झारखंड में बच्चे को गोद लेने के लिए सिविल सर्जन से लेनी होगी मंजूरी, जानें क्या है नियम
अगर किसी परिचित, नर्सिंग होम, अस्पताल या किसी एनजीओ से बच्चे की सूचना मिलती है, तो उसके आधार पर आप बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं. राज्य की बालगृह एवं दत्तक ग्रहण संस्था करुणा एनएमओ ने सिविल सर्जन कार्यालय को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश के अनुरूप प्रमाणपत्र निर्गत करने का आग्रह किया है
बच्चे को गोद लेने के लिए सामाजिक संस्था और लोगों को अब नयी प्रक्रिया से गुजरना होगा. दत्तक ग्रहण नियमावली-2022 के नियम – 37 के अनुसार, जिला अस्पताल प्रबंधन की ओर से प्रमाणपत्र निर्गत करना अनिवार्य किया गया है. इसमें बच्चा गोद लेने को लेकर शर्तें रखी गयी हैं. इसके तहत बच्चा को गोद लेने के लिए अब सिविल सर्जन से अनुमति लेनी होगी.
नियम के अनुसार, अगर किसी परिचित, नर्सिंग होम, अस्पताल या किसी एनजीओ से बच्चे की सूचना मिलती है, तो उसके आधार पर आप बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं. इसके तहत सिविल सर्जन द्वारा बनाया गया मेडिकल बोर्ड पहले बच्चे को देख-समझकर उसका भौतिक सत्यापन (फिजिकल टेस्ट) करेगा कि बच्चा सामान्य कैटेगरी का है या फिर विशेष.
राज्य की बालगृह एवं दत्तक ग्रहण संस्था करुणा एनएमओ ने सिविल सर्जन कार्यालय को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश के अनुरूप प्रमाणपत्र निर्गत करने का आग्रह किया है. ऐसे में कोई भी परिवार अगर किसी बच्चे को गोद लेना चाहता है, तो उन्हें इस प्रक्रिया से गुजरना होगा. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) ने 11 अक्तूबर 2022 को इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया था.
यह संस्था मुख्य रूप से अनाथ, छोड़ दिये गये और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चों को गोद दिलाने के लिए काम करती है. ज्ञात हो कि वर्तमान में देश में लगभग तीन करोड़ 10 लाख अनाथ बच्चे हैं, लेकिन जटिल कानूनी प्रक्रिया के कारण पिछले पांच सालों में सिर्फ 16,353 बच्चों को ही गोद लिया जा सका है.
रिपोर्ट- बिपिन सिंह