झारखंड में कोरोना और मौसम की मार, गढ़वा में कोयल नदी के किनारे फेंके हजारों चिकन, तो रांची में सड़क पर फेंके मटर
thousands of chicken thrown on the banks of Koyal river in Garhwa, peas thrown on the road in Ranchi district of jharkhand. रांची/मझिआंव : झारखंड (Jharkhand) में एक तरफ कोरोना वायरस (Coronavirus) के डर से पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) के मालिक डरे-सहमे हुए हैं, तो दूसरी तरफ मौसम (Weather) की मार ने किसानों (Farmers) की कमर तोड़ दी है. गढ़वा जिला (Garhwa District) के मझिआंव प्रखंड (Majhiaon Block) में पोल्ट्री फार्म के मालिक ने हजारों चिकन (Chicken) को कोयल नदी के किनारे फेंक दिया है, तो रांची (Ranchi) के बेड़ो (Bero) में किसानों ने मटर (Peas) को सड़क पर फेंक दिया है. लोग यहां से मटर उठाकर ले जा रहे हैं.
रांची/मझिआंव : झारखंड (Jharkhand) में एक तरफ कोरोना वायरस (Coronavirus) के डर से पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) के मालिक डरे-सहमे हुए हैं, तो दूसरी तरफ मौसम (Weather) की मार ने किसानों (Farmers) की कमर तोड़ दी है. गढ़वा जिला (Garhwa District) के मझिआंव प्रखंड (Majhiaon Block) में पोल्ट्री फार्म के मालिक ने हजारों चिकन (Chicken) को कोयल नदी के किनारे फेंक दिया है, तो रांची (Ranchi) के बेड़ो (Bero) में किसानों ने मटर (Peas) को सड़क पर फेंक दिया है. लोग यहां से मटर उठाकर ले जा रहे हैं.
बेड़ो और आसपास के थोक बाजारों का भी यही हाल है. बताया जा रहा है कि फसल की लागत नहीं मिलने से किसान बेहद निराश हैं. किसान बाजार में मटर बेचने के लिए लाये थे, लेकिन कोई 2 रुपये प्रति किलो की दर से भी खरीदने के लिए तैयार नहीं थे. अब यहां से मटर घर ले जायें, तो जितने की मटर है, उससे ज्यादा किराया लग जायेगा. इसलिए पूरी फसल को फेंकने में ही भलाई समझी.
वहीं, गढ़वा जिला के मझिआंव में सोशल मीडिया में चल रही खबरों से घबराकर एक पोल्ट्री फार्म के मालिक ने अपने तमाम चूजों और मुर्गों को नदी किनारे फेंक दिया. अब लोगों में इस बात को लेकर आशंका है कि चूजे और मुर्गे मरेंगे, तो पूरे इलाके में कोरोना वायरस फैल जायेगा.
कोयल नदी के किनारे पृथ्वी चक में रविवार को हजारों मुर्गे पड़े थे. बताया गया है कि मझिआंव नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड संख्या 4 के कृष्णा मेहता का पोल्ट्री फॉर्म है. उसने ही सारे मुर्गे और चूजे फेंके हैं. कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के डर से लोगों ने चिकन खाना बंद कर दिया है. औने-पौने दाम पर भी मुर्गे की बिक्री नहीं हो रही. इससे पोल्ट्री फार्म के मालिक चिंतित हैं.
उनका कहना है कि मुर्गे को बेवजह दाना खिलाना और उसकी सेवा करना बेकार है. इसलिए इसे फेंक देने में ही भलाई है. कहा जा रहा है कि पोल्ट्री फार्म के मालिक ने जीवित मुर्गों को फेंका था, लेकिन बारिश और ओलावृष्टि में सभी की मौत हो गयी. गनीमत यह रही कि मूसलाधार बारिश के बाद कोयल नदी उफनायी और सारे मुर्गों को बहा ले गयी.