बेतलेहेम की चरनी में मौजूद आयो रोटी

बेतलेहेम, राजा दाऊद का नगर था, क्योंकि वहीं उसका जन्म हुआ था. वहीं जब वह भेड़ें चरा रहा था, तो समूएल ने उसे बुला भिजवाकर भावी राजा के रूप में उसका अभिषेक किया था.

By Prabhat Khabar News Desk | December 24, 2023 4:44 AM

फादर इग्नासियुस टेटे, एसजे

झरना – आशीर्वाद, नामकुम

रांची : ख्रीस्त- जयंती पर देहातों के गरीब ख्रीस्तीय परिवारों में चावल की गुड़ी से एक प्रकार की रोटी छानी जाती है, जो आयो रोटी के नाम से जानी जाती है. आजकल इसका प्रचलन कम हो गया है. अब अरसा रोटी ने इसकी जगह ले ली है. बचपन के दिनों में माताएं जब छिरका (छिलका) रोटी पकाने के साथ- साथ यह रोटी छानती थीं, तो बच्चों के लिए सोने में सुगंध आ जाती थी. यह रोटी पाकर बच्चे खुशी से खिलखिला उठते थे. आयो रोटी को खाने से उनके पैर स्वत: थिरकने लगते थे. कुछ इसी तरह दो हजार वर्ष पहले मां मरियम ने बेतलेहेम की गोशाला में मानव जाति के लिए एक विशिष्ट आयो रोटी उपलब्ध करायी थी. यह आयो रोटी रही, चरनी में लेटा बालक यीशु. चरनी में मौजूद इस आयो रोटी को पाकर गरीब चरवाहे झूम उठे थे.

बेतलेहेम, राजा दाऊद का नगर था, क्योंकि वहीं उसका जन्म हुआ था. वहीं जब वह भेड़ें चरा रहा था, तो समूएल ने उसे बुला भिजवाकर भावी राजा के रूप में उसका अभिषेक किया था. कालांतर में नबी मीका ने भविष्यवाणी की थी कि एक दिन उसी बेतलेहेम नगर से मसीह राजा उत्पन्न होगा, जो प्रभु के सामर्थ्य और ईश्वर के नाम के प्रताप से अपना झुंड चरायेगा. मरियम का पति यूसुफ दाऊद के घराने और वंश का था. अत: रोमी सम्राट अगस्तुस की राजाज्ञा के अनुसार जनगणना के लिए उसे नाम लिखवाने के लिए बेतलेहेम जाना पड़ा. सराय में जगह न मिलने के कारण उन दोनों को एक गोशाले में टिकना पड़ा.

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ऐसा संयोग हुआ कि मरियम के गर्भ के दिन पूरे हो गये और उसने अपने पहलौठे पुत्र को जन्म दिया. पशुओें को चारा देने के लिए वहां एक चरनी पड़ी हुई थी. मरियम ने नवजात शिशु को कपड़े में लपेट कर उसी चरनी में मानो चारा के रूप में रख दिया. बेतलेहेम का शाब्दिक अर्थ है रोटी का घर. संत योहन के सुसमाचार के अनुसार यीशु स्वर्ग से उतरी रोटी है, जो मानव–जाति को जीवन प्रदान करती है. बेतलेहेम की चरनी में मां मरियम ने उसी जीवन की रोटी को आयो रोटी के रूप में उपलब्ध कराया है.

चरनी पशुओं के लिए चरवाहों की ओर से उनके निरंतर कोमल प्रेम और खबरदारी का चिह्न था. वह चरनी अब मानव जाति के लिए ईश्वर के असीम प्रेम और दया का प्रतीक बन गया है. यह चरनी यीशु के क्रूस का पूर्व संकेत है, जहां वह होम बलि के रूप में संसार के जीवन के लिए खुद को अर्पित कर देगा. मां मरियम जो चरनी के पास मौजूद हैं, क्रूस के पास

खड़ी होकर मानो कड़ाही के खौलते तेल में क्रूसित यीशु को आयो रोटी का रूप बनता हुआ आंसू बहाती हुई निहारेंगी. यह आयो रोटी मां मरियम और यीशु के अनवरत आत्म–त्याग, पूर्ण समर्पण और अपार प्रेम का परिणाम है. जो चरनी मे मौजूद उस आयो रोटी को पहचान पाता है और उसे अपनाता है, वह चरवाहों की तरह ईश्वरीय प्रेम से ओत–प्रोत होकर, आनंद का स्वाद चखता- चखाता और शांति की खुशबू फैलाता है.

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