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रांची के प्रमुख छठ घाटों पर क्या है खास इंतजाम, कहीं भजन संध्या का आयोजन तो कहीं लगेगा जांच शिविर

भारतीय यूथ संगठन महाछठ पूजा समिति ने छठ घाट के प्रवेश द्वार को फूलों से सजाया है. यहां शाम में भजन मंडली द्वारा भजनों की गंगा प्रवाहित की जायेगी.

रांची : छठ महापर्व को लेकर राजधानी के छठ घाटों की साज-सज्जा सबको आकर्षित कर रही है. शनिवार शाम छठ घाट रोशनी से जगमगा उठे. नगर निगम के साथ स्थानीय पूजा समितियों ने भी आकर्षक लाइटिंग की है, जिससे तालाबों की सुंदरता देखते ही बन रही है. स्थानीय पूजा समितियों ने डीजे की भी व्यवस्था की है. चारों तरफ छठी मइया के गीतों की गूंज है. इधर, अधिकतर छठ घाटों की साफ-सफाई हो चुकी है. सभी बड़े घाटों पर खतरे के निशान को दर्शाती हुई बैरिकेडिंग भी की गयी है. छठ महापर्व के बाद भी शहर के जलाशय स्वच्छ रहें, इसके लिए रांची नगर निगम ने सभी घाटों पर बैनर व पोस्टर भी लगाये हैं.

हटनिया तालाब छठ घाट पर तैयारी पूरी

भारतीय यूथ संगठन महाछठ पूजा समिति ने छठ घाट के प्रवेश द्वार को फूलों से सजाया है. यहां शाम में भजन मंडली द्वारा भजनों की गंगा प्रवाहित की जायेगी. समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार कैला, अभय तिवारी, प्रमोद पाठक व नवीन चाैधरी ने बताया कि फल, दूध, गंगाजल, आम का दतवन, धूप अगरबत्ती आदि की व्यवस्था भी की गयी है. उन्होंने बताया कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन भी रविवार को भगवान सूर्य को अर्घ देंगे.

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रांची में बनाये गये हैं तीन दर्जन कृत्रिम तालाब, टैंकरों से भरा जा रहा पानी

रांची. जो व्रती छठ घाटों तक जाने में सक्षम नहीं हैं या जिनके आसपास कोई तालाब नहीं है, उनकी सुविधा के लिए रांची नगर निगम ने शहर में 36 कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया है. एक सप्ताह पहले ही इनकी खुदाई की गयी थी. शनिवार को ऐसे सभी तालाबों में प्लास्टिक बिछाकर इसमें निगम के टैंकर से पानी भरा गया. नगर निगम के अधिकारियों की मानें, तो रविवार को फिर से ऐसे सभी कृत्रिम तालाबों में टैंकर से पानी भर दिया जायेगा. जिससे व्रतियों को अर्घ देने में कोई परेशानी नहीं हो.

धुर्वा स्थित सूर्य मंदिर में पूजा शुरू अनुष्ठान में शामिल होंगे छठ व्रती

धुर्वा बस स्टैंड के पास स्थित भगवान सूर्य मंदिर में शनिवार से पूजा-अर्चना शुरू की गयी है. यहां भगवान के मंदिर के अलावा सरोवर भी है, जहां व्रती स्नान-ध्यान कर भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य देती हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करती हैं. यहां मंदिर ट्रस्ट की ओर से तीन दिनी उत्सव का आयोजन किया जाता है. पहले दिन खरना अनुष्ठान होता है. इसके लिए यहां 125 क्विंटल दूध में बनी खीर, रोटी और गुड़ के लड्डू का प्रसाद तैयार कर भगवान को अर्पित किया जाता है. इसके बाद खीर और रोटी प्रसाद का वितरण किया जाता है. वहीं गुड़वाले लड्डू प्रसाद का वितरण सुबह वाले अर्घ के दिन किया जाता है. यहां आचार्य अरविंद कुमार पांडेय की देखरेख में पूजा-अर्चना की जायेगी.

