहीं. यह रेलवे की लापरवाही है और उसका खामियाजा हम गरीबों को भुगतना पड़ रहा है.’ उसने कहा कि रेलवे को त्योहारों के समय बिहार जाने वाली ट्रेनों की संख्या बढ़ानी चाहिए. अगर ट्रेन नहीं बढ़ा सकते, तो ट्रेन में कुछ अतिरिक्त डिब्बे ही लगवा दें, ताकि लोग ट्रेन में चढ़ तो सकें.