Christmas 2022: झारखंड में एंग्लिकन कलीसिया का पहला महागिरजाघर है संत पॉल कैथेड्रल
झारखंड में एंग्लिकन कलीसिया का पहला महागिरजाघर है संत पॉल कैथेड्रल. छोटानागपुर के कमिश्नर, जेनरल ईटी डाल्टन ने 12 सितंबर 1870 को इसकी नींव रखी थी. संत पाॅल कैथेड्रल के निर्माण में लूथेरन मिशनरी फ्रेड्रिक बात्त्श की भूमिका महत्वपूर्ण रही.
Christmas 2022: रांची के बहू बाजार स्थित संत पॉल कैथेड्रल (St. Paul Cathedral) झारखंड में एंग्लिकन कलीसिया का पहला महागिरजाघर है. सीएनआइ में शामिल होने के बाद यह सीएनआइ छोटानागपुर डायसिस का कैथेड्रल है. छोटानागपुर के कमिश्नर, जेनरल ईटी डाल्टन ने 12 सितंबर 1870 को इसकी नींव रखी थी. इसके वास्तुकार ब्रिटिश न्यायिक आयुक्त जनरल ईए रोलेट्ट थे. छोटानागपुर डायसिस की शतवर्षीय स्मारिका के अनुसार, इसके निर्माण में कुल 26,000 रुपये का खर्च आया था. कोलकाता के बिशप रॉबर्ट मिलमैन ने इस गिरजाघर (Church) का संस्कार आठ मार्च 1883 को किया.
छप्पर वाले गिरजा से 10 हाथ की दूरी पर संत पॉल कैथेड्रल का शिलान्यास
1907 से 1929 तक एंग्लिकन चर्च के पादरी रहे रेव्ह कुशलमय शीतल ने अपनी पुस्तक छोटानागपुर की कलीसिया का वृतांत में बताया है कि जिस पत्तों की छप्पर वाली झोपड़ी गिरजा में लोग पहली बार एंग्लिकन कलीसिया में शामिल हुए थे, जहां तीन लूथेरन का पादरी अभिषेक और एक का डीकन अभिषेक हुआ था, उसी के दक्षिण ओर लगभग 10 हाथ की दूरी पर 1870 में संत पॉल कैथेड्रल (St. Paul Cathedral) गिरजा की नींव डाली गयी.
महत्वपूर्ण रही पादरी फ्रेड्रिक बात्त्श की भूमिका
छोटानागपुर में एंग्लिकन कलीसिया की शुरुआत और संत पाॅल कैथेड्रल (St. Paul Cathedral) के निर्माण में लूथेरन मिशनरी फ्रेड्रिक बात्त्श की भूमिका महत्वपूर्ण रही. वे उन प्रथम चार लूथेरन मिशनरियों में थे, जिन्हें जर्मनी से फादर योहान्नेस इवांजेलिस्ता गोस्सनर ने छोटानागपुर में सुसमाचार प्रचार के लिए भेजा था. यहां लूथेरन कलीसिया की स्थापना के बाद जब कलीसिया में विवाद हुआ, तब उन्होंने कुछ अन्य बड़े पादरियों के साथ एंग्लिकन बिशप मिलमैन से संपर्क किया, ताकि वे अपनी मंडली के एक बड़े हिस्से को एंग्लिकन मंडली में शामिली करा सकें.
रिपोर्ट : मनोज लकड़ा, रांची