Child Trafficking In Jharkhand Report रांची : सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि बाल तस्करी रोकने के लिए राज्य के गांवों में महिला एसपीओ की नियुक्ति की जायेगी. वह गांव के बच्चों पर नजर रखने के साथ तस्करों पर नजर रखेंगी. यदि बच्चों की तस्करी का प्रयास हो रहा हो, तो वह संबंधित अधिकारी और पुलिस को सूचना देंगी, ताकि तस्करी करनेवालों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जा सके. सीएम ने यह बातें रविवार को झालसा की ओर से कोविड में अनाथ हुए बच्चों के पुनर्वास के लिए चलाये जा रहे प्रोजेक्ट शिशु के लॉन्चिंग कार्यक्रम में कही.
वर्चुअल सेमिनार में झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन, झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के साथ जिलों के एसपी व अन्य अधिकारी मौजूद थे.
झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने झालसा ने अब तक 208 बच्चों को प्रोजेक्ट शिशु के तहत लाभ देते हुए इस प्रोजेक्ट से जोड़ा है. 200 और बच्चों को चिह्नित किया गया है. इस योजना का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा, चिकित्सा, पारिवारिक माहौल देना है. अनाथ बच्चों को पहले उनके रिश्तेदारों के पास रखने का प्रयास होता है. यदि कोई रिश्तेदार न हो, तो उन्हें गोद दिया जाता है. ऐसे बच्चों का संपूर्ण विकास के साथ उनकी मॉनिटरिंग भी की जाती है और समय-समय पर सरकारी अधिकारी और डालसा के लोग जाकर बच्चों से मिलते भी हैं.
झारखंड हाइकोर्ट के जज और हाइकोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 234 बच्चे कोरोना काल में अनाथ हुए हैं. इन बच्चों की ट्रैफिकिंग न हो, इसके लिए सतर्क होना होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पीएम केयर ऑफ चिल्ड्रेन स्कीम लांच की है. इसमें अनाथ हुए बच्चों को 10 लाख रुपये तक का लाभ दिये जाने का प्रावधान है. बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान भी रखना होगा उनके साथ कोई गलत व्यवहार न हो.
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन ने बाल संरक्षण, बाल अधिकार, सीडब्ल्यूसी, जुवेनाइल जस्टिस, स्पांसरशिप, फोस्टर स्कीम से संबंधित पत्रिकाओं का लोकार्पण किया. इनमें बच्चों के अधिकार से संबंधित कानून और योजनाओं की जानकारी दी गयी है.
समारोह के दौरान सोनाहातू और बेड़ो की विधवा और बच्चों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया गया. इन्हें विधवा पेंशन, लक्ष्मी लाडली योजना का लाभ दिया गया. साथ ही बच्चों को स्कूल किट भी प्रदान किया गया.
बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाना चाहिए : जस्टिस एसएन प्रसाद
झालसा ने 208 बच्चों को प्रोजेक्ट शिशु से जोड़ा है, 200 बच्चों को चिह्नित किया गया है
श्री सोरेन ने कहा कि कोरोना से देश के साथ-साथ झारखंड ने भी त्रासदी झेली है. कोरोना से कई बच्चों ने अपने माता-पिता और अभिभावकों को खोया है. ऐसे अनाथ बच्चों के संपूर्ण विकास और पुनर्वास के लिए झालसा ने प्रोजेक्ट शिशु लांच कर सराहनीय कार्य किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को घर का माहौल मिले, इसके लिए सरकार भी तैयारी कर रही है. दूसरे मामले में भी जो बच्चे अनाथ हुए हैं, उनके भी पुनर्वास की व्यवस्था सरकार पहले से कर रही है.
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने कहा कि कोरोना महामारी पूरी दुनिया के लिए त्रासदी बन कर आयी है. इस महामारी ने कई घरों को उजाड़ दिया है. कई ऐसे बच्चे हैं, जिन्होंने इस बीमारी में अपना माता-पिता और अपने अभिभावकों को खो दिया है. अब इन बच्चों का पुनर्वास करना, उनकी शिक्षा, चिकित्सा, भोजन के साथ उनका संपूर्ण विकास करना हमारा दायित्व है. अनाथ हुए बच्चों को संपूर्ण विकास हमारी प्राथमिकता है.
Posted By : Sameer Oraon