खतरे में झारखंड के नौनिहाल : एक साल में 652 बच्चे व 743 बच्चियां लापता

एनसीआरबी के अनुसार, सिर्फ 2022 में 18 वर्ष से कम उम्र (नाबालिग) के 33 लड़के व 96 लड़कियाें की तस्करी हुई है. इनके अलावा 18 वर्ष व उससे अधिक उम्र के 10 लड़के व 29 लड़कियों की भी तस्करी हुई है. इनमें से 90 बच्चों को जबरन काम कराने के लिए ले जाया गया था.

By Prabhat Khabar News Desk | December 10, 2023 5:50 AM
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रांची, प्रणव : झारखंड के 1395 बच्चे-बच्चियां लापता हैं. इनमें 652 लड़के व 743 लड़कियां हैं. सभी एक वर्ष से ज्यादा समय से लापता हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा वर्ष 2022 में जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. बच्चे कैसे लापता हुए. किस स्थिति में और कहां हैं, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में 2214 बच्चे-बच्चियां लापता हुए थे. इनमें 956 लड़के और 1238 लड़कियां थीं. इससे पूर्व लापता 472 लड़के व 476 लड़कियों का अब तक पता नहीं चल पाया है. वर्ष 2022 में 304 लड़के और 515 लड़कियों को बरामद किया गया था. उल्लेखनीय है कि झारखंड में पहले सीआइडी की ओर से लापता बच्चों की खोज को लेकर ऑपरेशन मुस्कान चलाया गया था. फिलहाल चार-पांच वर्षों से यह अभियान बंद है.

वर्ष 2022 में 43 लड़कों व 125 लड़कियों की तस्करी

एनसीआरबी के अनुसार, सिर्फ 2022 में 18 वर्ष से कम उम्र (नाबालिग) के 33 लड़के व 96 लड़कियाें की तस्करी हुई है. इनके अलावा 18 वर्ष व उससे अधिक उम्र के 10 लड़के व 29 लड़कियों की भी तस्करी हुई है. इनमें से 90 बच्चों को जबरन काम कराने के लिए ले जाया गया था. दो का यौन शोषण किया गया. जबकि 57 को घरेलू कामकाज में लगाया गया था.

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एक की करायी जबरन शादी

इसके अलावा एक की जबरन शादी करायी गयी. वहीं दो को अन्य वजहों से ले जाया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में 18 वर्ष से कम उम्र के 33 लड़के व 96 लड़कियों को मुक्त कराया गया. जबकि 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र के 10 लड़के और 29 लड़कियों को भी मुक्त कराया गया. झारखंड पुलिस के 24 जिलों में बनाये गये एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट है, जहां मानव तस्करी को लेकर वर्ष 2020 में 148, 2021 में 92 और 2022 में 100 केस दर्ज किये गये थे. पुलिस ने वर्ष 2022 में मानव तस्करी से जुड़े केस में 131 आरोपियों को गिरफ्तार किया. वहीं 87 के खिलाफ चार्जशीट किया. 19 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया. जबकि साक्ष्य के अभाव में 22 आरोपी बरी किये गये.

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