झारखंड में मोटापे का शिकार होता बचपन, शारीरिक गतिविधि कम होना और जंक फूड का सेवन बन रहा कारण
देश भर में बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है. यह एक गंभीर समस्या बन गयी है. चिकित्सकों के अनुसार, लॉकडाउन के बाद से इसके मामले ज्यादा बढ़े हैं. लॉकडाउन के दौरान बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी घर में रहने के आदि हो गये थे. इस दौरान शारीरिक गतिविधि में उनका ध्यान कम हो गया था.
झारखंड की बात करें, तो पांच साल से कम उम्र के बच्चों का वजन बढ़ रहा है. बाल रोग विशेषज्ञ के अनुसार, अस्पताल में प्रतिदिन दो से तीन अभिभावक बच्चों के मोटापा की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाके में रहने वाले बच्चों में भी मोटापा बढ़ा है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-पांच (एनएफएचएस पांच) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015-16 में झारखंड में मोटे बच्चों की संख्या 1.5 फीसदी थी, जो 2020-2021 में बढ़कर 2.8 फीसदी हो गयी है. शहर और ग्रामीण दोनों का आंकड़ा 2.8 फीसदी है.
विभिन्न प्रकार के फूड्स शामिल करें
डायटीशियन अर्पिता मिश्रा ने बताया कि भारतीयों के लिए अनुशंसित आहार योजना के अनुसार, 1-3 वर्ष की आयु के बच्चों को लगभग 1,060 किलो कैलोरी प्रतिदिन भोजन करना चाहिए. जबकि, 4-6 वर्ष के बच्चों को लगभग 1,350 किलो कैलोरी प्रतिदिन भोजन करना चाहिए. बच्चों की डायट में विभिन्न प्रकार के फूड्स को शामिल करना चाहिए. खाने में विटामिन का बैलेंस बनाकर रखना चाहिए. क्योंकि, बच्चों की ग्रोथ के लिए ये बहुत जरूरी है.
प्लेट में अधिक मात्रा में न दें खाना
चार से पांच साल के बच्चे को प्लेट में अधिक मात्रा में खाना नहीं देना चाहिए. बच्चों में कैलोरी फैट कम नहीं करना चाहिए, बल्कि सुपाच्य भोजन देना चाहिए और फास्ट फूड, चॉकलेट, आइस्क्रीम, कैंडी जैसी चीजें रेगुलर डाइट में नहीं होनी चाहिए. ये सब फूड से वजन बढ़ता है. बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान देना चाहिए.
मोटापा बढ़ने के कारण
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फास्ट फूड, स्नैक्स, सोडा, सॉफ्ट ड्रिंक और मिठाई का ज्यादा सेवन करना.
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शारीरिक गतिविधियों में कमी व लगातार असंतुलित भोजन का सेवन करना.
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तनाव, बोरियत और नकारात्मक के कारण भी बच्चों में मोटापा बढ़ने लगता है.
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मोबाइल स्क्रीन और लैपटॉप पर ज्यादा देर तक समय बिताना
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खेलकूद और आउट डोर एक्टिविटी कम होना
मोटापे से हो सकते हैं बीमारी के शिकार
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डायबिटीज
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हृदय रोग
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अस्थमा
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नींद, थॉयराइड
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हाइपर टेंशन
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किडनी समस्या
उम्र के हिसाब से बच्चों का वजन
उम्र लड़का लड़की
जीरो महीना 2.8-3.3 2.8-3.3
दो से छह माह 06 5.4
नौ माह से एक साल 10 9.6
दो से पांच साल 12.5 11.8
छह से आठ साल 14-18 14-17
नौ से 11 साल 28-31 28-31
12 से 14 साल 32-38 32-36
(नोट : राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के चार्ट में उम्र के मुताबिक वजन)
मोटापे को कैसे रोकें
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बच्चों में मोटापे कैसे रोकें- बच्चे को शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें.
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बच्चे को खाने में ज्यादातर पौष्टिक आहार दें.
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बच्चों का समाज में लोगों के साथ मेल-जोल बढ़ायें.
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बच्चे को बाहरी खाना और जंक फूड न खाने दें.
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डिब्बा बंद जूस व मीठी चीजें कम दें.
लॉकडाउन के बाद से बच्चों में ओबेसिटी (मोटापा) के मामले बढ़े हैं. प्रतिदिन दो से तीन अभिभावक बच्चों में मोटापा की समस्या को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. उन्हें वेट चार्ट व डाइट चार्ट के बारे में बताया जाता है. साथ ही काउंसेलिंग भी करनी पड़ रही है. हालांकि, पहले कमजोर और पतले होने की समस्या लेकर अभिभावक आते थे. अब मोटापे को लेकर आ रहे हैं. अगर बच्चों का वजन सही समय पर ठीक नहीं रखा गया, तो आगे चलकर कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.
-डॉ अनिताभ कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ
बच्चों के खान-पान में आये बदलाव के कारण भी मोटापा बढ़ जाता है. इसलिए उनके खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. फास्ट फूड, चॉकलेट, आइस्क्रीम, कैंडी जैसी चीजें रेगुलर डाइट में नहीं होनी चाहिए. इसके सेवन से ही वजन बढ़ता है. बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी व आउट डोर गेम्स पर प्रतिदिन अभिभावकों को ध्यान देना चाहिए. इससे काफी हद तक मोटापा रोकने में मदद मिलेगी.
-अर्पिता मिश्रा, डायटीशियन
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