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रांची में ईसाई समुदाय के लोगों ने मोमबत्तियां जलाकर अपने पुरखों को किया याद, देखें तस्वीरें

रांची में मसीही विश्वासियों ने मृत विश्वासियों का स्मरण दिवस मनाया. इस दौरान पुरखों की पूजा की और मोमबत्तियां जलाकर याद किया. साथ ही उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की.

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कांटाटोली स्थित आरसी चर्च के कब्रिस्तान में आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने कब्रों की आशिष की. आर्चबिशप ने कहा : हम एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए हैं. हमारे परिजनों की कब्र सुंदर लग रही है. इसका अर्थ है कि हम पुनरुत्थान पर विश्वास करते हैं. प्रभु ने कहा है कि वे पुनरुत्थान और जीवन हैं. पास्का के दिन वे पुनर्जीवित हुए. सुसमाचार में कई बार पुनरुत्थान की चर्चा की गयी है, क्योंकि प्रेरितों ने पुनरुत्थान किये हुए प्रभु को देखा और इसकी साक्षी दी. उन्होंने अपने जीवन में भी साक्ष्य दिया और लहू गवाह बन गये. प्रभु ने हमें आश्वासन दिया है कि जो प्रभु के अनुयायी हैं, वे भी प्रभु यीशु के समान जी उठेंगे. जो विश्वास करते हुए जीता है और वह कभी नहीं मरेगा.

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आर्चबिशप ने कहा कि संत पौलुस के अनुसार यदि हम प्रभु के पुनरुत्थान पर विश्वास नहीं करते, तो हमारा विश्वास व्यर्थ है. ऐसे में हम सभी मनुष्यों में सबसे दयनीय होंगे. बपतिस्मा लेने के साथ हम प्रभु के जीवन को जीने की प्रतिज्ञा करते हैं. बुराइयों का परित्याग करते हैं और पुनरुत्थान की संतान बन जाते हैं. अंतिम तुरही बजते ही हम रूपांतरित हो जायेंगे, क्योंकि यह जरूरी है कि मृतक अनश्वर बनकर पुनर्जीवित हो जायेंगे. जरूरी है कि यह नश्वर शरीर अनश्वरता को ग्रहण करें.

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जीइएल चर्च छोटानागपुर और असम ने बुधवार को 177वां स्थापना दिवस मनाया. इस खास दिन को मिशन पर्व के रूप में मनाया गया. सुबह 6:30 बजे गोस्सनर कंपाउंड स्थित प्रथम उपासनालय से स्मारक पत्थर तक शोभायात्रा निकाली गयी. बिशप सीमांत तिर्की ने कहा : यह गर्व और आनंद का अवसर है, क्योंकि हमने सुसमाचार काे पा लिया है. जर्मनी से आये उन चार मिशनरियों ने कई कठिनाइयों का सामना किया. इसके बावजूद उन्होंने पूर्ण समर्पण के साथ प्रभु का काम आगे बढ़ाया.

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बिशप तिर्की ने कहा : सुसमाचार प्रचार का काम सिर्फ बिशप, पादरी या प्रचारकों का नहीं, बल्कि हर मसीही का है. इस बात पर विश्वास करने की आवश्यकता है कि परमेश्वर ने हमें अनंत जीवन दिया है. हमारे जरिये लोग बचाये जायें, यह आनंद की बात होगी, सुसमाचार क्या है, का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा कि पौलुस प्रेरित के अनुसार सुसमाचार यही है कि प्रभु यीशु ने हमारे पापों के कारण दुख भोगा. उन्हें क्रूस पर चढ़ाया गया. उन्हें गाड़ा गया और तीसरे दिन वे मृतकों में से जी उठे.

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प्रथम मिशनरियों में एक रेव्ह ऑगस्ट ब्रांट के परपोते माइकल ब्रांट ने कहा कि पिछले वर्षों में जीइएल चर्च एक आत्मनिर्भर चर्च के रूप में विकसित हुआ है. इस अवसर पर मोडरेटर बिशप जोहन डांग, डिप्टी मोडरेटर बिशप जोसफ सांगा, बिशप मुरेल पारादीस बिलुंग, बिशप लोलस मिंज, बिशप सीमांत तिर्की, महासचिव ईश्वरदत्त कंडुलना, अटल इराद खेस, किरण आइंद, डॉ सुमन लुगुन मौजूद थे.

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सीएनआइ छोटानागपुर डायसिस के उपाध्यक्ष रेव्ह सिकंदर नाग ने कहा कि हमें भी मेल-मिलाप का सुसमाचार आगे बढ़ाना है. एनडब्ल्यूजीइएल चर्च के आर्चबिशप राजीव सतीश टोप्पो ने कहा कि प्रभु के अनुग्रह और अगुवाई में प्रगति करते रहें. गुरुकुल लूथेरन थियोलॉजिकल काॅलेज चेन्नई के प्राचार्य रेव्ह संग्राम बासुमतारी ने कहा कि छोटानागपुर में 1846 और असम के बोड़ो समुदाय के बीच 1888 में प्रभु का वचन पहुंचा.

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