झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने बाल विवाह उन्मूलन का दिया मंत्र, 3 बेटियों को 2-2 लाख रुपये देने की घोषणा

Jharkhand News: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जो किसी परिवार या किसी बालिका के लिए व्यक्तिगत दंश तो है ही, समग्र समाज की उन्नति में भी बाधक है. बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी पड़ता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2022 6:47 PM
an image

Jharkhand News: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि अगर समाज शिक्षित हो जाएगा, तो बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई अपने आप ही समाप्त हो जायेगी. बाल विवाह जैसी कुप्रथा को दूर करने के लिये समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होने की आवश्यकता है. इस मौके पर उन्होंने बाल विवाह उन्मूलन के लिए काम करने वाली तीन बेटियों को 2-2 लाख रुपये प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की. संस्था आली द्वारा रांची के होटल बीएनआर चाणक्या में बाल विवाह पर परिचर्चा का आयोजन किया गया था.

2-2 लाख रुपए प्रोत्साहन राशि

राज्यपाल रमेश बैस ने बाल विवाह उन्मूलन को लेकर कार्य करने वाली तीन बालिकाओं श्वेता कुमारी (पलामू), सपना कुमारी (गढ़वा) एवं गीता कुमारी (देवघर) को 2-2 लाख रुपए प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की.

Also Read: Jharkhand News: झारखंड का एक गांव, जहां कोई नहीं चाहता था अपनी बेटी ब्याहना, सरकारी योजना ने तोड़ दी मिथक
बेहद चिंताजनक है बाल विवाह

राज्यपाल ने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जो किसी परिवार या किसी बालिका के लिए व्यक्तिगत दंश तो है ही, समग्र समाज की उन्नति में भी बाधक है. दुनिया के हर शिक्षित और सभ्य समाज में बाल विवाह को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जाता है. बाल विवाह के मुख्य कारण आयु घटक, असुरक्षा, शिक्षा व समाजीकरण का आभाव, महिला सशक्तिकरण में बाधा, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे इत्यादि हैं. बाल विवाह बेहद चिंताजनक है. ये सामाजिक कुरीति व अभिशाप है, जो बचपन खत्‍म कर देता है और खासकर लड़कियों की ज़िंदगी को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. यह बच्‍चों की शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और संरक्षण पर नकारात्‍मक प्रभाव डालता है. बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी पड़ता है.

Also Read: Jharkhand News: सामूहिक दुष्कर्म से लोगों में आक्रोश, लाठी चार्ज व पथराव के बाद कैसे हैं हालात
अभिशाप है बाल विवाह

राज्यपाल ने कहा कि जब किसी की शादी कम उम्र में होती है, अक्सर उसके स्‍कूल से ड्रॉप-आउट अथवा निकल जाने की आशंका बढ़ जाती है. खुद नाबालिग होते हुए भी वे संतान को जन्म देती हैं. कम उम्र में लड़कियों के मां बनने से माँ और बच्चे, दोनों के जीवन को खतरा होता है. विडम्बना है कि यह कुप्रथा देश के प्रायः सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में बिना किसी रोकथाम के प्रचलन में है. घरेलू जिम्मेदारियों के कारण प्रायः बाल वधुओं को अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ती है. ऐसा माना जाता है कि यदि घर की महिला शिक्षित होती है तो वह अपने पूरे परिवार को शिक्षित करती है. हर परिवार चाहता है कि उन्हें बहू पढ़ी-लिखी मिले, लेकिन बेटियों को पढ़ाने को तैयार नहीं हैं. अगर हम बेटी को पढ़ा नहीं सकते तो शिक्षित बहू की उम्मीद करना अनुचित है.

Also Read: Jharkhand News: हादसे में पैर गंवाने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, एक पैर से डांस कर रेखा मचा रही धमाल

Posted By : Guru Swarup Mishra

Exit mobile version