आर्चबिशप विसेंट आईंद (रांची महाधर्मप्रांत) ने क्रिसमस संदेश में कहा है कि सृष्टिकर्ता ईश्वर ने अपने इकलौते पुत्र को हमारे ही स्वभाव और मनुष्य के अवतार में धरती पर भेजा. यह ईश्वरीय प्रेम का बड़ा चिन्ह है. हम इंसान हैं, साधारण प्राणी नहीं. हमारा अस्तित्व ईश्वर की योजना के तहत बहुत उत्तम है और हमें इसे ऐसे ही बरकरार रखना चाहिए. कई बार मनुष्यों के बीच मनमुटाव और दूरी पैदा होती है. आपसी द्वेष की वजह से हम एक-दूसरे के विरुद्ध खड़े हो जाते हैं. यह क्रिसमस इसे पाटने का समय है.
यीशु का आना ईश्वर की एक खास योजना का प्रतिफल था
जैसी खुशी हम मसीही इस समय महसूस करते हैं, वैसी ही खुशी पूरे संसार को महसूस हो. यीशु का आना ईश्वर की एक खास योजना का प्रतिफल था और इसे उन्होंने अपने जीवन से दर्शाया था. सिर्फ 12 साल की उम्र में वे अपने माता-पिता के साथ यरूशलेम की यात्रा पर जाते हैं. वापस आने पर माता-पिता को अहसास होता है कि यीशु घर नहीं लौटे हैं. उन्हें खोजते हुए जब वे पुन: यरूशलेम के मंदिर पहुंचे, तो उन्होंने यीशु को मंदिर के पंडितोंं के साथ विचार-विमर्श करते पाया. और जब माता-पिता ने यीशु से पूछा कि ऐसा उन्होंने क्यों किया, तो उनका जवाब था आपको पता नहीं कि मैं अपने पिता के घर (ईश्वर के घर ) पर हूं.यीशु को बहुत कम उम्र में ही ईश्वरीय योजना का आभास था
यह घटना बताती है कि यीशु को बहुत कम उम्र में ही ईश्वरीय योजना का आभास था. यीशु ने अपना जीवन उन लोगों का साथ बिताया, जो समाज में निकृष्ट समझे जाते थे. और वे ऐसा इसलिए करते थे कि उन्हें भी ईश्वर की कृपा और पश्चाताप का जीवन पाने का अवसर मिले. आर्चबिशप ने कहा कि हम मानते हैं कि 2025 एक अच्छा वर्ष होना चाहिए. अगले वर्ष में हम खुद को एक तीर्थयात्री की तरह मान रहे हैं. उस तीर्थयात्री की तरह, जिसमें हम खुद में सुधार और ईश्वरीय गुण को देखते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है