छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में नया मोड़, ईडी को झारखंड में भी गड़बड़ी की आशंका, बढ़ सकती है इन अफसरों की परेशानी

ईडी द्वारा साझा की गयी सूचना के आधार पर दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कहा गया कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में प्रिज्म होलोग्राम की अहम भूमिका है. इस कंपनी ने अपने नोएडा स्थित फैक्ट्री से नकली होलोग्राम छाप कर अरुणपति त्रिपाठी के माध्यम से शराब सिंडिकेट को उपलब्ध कराया.

By Prabhat Khabar News Desk | August 2, 2023 7:21 AM

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में प्रिज्म होलोग्राम की भूमिका को लेकर नोएडा के कासना थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. इसमें झारखंड का भी उल्लेख किया गया है. प्राथमिकी में झारखंड में इस कंपनी द्वारा फर्जी होलोग्राम छापे जाने की आशंका जतायी गयी है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह प्राथमिकी छत्तीसगढ़ इडी द्वारा पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत साझा की गयी सूचना के आलोक में की है. इस प्राथमिकी के बाद झारखंड में उत्पाद विभाग से जुड़े अफसरों की परेशानी बढ़ सकती है.

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच कर रही इडी के उपनिदेशक हेमंत ने सक्षम अधिकारियों की अनुमति के बाद पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत शराब घोटाले में शामिल प्रिज्म होलोग्राम व अन्य के खिलाफ जांच में मिली सूचनाओं को साझा किया था. इडी द्वारा स्पेशल टास्क फोर्स, लखनऊ के एडीजी को साझा की गयी सूचना पर प्राथमिक दर्ज की गयी है.

छत्तीसगढ़ के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, उत्पाद आयुक्त निरंजन दास, आइएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, प्रिज्म होलोग्राम के विधु गुप्ता और अनवर ढेबर को अभियुक्त बनाया गया है. इडी द्वारा साझा की गयी सूचना के आधार पर दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कहा गया कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में प्रिज्म होलोग्राम की अहम भूमिका है. इस कंपनी ने अपने नोएडा स्थित फैक्ट्री से नकली होलोग्राम छाप कर अरुणपति त्रिपाठी के माध्यम से शराब सिंडिकेट को उपलब्ध कराया.

नकली होलोग्राम छापने के लिए सीरियल की जानकारी अरुणपति त्रिपाठी द्वारा दी जाती थी. क्योंकि सरकार को छाप कर दिये गये होलोग्राम के नंबरों की जानकारी और हिसाब त्रिपाठी के पास ही हुआ करता था. त्रिपाठी की सूचना और निर्देश के आलोक में दोबारा उन्हीं नंबरों को होलोग्राम छाप कर दिया जाता था,ताकि अवैध तरीके से चलनेवाले शराब के व्यापार को जांच के दौरान आसानी से नहीं पकड़ा जा सके.

नकली होलोग्राम छाप कर शराब की समानांतर व्यापार चलाने से राज्य सरकार को 1200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. प्राथमिकी में यह भी कहा गया है कि प्रिज्म होलोग्राम नामक इस कंपनी ने झारखंड सहित कुछ अन्य राज्यों में भी होलोग्राम छापने का काम किया है.

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