लगेगा जांच शिविर

रविवार को यहां ट्रस्ट की ओर से दिन के 12.30 बजे से नि:शुल्क मेडिकल जांच शिविर लगाया जायेगा, जो देर शाम तक जारी रहेगा. वहीं व्रतियों की सुविधा के लिए पूजन सामग्री भी उपलब्ध करायी जायेगी. सोमवार की सुबह हवन के बाद से यहां व्रतियों के लिए पारण की व्यवस्था की जायेगी.

बढ़कर-चढ़कर लेते हैं हिस्सा

मंदिर ट्रस्ट के सचिव समीर कुमार ने कहा कि यहां सभी अनुष्ठान में भक्त बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. उन्होंने कहा कि खरना अनुष्ठान का खर्च सिंगापुर में रहनेवाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर रवि सिंह ने उठाया है. इसी तरह अन्य भक्त भी आयोजन में सहयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के अध्यक्ष विनय कुमार,धर्मेंद्र मिश्रा, अजय कुमार प्रसाद,विमल यादव,मुकेश पंडित, इस्माइल आलम और चंदन गुप्ता सहित अन्य आयोजन को सफल बनाने में लगे रहते हैं.

खरना का अनुष्ठान संपन्न, आज दिया जायेगा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ

छठ महापर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने खरना अनुष्ठान किया. प्रात: स्नान ध्यान कर व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ दिया और उनकी पूजा-अर्चना कर व्रत संपन्न होने की प्रार्थना कर दिनभर उपवास रखा. वहीं दोपहर बाद भगवान की पूजा के लिए प्रसाद बनाने का काम शुरू किया. लोकगीतों के बीच खीर प्रसाद, रोटी सहित अन्य कुछ तैयार किये और सूर्यास्त के बाद स्नान-ध्यान कर पुन: पूजा-अर्चना कर भगवान को खीर, रोटी का नैवेद्य अर्पित किया. इसके बाद सबकी मंगलकामना के लिए प्रार्थना कर इसे ग्रहण किया. उसके बाद प्रसाद के रूप में इसका वितरण किया गया. इससे पूर्व घर के सभी सदस्यों और पूजा में शामिल होने आये सभी लोगों को सिंदूर का टीका लगाया गया. इसके बाद से व्रतियों का 36 घंटे का कठोर व्रत शुरू हो गया.

छठ गीतों से गूंज रही है राजधानी

शनिवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ दिया जायेगा. व्रती प्रात: स्नान-ध्यान कर दिन से महाप्रसाद बनाने की तैयारी में लग जायेंगी. इसे तैयार करने के बाद व्रती सहित परिवार के अन्य सदस्य मिलकर दउरा सजायेंगे और सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर उसे छठ घाट ले जायेंगे. दोपहर बाद से व्रती पूरे परिजनों के साथ छठ घाट जायेंगी. रास्ते भर विभिन्न लोकगीतों को गुनगुनायेंगी और छठ घाट पहुंच कर स्नान ध्यान कर भगवान को नमन करते हुए उनका ध्यान करेंगी. इसके बाद डूबते हुए सूर्य को अर्घ देंगी. इसके बाद वापस घर लौटेंगी.

सोमवार को उगते सूर्य को दिया जायेगा अर्घ

वहीं सोमवार को अहले सुबह व्रती सूर्य को अर्घ देंगी और पूजा-अर्चना कर हवन आदि करेंगी. फिर बजरी लुटाकर प्रसाद का वितरण करेंगी. घर में आकर सभी देवी-देवताओं को प्रसाद अर्पित कर पूजा-अर्चना करेंगी. इससे पूर्व अपने आसपास के देवी मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करेंगी और भगवान को प्रसाद अर्पित कर अनुष्ठान अच्छे से संपन्न होने के लिए उनका नमन करेंगी. इसी के साथ चार दिवसीय महापर्व का समापन हो जायेगा.

खटालों और दुकानों में भक्तों की भीड़ रही

खरना को लेकर गाय का दूध लेने के लिए दुकानों और खटालों में भक्तों की भीड़ लगी रही. वहीं कई पूजा समितियों और खटाल मालिकों की ओर से नि:शुल्क दूध का भी वितरण किया गया. वहीं आटा चक्की में गेहूं व चावल पिसवाने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही. कई मिलों में बीती रात से ही इसकी पिसाई शुरू कर दी गयी थी. कई व्रतियों ने अपने घरों में ही जाता में इसकी पिसाई की.

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