रांची में चिकन पॉक्स व खसरा की चपेट में आ रहे बच्चे, डॉक्टरों ने सावधान रहने की दी सलाह
कई बच्चों को उल्टी और दस्त की भी समस्या हो रही है. बीमार बच्चों को लेकर अभिभावक अस्पताल पहुंच रहे हैं. यह समस्या वायरल संक्रमण के कारण होती है. इसलिए डॉक्टर परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमितों से अलग रहने की सलाह दे रहे हैं.
राजधानी में इन दिनों तेजी से चिकन पॉक्स और मिजिल्स फैल रहा है. किशोर और बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं. इसमें सबसे पहले बुखार हो रहा है. इसके बाद शरीर में बड़े-बड़े या छोटे-छोटे दाने निकल जा रहे हैं. फिर इसमें खुजली व जलन की समस्या हो रही है. कई बच्चों को उल्टी और दस्त की भी समस्या हो रही है. बीमार बच्चों को लेकर अभिभावक अस्पताल पहुंच रहे हैं. यह समस्या वायरल संक्रमण के कारण होती है. इसलिए डॉक्टर परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमितों से अलग रहने की सलाह दे रहे हैं. वहीं, होमियोपैथी चिकित्सक डॉ यूएस वर्मा ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण ऐसी समस्या होने लगती है. इसमें शरीर में दाने निकल आते हैं. होमियोपैथी में इसकी कारगर दवा है. तीन से चार दिन की खुराक देने से राहत मिल जाती है.
बच्चों का कराया गया है टीकाकरण
बच्चों को खसरा या मिजिल्स जैसी बीमारी से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से रूबेला टीकाकरण अभियान चलाया गया है. राज्य के सभी जिलों में इस अभियान के तहत पांच साल तक के बच्चों को रुबेला का टीका दिया गया है.
चिकन पॉक्स और मिजिल्स से पीड़ित किशोर और बच्चों को परामर्श दिया जा रहा है. लक्षण के आधार पर दवाएं दी जा रही हैं. पिछले कुछ दिनों से इस समस्या वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है.
-डॉ राजेश कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ
इधर, दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों के लिए रिम्स में 20 बेड का ट्रॉमा विंग सोमवार से शुरू हो जायेगा. इसे ट्रॉमा सेंटर के प्रथम तल्ले पर स्थापित किया गया है. यहां ऑपरेशन थियेटर भी है, ताकि जरूरत पड़ने पर घायल मरीजों की तत्काल सर्जरी की जा सके. ट्रॉमा विंग के लिए डॉक्टरों की अलग टीम बनायी गयी है, जिसमें हड्डी, न्यूरो सर्जरी, सर्जरी और क्रिटिकल केयर विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल होंगे. इसे रिस्पांस टीम के नाम से जाना जायेगा. रिम्स निदेशक डॉ राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि फिलहाल ट्रॉमा विंग में कुछ गंभीर मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है, लेकिन सोमवार से सभी 20 बेड का संचालन शुरू कर दिया जायेगा. कुछ मरीज को भर्ती कर यह देखा जा रहा है कि क्या-क्या समस्या आ सकती है.
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