तीन बड़ी योजनाओं का शुभारंभ : मजदूरों को गांव में रोजगार, 5 साल में इनके हाथ में जाएंगे 20 हजार करोड़
लॉकडाउन के बाद झारखंड में करीब नौ लाख प्रवासी मजदूर आनवाले हैं. इसे देखते हुए राज्य में ही रोजगार सृजन करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को ग्रामीण विकास की तीन बड़ी योजनाओं का शुभारंभ किया
रांची : लॉकडाउन के बाद झारखंड में करीब नौ लाख प्रवासी मजदूर आनवाले हैं. इसे देखते हुए राज्य में ही रोजगार सृजन करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को ग्रामीण विकास की तीन बड़ी योजनाओं का शुभारंभ किया. प्रोजेक्ट भवन सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम ने बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना और वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना का शुभारंभ किया. इन योजनाओं से ग्रामीण, किसान व खेल के प्रति समर्पित युवाओं को काफी लाभ मिलेगा. राज्य सरकार की कोशिश है कि ग्रामीणों समेत प्रवासी मजदूरों को भी गांव में ही रोजगार मिले. तीनों योजनाओं के माध्यम से 25 करोड़ मानव दिवस का सृजन होने की संभावना है.
वहीं, राज्य के मजदूरों के खाते में प्रति वर्ष करीब पांच हजार करोड़ रुपये का भुगतान भी होने की संभावना है. संकट का समय है, ईमानदारी से काम करें मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रारंभ की जा रही तीन योजनाओं के माध्यम से 25 करोड़ मानव दिवस सृजन का लक्ष्य है. पांच वर्षों में इससे करीब 20 हजार करोड़ रुपये लाखों श्रमिकों को उनके पारिश्रमिक के रूप में प्राप्त होंगे. सीएम ने कहा कि यह संकट का समय है. ईमानदारी व तत्परता से काम करें, ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंदों को योजनाओं से लाभान्वित किया जा सके. सीएम ने कहा कि हमें सीमित संसाधनों के बल पर स्वास्थ्य सुविधा, प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का सृजन करना है.
सीएम ने कहा कि झारखंड का रोजगार खेतों से जुड़ा है. संक्रमण के दौर में उद्योग बंद हैं. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में भुखमरी व बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गयी है. शुरू की जा रही योजनाएं इस मामले में निर्णायक भूमिका निभाने वाली होंगी. पेड़ लगाने पर एक परिवार को 50 हजार वार्षिक आमदनी मुख्यमंत्री ने कहा कि बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत फलदार पौधा लगाने का लक्ष्य निर्धारित है. इसमें बुजुर्गों और विधवा महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी, ताकि उनके लिए भी रोजगार उपलब्ध कराया जा सके.
योजना के जरिये सरकार सड़क किनारे, सरकारी भूमि, व्यक्तिगत या गैर मजरूआ भूमि पर फलदार पौधा लगाया जायेगा. इन पौधों की देखभाल की जिम्मेवारी ग्रामीणों की होगी. उन्हें पौधा का पट्टा भी दिया जायेगा, जिससे वे फलों से आमदनी कर सकें. पौधरोपण के करीब तीन वर्ष बाद प्रत्येक परिवार को 50 हजार रुपये की वार्षिक आमदनी होने की संभावना है. साथ ही फलों की उत्पादकता बढ़ने की स्थिति में फलों को प्रसंस्करण करने की भी योजना पर सरकार कार्य कर रही है. खिलाड़ियों को नौकरियों में आरक्षणमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पंचायत स्तर पर खेल का मैदान निर्माण करने की योजना शुरू की है.
वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना के माध्यम से जहां एक ओर सरकार खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने के कार्य करेगी, वहीं खेल के माध्यम से नौकरी में आरक्षण भी दिया जायेगा. खिलाड़ियों को खेल के रास्ते देश व राज्य के विकास से जोड़ना है. इस योजना का नाम वीर शहीद पोटो हो करने का उद्देश्य वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ी को वीर शहीद की वीरता से अवगत भी कराना है. वीर शहीद पोटो हो ने सिंहभूम में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था. एक जनवरी 1838 को सेरेंगसिया घाटी में वीर शहीद पोटो हो शहीद हो गये थे.
इसलिए खूंटपानी में हर वर्ष पहली जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.भूमिगत जल का संवर्धन होगामुख्यमंत्री ने बताया कि नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के माध्यम से पांच लाख करोड़ लीटर जल वृद्धि की योजना है. भूमिगत जल का संवर्धन आज के समय की जरूरत है, जिसका आभास हम सबको है. योजना के माध्यम से बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना है. खासकर लातेहार, पलामू और गढ़वा जैसे जिलों में भूमिगत जल संरक्षण पर वृहद् स्तर से काम होंगे. मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भी संबोधित किया.