रांची. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) की चपेट में आनेवाले बच्चों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ी है. रिम्स सहित अन्य शिशु अस्पतालों में बच्चों का इलाज चल रहा है. यह समस्या बैक्टीरिया और वायरस दोनों की वजह से हो रही है. इसकी वजह से ब्रेन में सूजन हो जाता है और मरीज को बेहोशी और झटका आना शुरू हो जाता है. अस्पताल पहुंचने वाले बच्चों में जांच के बाद ब्रेन मलेरिया, इंसेफलाइटिस, जापानी इंसेफलाइटिस की पुष्टि हो रही है. तेज बुखार, बार-बार बेहोश होना, मिरगी की तरह झटका आना, शरीर में अकड़न आदि इसके लक्षण हैं.
रिम्स में 10 से 12 बच्चों का किया जा रहा इलाज
रिम्स के शिशु विभाग में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित 10 से 12 बच्चों का इलाज किया जा रहा है. वहीं, रानी अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार ने बताया कि अभी तक ब्रेन मलेरिया के 10 बच्चों का इलाज हुआ है. इनमें चार अभी भी भर्ती हैं. पिछले साल कुल 10 बच्चों का इलाज किया गया था. इधर, बालपन अस्पताल में मेनिंगो इंसेफलाइटिस से पीड़ित दो बच्चों का इलाज चल रहा है. यहां के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार ने बताया कि मेनिंगो इंसेफलाइटिस से पीड़ित बच्चों में डेंगू की भी पुष्टि हो रही है.
जापानी इंसेफलाइटिस से अब तक 22 लोग हुए पीड़ित
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में इस साल अब तक जापानी इंसेफलाइटिस से 22 लोग पीड़ित हो चुके हैं. इनमें बच्चों की संख्या ज्यादा है. इनका इलाज सरकारी अस्पताल में किया गया है. राहत की बात यह है कि किसी मरीज की मौत अभी तक नहीं हुई है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इन दिनों अस्पतालों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों की संख्या 30 फीसदी तक बढ़ी है. बरसात के मौसम में वायरस और बैक्टीरिया दोनों से यह बीमारी होती है. रिम्स में ऐसे पीड़ित बच्चों का इलाज किया जा रहा है. रेफर मरीजों की संख्या ज्यादा है.
डॉ राजीव मिश्रा, शिशु विभागाध्यक्ष, रिम्सB
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